कोरोना महामारी में सेवा दे रहे पुलिस /पैरा मिलिटरी/मिलिटरी जवानों का योगदान – प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव

इस समय कोरेना की महामारी से सम्पूर्ण विश्व जूझ रहा है। कोरेना के इलाज मे जहां मेडिकल और पैरा मेडिकल विभाग अपनी पूरी क्षमता से अधिक योगदान दे रहा है । वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरे देश में लॉक डाउन घोषित किया गया । प्रधानमंत्री ने टेलीवीजन पर आकर खुद देश के नागरिकों से कोरेना महामारी से लड़ने की अपील करते हुए सभी से निवेदन किया कि वे अपने घरों के बाहर न निकलें, साथ ही विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा जो एडवायजरी जारी की गई है, उसका अक्षरश: पालन करें । प्रधानमंत्री द्वारा यह अपील अचानक जारी की गई थी, इसलिए देश इसके लिए तैयार नहीं था। लोगों के पास जानकारी भी अधूरी थी, इस वजह से भी लोग प्रधानमंत्री के अपील को नजरंदाज करके दैनिक जरूरत की वस्तुओं को इकट्ठा करने लगे। जिससे कुछ क्षेत्रों में जरूरी समानों की किल्लत भी हो गई। प्रधानमंत्री ने पहली बार इसे वहाँ लागू किया था, जहां-जहां इसके होने की संभावना अधिक थी। लेकिन प्रधानमंत्री ने जब यह देखा कि इस छोटे से कदम से कोरेना महामारी से नहीं लड़ा जा सकता है। तब उन्होने बड़ा कदम उठाया और लॉक आउट पूरे देश में एक साथ लागू कर दिया ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्णय और अपील के बाद अपने – अपने प्रदेशों में कोरेना महामारी को नियंत्रित करने, संक्रमित लोगों की शिनाख्त करने और फिर उन्हे ले जाकर हॉस्पिटल में भर्ती कराने की ज़िम्मेदारी पुलिस विभाग पर आई। ऐसे में जब पूरे देश का आम नागरिक अपने घरों में लॉक आउट का पालन कर रहा है। पुलिस विभाग के जवान से लेकर अधिकारी वर्ग तक लॉक आउट को सफल बनाने और कोरेना बीमारी को शिकस्त देने के लिए लोग सड़कों पर न निकले, इसकी व्यवस्था में लगाए गए। केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा पुलिस विभाग के लिए मास्क सहित सभी जरूरी सामान भी उपलब्ध कराये गए।
प्रधानमंत्री द्वारा यह कदम देश के हर एक नागरिक की सुरक्षा के लिए उठाया गया। लोगो से कहा गया कि वे सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन करें। लें आमतौर पर देखा गया कि लोग इस नियम का पालन नहीं करते हुये दिखाई दिये। विशेष कर सब्जी खरीदते, किराना का समान खरीदते, राशन की दुकानों से राशन लेते, दूध की दुकानों से दूध लेते समय में भीड़ में तब्दील हो जाते । पुलिस वालों ने बार-बार उन्हे चेतावनी दी, समझाया, लेकिन जब इसके बाद भी वे नहीं समझे तो हल्का बल प्रयोग भी किया। किसी को मुर्गा बनाया, किसी को डंडे से हल्की चपत लगाई। लेकिन कहीं-कहीं पर लोग पुलिस के प्रति हिंसक हो उठे।
