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प्रधानमंत्री का संदेश और राजनीतिक दलों में गमछा बांधने की प्रतिस्पर्धा

प्रधानमंत्री का संदेश और राजनीतिक दलों में गमछा बांधने की प्रतिस्पर्धा
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सम्पूर्ण विश्व कोरेना संकट से गुजर रहा है । लाखों लोग इसकी चपेट में हैं, और इसकी वजह से हर रोज सैकड़ों लोग इस दुनिया से कूच कर रहे हैं। इससे बचने का एकमात्र उपाय विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्देशों का पालन। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा दिये गए निर्देशों के अनुसार संक्रमित व्यक्ति के संपर्क मे आने पर ही यह वायरस दूसरे में प्रवेश कर सकता है। इस कारण विश्व स्वस्थ्य संगठन के निर्देश के अनुरूप देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉक डाउन का निर्णय लिया । उसे लागू हुए आज 18 दिन हो गए हैं। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे आगे बढ़ाया जाए, या न बढ़ाया जाए, इस संबंध में देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए बात की । इस दौरान उन्होने सभी मुख्यमंत्रियों से सुझाव मांगे, इस पर पूरे देश के मुख्यमंत्रियों ने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इसे अप्रैल के अंत तक जारी रखने की अपनी मंशा जाहीर की।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जानकारी दी कि नोएडा, सहारनपुर और ग्रेटर नोएडा में जांच केंद्र बनाने, हर जिले में टेस्टिंग शुरू करने, आयुष विभाग द्वारा नया एप बनाने, जिससे राहत, बचाव और जागरूकता कार्यक्रम को सुचारु रूप से चलाया जा सके। इस दिशा में युद्ध स्तर पर काम हो रहा है।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा है कि पहले जो लोग 14 दिन के क्वारंटीन को पूरा कर चुके हैं उन्हें उनके घर भेज दिया जाए, और जो जरूरी ऐतिहात है, उसे बरतने को कहा जाए । सोशल डिस्टेंसिंग का सख्ती से पालन कराने के निर्देश दिए गए हैं। मास्क के लिए एडवाइजरी जारी कर दी गई है। जो लोग बिना मास्क के निकलेंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है ।

अभी तक लाकडाउन का उल्लंघन करने वाले 13208 एफआईआर दर्ज की गई हैं। धारा -188 के तहत 42 हजार 359 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। हॉटस्पॉट इलाकों का रिव्यू करके आवश्यक निर्देश संबन्धित अधिकारियों को दे दिये गए हैं।

लोगों को खाने की कमी न हो, इसके लिए कम्युनिटी किचन के माध्यम से अभी तक कुल 11 लाख फूड पैकेट्स बांटे गए हैं।

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश की वाराणसी लोकसभा सीट से सांसद भी हैं। इसलिए पूरे देश के साथ-साथ अपनी लोकसभा वाराणसी के संबंध में भी वे विशेष रूप से चिंतित रहते हैं। शुक्रवार के दिन उन्होने वहाँ के जिला अध्यक्ष हंसराज विश्वकर्मा से फोन पर बात की। साथ ही उन्होने कहा की आप सभी लोग भी मास्क धारण करें । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बातचीत के दौरान यह भी कहा कि आप लोग मास्क की जगह गमछे का उपयोग कर सकते हैं। अगर गमछा नहीं है, तो रुमाल या किसी अन्य कपड़े को तीन तह करके उपयोग करें ।

इस संबंध में भाजपा जिला अध्यक्ष हंसराज विश्वकर्मा ने बताया कि प्रधानमंत्री ने कहा कि मास्क डॉक्टरों तथा ड्यूटी पर लगे कर्मचारियों के लिए सुविधाजनक है। उत्तर प्रदेश में अधिकांश लोग सर पर गमछा बांधते हैं। अत: उन्हें उसी से मुंह ढंकने की आदत डालने के बारे में सबको सलाह दी जानी चाहिए।

वाराणसी भाजपा जिला अध्यक्ष को दिया गया उनके इस निर्देश पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने बड़ी तेजी से अमल किया । लोकसभा चुनाव के दौरान केसरिया रंग के गमछा का प्रचुर मात्रा में अपने कार्यकर्ताओं / समर्थकों / नेताओं के बीच भारतीय जनता पार्टी ने वितरित किया था। इसलिए वह गमछा उनके सभी नेताओं/कार्यकर्ताओं और समर्थकों के पास मौजूद था। उन लोगों ने उसे बांधना शुरू किया । यह बात जैसे ही समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं/नेताओं / समर्थको को पता चली, उन लोगों ने भी लाल रंग के गमछे बाधना शुरू कर दिया। थोड़ी ही देर में सोशल मीडिया पर गमछा बांधे हुए लोगों ने अपनी – अपनी फोटो भी डालना शुरू कर दिया । देखते ही देखते दोनों दलों के कार्यकर्ताओं में होड़ मच गई। सोशल मीडिया पर जिधर देखो, लोग गमछा बांधे दिखाई देने लगे।

कभी-कभी राजनीतिक प्रतिस्पर्धा भी बहुत उपयोगी होती है । जब मैंने इसकी पड़ताल की, तो पाया कि प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई यह प्रतिस्पर्धा कोरेना महामारी में काफी कारगर सिद्ध हो रही है। देखने में यह आ रहा है कि सिर्फ वाराणसी में ही नहीं, पूरे पूर्वाञ्चल में ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में लोग गमछे का उपयोग मास्क के रूप में करने लगे हैं। इससे जहां ये लोग कड़ी धूप से बच रहे हैं, वहीं दूसरी ओर वे सभी उसी गमछे से अपनी नाक और मुंह को भी ढके हुए हैं, इस कारण वे कोरेना महामारी के खिलाफ मास्क के रूप में भी प्रयोग में आ रहा है।

