हमारा इम्यून सिस्टम क्या करता है वायरस को हराने के लिए ?

प्रेम शंकर मिश्र ...
ज्यादातर लोग कोरोना वायरस से इन्फेक्ट होने के बाद अपने आप ठीक हो जा रहे हैं। कैसे ? . समझें!!!
एक बड़ा युद्ध होता है बाकायदा !
वायरस का हमला :
वायरस आया शरीर में, 4 दिन गले में रहा, फिर लंग्स में उतर गया, लंग्स में एक सेल के अंदर घुसा और उसके रिप्रोडक्शन के तरीके को इस्तेमाल करके खुद की copies बना ली, फिर सारी copies मिलके अलग अलग सेल्स को अंदर घुसकर ख़त्म करना शुरू कर देती है। अब बहुत सारे वायरस हो गए हैं फेफड़ों में, मौत के करीब पहुँचने लगता है इंसान। शुरू में वायरस फेफड़ों के epithelial सेल्स को इन्फेक्ट करता है।
वायरस अभी जंग जीत रहा होता है।
शरीर के सेनापति तक खबर पहुँचती है :
हमारे शरीर का सेनापति होता है हमारा इम्यून सिस्टम, इम्यून सिस्टम के पास सभी दुश्मनों का लेखा जोखा होता है की किस पर कौनसा अटैक करना है, एंटी-बॉडीज की एक सेना तैयार की जाती है और वायरस पर हमले के लिए भेज दी जाती है।
एंटी बॉडी सेना की रचना :
एंटीबाडी सेना की रचना अटैक के री खकर होती है, अगर वो वायरस पहले अटैक कर चुका है तो उसकी एंटीबाडी रचना पहले से मेमोरी में होगी और उसे तुरत वायरस को मारने के लिए भेज दिया जाता है।अगर वायरस नया है जैसा की कोविद 19 के केस में है तो इम्यून सिस्टम हिट एंड ट्रायल से सेना की रचना करता है। सबसे पहले भेजा जाता है हमारे शरीर के सबसे फेमस योद्धा "इम्मुनोग्लोबिन g" को,ये शरीर की सबसे कॉमन एंटीबाडी है और ज्यादातर युद्धों में जीत का सेहरा इसी के बंधता है। इम्मुनोग्लोबिन g सेना शुरूआती अटैक करती है वायरस सेना पर और उसे काबू करने की कोशिश करती है। इम्मुनोग्लोबिन g सेना को कवर फायर देती है एंटीबाडी इम्मुनोग्लोबिन m सेना जो अटैक की दूसरी लाइन होती है।
युद्ध की शुरुआत :
भीषण युद्ध छिड़ता है दोनों ही पार्टियों में,इम्मुनोग्लोबिन g वायरस पर टूट पड़ता है और उसे बेअसर करने की कोशिश करता है, जो सेल्स अभी तक ख़त्म नहीं हुए होते हैं उन्हें बचाने की कोशिश की जाती है ताकि वो सुसाइड ना कर ले,
लेकिन वायरस क्यूंकि अभी ताकतवर है इसलिए वो इम्यून सेल्स को भी इन्फेक्ट करना शुरू कर देता है, जो की वायरस को अपनी जीत के तौर पर लगता है।