सोमवार को उत्तर प्रदेश के बरेली के इज्जतनगर थाना क्षेत्र के करमपुर चौधरी गांव के प्रधान पति तसब्बुर के चबूतरे पर कुछ लोग हंगामा कर रहे थे। लॉकडाउन तोड़ने वालों की सूचना किसी ने 100 नंबर पर कंट्रोल रूम को दी। जिस पर इज्जतनगर थाने की चीता मोबाइल वहां पहुंच गई। उसने सड़क पर घूम रहे लोगों को दौड़ा लिया। इसके बाद गेहूं काट रहे कश्मीर खान को पीट दिया। विरोध करने पर कश्मीर खान समेत लोगों को पुलिस वालों ने लाठियों से पीटा और पुलिस चौकी बैरियर वन ले आये। बाद में बुजुर्गों के कहने पर पुलिस ने उन्हें छोड़ भी दिया। इसी दौरान करमपुर चौधरी गांव के प्रधान पति तसब्बर खान ने 300 से ज्यादा लोगों ने पुलिस चौकी को घेर लिया। हाइवे जाम कर चौकी फूंकने की कोशिश की। सूचना मिलने पर पुलिस वहाँ पहुंची और लोगों को खदेड़ना शुरू किया। पुलिस वालों की संख्या कम देख कर लोग पुलिस वालों से उलझ गए। इसके बाद सूचना मिलने पर भारी पुलिस बल आया। जिसे देखकर लोग घरों में दुबक गए।
बिहार के मधुबनी ज़िले के झंझारपुर अनुमंडल के अंधराठाढ़ी प्रखंड के जमैला गीदड़गंज गांव में एक मस्जिद में तबलीग़ी जमात से आए लोगों के बारे में जानकारी लेने गई पुलिस स्थानीय लोगों ने पत्थरबाजी कर दी । जिसमें कई पुलिस के जवान जख्मी हुए । पुलिस के अनुसार वह मस्जिद में सोशल डिस्टेंसिंग समझाने और बाहरी लोगों की जानकारी जुटाने के लिए गई थी। पुलिस का आरोप है कि ग्रामीणों की ओर से फ़ायरिंग भी की गई है । हमलावरों पर एफ़आईआर दर्ज कर वीडियो और पूछताछ के आधार पर पहचानकर इस मामले में अब तक तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है."
इसी प्रकार की एक घटना मेरठ में प्रकाश में आई है, जिसमें पुलिस को कड़ा कदम उठाना पड़ा। मेरठ के गंगानगर में लोगों को डॉक्टरों और पुलिस के खिलाफ भड़काने का प्रयास करने वाले एक मौलाना को गिरफ्तार किया गया है। उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है। पुलिस के अनुसार गंगानगर थानाक्षेत्र के रजपुरा गांव निवासी झाड़-फूंक का काम करता है। कई दिनों से वह सोशल मीडिया के जरिए लोगों को कोरोना वायरस को एक नियोजित प्लान बता रहा था। उसने एक पोस्ट में लिखा कि पुलिस व डॉक्टर जानबूझकर मुस्लिम समाज के लोगों में कोरोना वायरस फैला रहे हैं। यह मुस्लिम समाज के खिलाफ एक साजिश है। आरोपी तीन दिन में 50 से ज्यादा लोगों को मैसेज भेज चुका है। कई व्हाट्सएप ग्रुप में भी भेज चुका है। वहीं रविवार को शिकायत मिलने पर गंगानगर पुलिस ने आरोपी और उसके बेटे को गिरफ्तार किया है। आरोपी लोगों को पुलिस व डॉक्टरों के खिलाफ भड़का रहा था। उसके मोबाइल में आपत्तिजनक व भड़काऊ मैसेज भी मिले। वह मैसेज भेजकर माहौल बिगाड़ने का प्रयास कर रहा था। आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है।
तेलंगाना पुलिस ने दिल्ली के तबलीगी जमात में शामिल हुए कोरोना वायरस से संक्रमित 10 इंडोनेशियाई लोगों पर कार्रवाई की है। इन सभी लोगों पर विदेशी अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने के लिए मामला दर्ज किया गया है। ये सभी लोग दिल्ली में तब्लीगी जमात की बैठक में भाग लेने के बाद ट्रेन से करीमनगर पहुंचे। करीमनगर में इंडोनेशियाई नागरिकों को लाने वाले उनके दो एजेंट और चार स्थानीय लोगों पर भी महामारी रोग अधिनियम, आपदा प्रबंधन अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के तहत आरोप लगाया गया है।
