Janta Ki Awaz
लेख

जे.एन.यु, कांग्रेस और बामपंथ : राकेश मिश्र

ऐसा कहा जा रहा है की आरएसएस JNU पर अपनी बिचारधारा थोपना चाहता है लेकिन सबसे पहला सवाल यह उठता है की पूरी दुनिया से ख़त्म हो रहा बामपंथ JNU में ही क्यों फल फुल रहा है, और पांच दशकों से यहाँ वैचारिक प्रतिनिधित्व के नाम पर बामपंथ की विचारधारा का ही कब्जा क्यों रहा है, इंदरागाँधी ने साठ के दशक में सरकार चलाने के लिए वामपंथियों की मदद ली थी, जिसके बदले में अकदामिक संस्थाओं पर बामपंथियो का कब्जा करवा दिया, इससे उन्हें दोहरा फायदा हुआ पहला की जनसंघ के बढ़ते रास्ट्रवादी बिचारधरा के खिलाफ साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण का केंद्र बामपंथी बने और दूसरा कांग्रेस सफाई से हिंदुत्व को साम्प्रदायिकता के तौर पर प्रचारित और स्थापित करने के आरोप से दूर भी रहे, कांग्रेसी सरकारों ने बामपंथ और उनके हिंसक आन्दोलनों का अपने शासन के नाकामी को छुपाने के लिय भी खूब इस्तेमाल किया है,
अब बात करते है JNU के बर्तमान दशा की तो जहाँ पुरे देश के बिद्यालय शिक्षको के कमी से जूझते है वही समानता की बाते सिखलाने वाले इस बिश्वबिध्यालय में हर 10वे बिद्यार्थी पर एक शिक्षक है, यहाँ स्थापित पीठ में आपको कांग्रेस और बामपंथ से सम्बंधित पीठ ही दिखेंगे, भारत सरकार से भरपूर अनुदान पा रहे इस बिश्वबिध्यालय में साहित्य नामवर सिंह, केदारनाथसिंह,और मोहम्मदहसन जैसे लोग पढ़ाते है तो इतिहास रोमिला थापर,बिपन चन्द्रा,तापस मजूमदार जैसे लोग,
यह समझना कठिन नहीं की उग्र बामपंथी बिचारधारा को मनाने वालो की पौध कौन तैयार कर रहा है और किसके लिये, लम्बे समय तक देश पर राज करने वाले खुद तो अभिब्यक्ति की आज़ादी बाते करते है लेकिन खुद पर सवाल उठे उन्हें बिलकुल पसंद नहीं,
Next Story
Share it