साधुओं पर अत्याचार करना कांग्रेस की परम्परा है, और इसपर चुप्पी साध लेना वामपंथ

किससे उम्मीद कर रहे हैं आप? उस कांग्रेस से, जिसकी सबसे बड़ी और प्रसिद्ध नेत्री ने कभी संसद के सामने साधुओं पर गोली चलवाई थी? या उस उद्धव से, जिसने सत्ता के लोभ में अपना मान-सम्मान स्वाभिमान सब सोनिया जी के चरणों में गिरवी रख दिया। या उस मीडिया से, जिसका एक प्रमुख न्यूज-सेल्समैन कहता है कि "क्या हो जाएगा यदि सारे हिन्दू समाप्त ही हो जाएं"
साधुओं पर अत्याचार करना कांग्रेस की परम्परा है, और इसपर चुप्पी साध लेना वामपंथ, समाजवाद और मीडिया के साझे संस्कार। कुछ नया नहीं हुआ है, यही होता रहा है। वैसे दोषी केवल वही नहीं हैं, दोषी हम स्वयं रहे हैं।
पिछले पचास वर्षों से टुच्चे नचनिये अपनी फिल्मों में साधुओं को ढोंगी, पाखंडी बताते रहे और आपने चुपचाप देखा। पिछले पचास वर्षों से अवार्ड के लोभी लुच्चे लेखकों ने आपकी परम्परा, आपकी मान्यता को लगातार भद्दी-भद्दी गाली दी, आप देखते रहे। आपके देवी-देवताओं के ऊपर लगातार आक्षेप हुए, और आपने इसे विमर्श मान लिया। आपकी आँखों के सामने मिशनरियां आपके देवी-देवताओं को गाली देती रहीं, आपकी परम्पराओं को मूर्खता बताती रहीं, और पैसा दे दे कर भोले भाले बनवासियों को अपने सम्प्रदाय में जोड़ती रहीं, और आप चुप रहे...
पिछले पचास वर्ष की हमारी चुप्पी, और मिशनरी सिनेमा-साहित्य के षड्यंत्रों ने ऐसा माहौल बना दिया है कि साधु अब निरीह समझे जाने लगे हैं। कैसे न वह हो, जो हुआ है?
पहले पहाड़ों और जंगलों में ही हमें दिशा-निर्देश देने वाले सन्त बसते थे, सनातन की रीढ़ बसती थी। आज दोनों पर मिशनरियों का कब्जा है। आप पालघर की बात कर रहे हैं? देश के अधिकांश जंगलों की यह दशा है कि कोई भगवाधारी साधू घुस जाय तो किसी न किसी बहाने मार दिया जाएगा। अरे जहां सैनिक सुरक्षित नहीं वहाँ साधु की सुरक्षा कौन करेगा...
आपकी चुप्पी ने आपकी यह दशा की है मित्र! आपके साथ कोई नहीं है अभी... न सिनेमा, न साहित्य, न मीडिया... आपके पास एक सोशल मीडिया है, पर उसे भी आपने व्यक्तिगत झगड़ो का अड्डा बना दिया है। यहाँ के स्वघोषित हिन्दू हृदय सम्राट अपनी मठाधीशी चमकाने के लिए किसी सर्वेश, किसी असित को तो गाली दिलवा देते हैं, पर उन लोगों के विरुद्ध कभी मुँह नहीं खोलते जो रोज हमारे धर्म को गालियाँ दे रहे हैं। क्यों न हो ऐसा... वो तो आकाश, प्रवीण, अर्पित, विनय और पंकज जैसे कुछ लड़के हैं जो इस मंच पर हमारी ढाल हैं, नहीं तो यहाँ भी कोई हमारी बात नहीं करता...
भारत भूमि पर यदि साधुओं-संतों की यह दशा हो गयी कि उन्हें पीट पीट कर मार डाला जाने लगा, तो सोचिये कि आपने देश को क्या बना दिया है।
सर्वेश तिवारी श्रीमुख
गोपालगंज, बिहार।