Janta Ki Awaz
लेख

वसंत पंचमी आज और कल, पढ़ें - क्या है इसका महात्‍म्‍य

ज्ञान, संगीत, कला, विज्ञान और शिल्‍प-कला की देवी मां सरस्‍वती को समर्पित है वसंत पंचमी का पर्व। इस दिन मां सरस्‍वती की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन को पंचमी और सरस्‍वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है। यही नहीं सनातन धर्म में वसंत पंचमी का उत्‍सव युग परिवर्तन का परिचायक होता है। इस साल वसंत पंचमी की पर्व तिथि शुक्रवार 12 फरवरी प्रात: 9 बजकर 16 मिनट से शनिवार 13 फरवरी को 6 बजकर 31 मिनट तक है। आइए, जानते हैं क्‍या है बसंत पंचमी का पर्व और क्‍यों है इसका सनातन धर्म में विशेष महत्‍व।

भक्त लोग, ज्ञान प्राप्ति और सुस्ती, आलस्य एवं अज्ञानता से छुटकारा पाने के लिये, वसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की उपासना करते हैं। कुछ प्रदेशों में इस दिन शिशुओं को पहला अक्षर लिखना सिखाया जाता है। दूसरे शब्दों में वसन्त पंचमी का दिन विद्यारम्‍भ करने के लिये काफी शुभ माना जाता है। यही कारण है कि माता-पिता इस दिन शिशु को माता सरस्वती के आशीर्वाद के साथ विद्यारम्‍भ कराते हैं। सभी विद्यालयों में बसंत पंचमी के दिन सुबह के समय माता सरस्वती की पूजा की जाती है।
सरस्‍वती पूजा के लिए उपयुक्‍त है समय

वसन्त पंचमी का दिन हिन्‍दू कैलेण्डर में माघ मास की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। जिस दिन पंचमी तिथि सूर्योदय और दोपहर के बीच में व्याप्त रहती है उस दिन को सरस्वती पूजा के लिये उपयुक्त माना जाता है। इसी कारण से कुछ वर्षो में वसंत पंचमी चतुर्थी के दिन पड़ जाती है। हिन्‍दू कैलेण्डर में सूर्योदय और दोपहर के मध्य के समय को पूर्वाह्न के नाम से जाना जाता है।

ज्योतिष विद्या में पारंगत व्यक्तियों के अनुसार वसंत पंचमी का दिन सभी शुभ कार्यों के लिए उपयुक्त माना जाता है। इसी कारण से वसंत पंचमी का दिन अबूझ मुहूर्त के नाम से प्रसिद्ध है और नवीन कार्यों की शुरुआत के लिये उत्तम माना जाता है।

वसंत पंचमी के दिन किसी भी समय सरस्वती पूजा की जा सकती है परन्तु पूर्वाह्न का समय पूजा के लिये श्रेष्ठ माना जाता है। सभी विद्यालयों और शिक्षा केन्द्रों में पूर्वाह्न के समय ही सरस्वती पूजा कर माता सरस्वती का आशीर्वाद ग्रहण किया जाता है।

पंचांग में सरस्वती पूजा का जो मुहूर्त दिया गया है उस समय पंचमी तिथि और पूर्वाह्न दोनों ही व्याप्त होते हैं। इसीलिये, वसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा इसी समय के दौरान करना श्रेष्ठ है।

सरस्वती वन्दना

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌।
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥२॥
Next Story
Share it