भारतीय पहरावे में गमछा एक प्रमुख परिधान माना जाता है। कुर्ता पायजामा, कुर्ता धोती के साथ अगर गमछा न हो, तो यह पहरावा पूर्ण ही नहीं माना जाता था। ग्रामीण क्षेत्रों में तो हर व्यक्ति के पास गमछा अनिवार्य रूप से होता ही है। उसका प्रयोग वे पगड़ी बांधने, कान बांधने, मुंह ढकने के लिए सदियों से करते आए हैं। लेकिन जब युवा पीढ़ी के पहरावे में बदलाव हुआ, लोग पायजामा कुर्ता या कुर्ता धोती की जगह पैंट शर्त पहनने लगे, तो गमछा धीरे-धीरे गायब हो गया। लेकिन गावों इस पहरावे के साथ भी अधिकांश लोग गमछे का उपयोग करते हैं। इसी कारण प्रधानमंत्री के निर्देश पर जब भाजपा के नेताओं / कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने गमछा बांधना शुरू किया, तो कुछ ही घंटों में लाखों लोगों के सिरों पर यह शोभा पाने लगा। लोग इसी गमछे से मुंह भी ढकने लगे। उसका उपयोग मास्क के रूप मे भी करने लगे। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब उत्तर प्रदेश सहित समस्त प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कान्फ्रेंसिंग कर रहे थे, उस समय भी वे अपने मुंह पर गमछा बांधे हुए थे। इसकी वजह से गमछा प्रतियोगिता को अब और बल मिलेगा, क्योंकि अपनी इस सलाह का खुद पालन करते हुए प्रधानमंत्री ने शनिवार की कॉन्फ्रेंस में गमछे को ही मास्क के रूप में प्रयोग किया था ।

इतना ही नहीं, आमतौर पर उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग गमछे का प्रयोग करते हुए देखे जा सकते हैं। गमछा भोजपुरी समाज का प्रतीक माना जाता है । भोजपुरी क्षेत्र में कहीं चले जाएँ, आपको लोगों के कंधों पर या पगड़ी के रूप में उनके सर पर यह दिखाई देता है। उसके उपयोग के संबंध में जब मैंने पड़ताल की, तो पता चला कि यह बहुपयोगी परिधान है। इससे जहां एक ओर धूप से बचने के लिए सर पर बांधा जाता हैं, वही दूसरी ओर यह नहाने के बाद कपड़े बदलने के भी काम आता है। जब भी लोग बाहर जाते हैं, तो उनके कंधों पर गमछा जरूर होता है। भोजपुरी या उत्तर प्रदेश बिहार के लोग जब कहीं प्रदूषित प्रदेश में पहुँच जाते हैं, तो इसी गमछे से अपने मुंह ढकते हुए देखे जाते हैं। यानि प्रदूषण से बचाने में भी यह उपयोगी होता है ।इसके अलावा इस गमछे का उपयोग लोग सर्दी से बचने के लिए भी करते हैं। सर्दी के दिनों में इससे कस कर अपना कान बांध लेते हैं। और गर्मी में इसी गमछे से पसीना पोछते नजर आते हैं । जुकाम या छींक आने पर लोग इसी गमछे से नाक पोछते या मुंह ढकते देखे जा सकते हैं। अधिक गर्मी पड़ती है और वे कहीं ऐसी जगह होते हैं, जहां हाथ पंखा या बिजली पंखा उपलब्ध नहीं होता है, ऐसी जगहों पर इसी गमछे से लोग पंखा करते हुए देखे जा सकते हैं । कुछ लोग गमछे को कुर्ते या कमीज के कालर के नीचे दबा देते हैं। जिससे कालर गंदा नहीं होता है। कहीं – कहीं तो यह ओढ़ने और बिछाने के भी काम आता है। इसके अलावा पहले जब लाठी डंडे गुम्मे से मारपीट होती थी, तो सर को बचाने के लिए इसी गमछे का लोग उपयोग करते थे। पुरुष जब किसी शादी ब्याह में खाना बनाता है, तो उसे चूल्हे पर से उतारने में भी इसी गमछे का उपयोग करता है ।

लेकिन ऐसे समय में जब पूरा देश कोरेना के विरुद्ध जंग छेड़े हुए है, खुद को अपने-अपने घरों में बंद किए हुए है। प्रधामन्त्री नरेंद्र मोदी के सुझावों को सकारात्मक रूप में लेना चाहिए था। लेकिन चूंकि यह बात उन्होने अपने लोकसभा क्षेत्र के जिला अध्यक्ष से कही, उन्होने ने केवल अपने लोगों को ही गमछा उपयोग करने को कहा, इसलिए समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को यह नागवार गुजरा और उन्होने इसे चुनौती के रूप मे स्वीकार करते हुए गमछा उपयोग की एक क्रान्ति छेड़ दी । कुछ भी कहें, इस प्रतिस्पर्धा से ही सही, लोग अपना मुंह तो ढकने लगे । लेकिन जो शब्दावली सोशल मीडिया पर प्रयोग की जा रही है, वह ठीक नहीं है। लोगों को स्वस्थ वातावरण में स्वस्थ मानसिकता के साथ स्वस्थ शब्दों का उपयोग करते हुए प्रतिस्पर्धा करना चाहिए।

प्रोफेसर डॉ योगेन्द्र यादव

पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट

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