इसी प्रकार कानपुर में कोरोना के पॉजिटिव मरिजों के मामले बढ़ने के बाद प्रशासन सख्त हो गया है। कानपुर शहर और घाटमपुर तहसील क्षेत्र को पूरी तरह से लॉकडाउन घोषित किया है। सुबह 4 बजे से 11 बजे तक मिलने वाली छूट भी प्रशासन ने खत्म कर दी है। इसके बावजूद कई लोगों ने लॉकडाउन का उल्लंघन कर सड़कों पर उतरे जिसके बाद पुलिसवालों ने उन पर लाठियां चलाई।
इसी प्रकार की एक घटना मध्य प्रदेश में भी घटी । कोरोना संक्रमितएक मरीज के संपर्क में आए लोगों का पता लगा रहे स्वास्थ्य कर्मियों के दल पर इंदौर में हुई पथराव की बहुचर्चित घटना के बाद मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में लॉकडाउन के दौरान भीड़ को हटाने गई पुलिस पर कथित रूप से हिस्ट्रीशीटरों सहित करीब 20 लोगों ने चाकुओं एवं डंडों से हमला कर दिया, जिससे दो पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं। इन दोनों पुलिसकर्मियों पर चाकू से वार किया गया । इसी तरह की छिटपुट घटनाएँ लगभग हर प्रदेश में हुई ।
वैसे तो हर प्रदेश की पुलिस बदनाम है। उस पर तरह के आरोप लगाकर आम लोगों द्वारा चर्चा करते लोग नजर आते हैं। लेकिन कोरेना महामारी के खिलाफ व्यवस्था बनाने में पुलिस ने जिस तरह से धैर्य रख कर लोगों के साथ व्यवहार कर रही है। वह काबिलेतारीफ है। डंडे और गाली से अपनी बातों की शुरुआत करने वाली पुलिस पहली बार बड़े ही नरमी से पेश आ रही है। पहले निकलने के कारण पूछ रही है। पास दिखाने को कह रही है। अगर उसके द्वारा झूठ बोला जा रहा है, या अकड़ दिखाई जा रही है। अपने को किसी नेता या किसी अधिकारी का संबंधी बताया जा रहा है, अपने परिजनों से बात कराने के बजाय टाल-मटोल किया जा रहा है, तब पुलिस सख्ती बरत रही है। जितने पुलिस बल की जरूरत है, उतना पुलिस बल किसी भी राज्य में नहीं है। ऐसे जितने पुलिस बल हैं, उन्हीं से काम चलाया जा रहा है। इस कारण तमाम पुलिस जवानों को लगातार चौबीस घंटे ड्यूटी करना पड़ रहा है। ऐसे में रोड पर ही भोजन करना और रोड पर जब मौका मिले, थोड़ा आराम करना, उसकी दिनचर्या बन गई है।
इतना ही नहीं, सभी के लिए भोजन-पानी की भी व्यवस्था की ज़िम्मेदारी में भी देश की पुलिस अपना अहम रोल निभा रही है। गरीब बस्तियो में चाहे भोजन के पैकेट का वितरण हो, राशन का वितरण हो। पुलिस के बिना सोशल डिस्टेन्सिंग की कल्पना ही नहीं की जा सकती है। इस तरह गर्मी हो, अंधेरा हो, ठंड लगे, इन सबकी परवाह किए बिना रात दिन लॉक आउट का प्लाने कराने और सरकार और स्वयंसेवी संगठनों द्वारा जरूरतमंदों के लिए उनके भोजन और अन्य जरूरतों की व्यवस्था करने की ज़िम्मेदारी पुलिस की है। कहीं भी किसी को कोई भी परेशानी हो रही है। वह 100 या 112 नंबर डायल कर रहा है । हमेशा लेट पहुँचने वाली पुलिस भी बिना एक पल लेट किए उनकी मदद कर रही है। जिन्हें अपनी जान की परवाह नहीं है, जिन्हें अपने संक्रमित होने की परवाह नहीं है, देश के ऐसे सभी पुलिस, पैरा मिलिटरी फोर्स और मिलिटरी के जवानों को सैल्यूट ।
प्रोफेसर डॉ योगेन्द्र यादव
पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट