डियर चंपा आईलभ यू,फोरइभर
तुम तो कहती थी,हमरा इंतज़ार जिनगी भर करोगी । फ़िर इ शादी का कार्ड हमरा घरे किसका आया है। अरे हम बोले थे न, कि एमरी बिहार एसएससी परीक्षा होगा और हम नौकरी लेते ही तुम्हारे बाप से तुमको मांग लेंगे। अब पेपर लीक हो गया तो हमरा ग़लती है ।
और तुम्हारी दीदीया आजकल कंगना राणावत काहेला बनल है रे, बहुते चिचिया रही है। मुखिया का इलेक्शन लड़ना है का ?
देखो हम कह देते हैं। इ कार्ड वापस ले लो और इ बियाह कैंसिल कर दो, नहीं तो दूसरा गाजीपुर बॉर्डर तुम्हारे गांव में बनेगा। साला, सात साल का प्यार ऐतना आसानी से एगो बिल, सॉरी एगो कार्ड खत्म कर देगा ।
तुम्हारे बाप को हमसे का दिक्कत है रे ? उ बोला गाय को बैल कहो, हम नहीं कहें। उ कहा, पूरब को पश्चिम कहो हम नहीं कहे । काहेला कहेंगे हम, ना-ना काहेला कहेंगे हम । अरे हम कऊनों भक्त हैं । जो उ कहेंगे,उसमें हां-हां करेंगे। इ ना होगा हमरा से...
साला! प्यार में लोग दारू पीता है, सिगरेट पीता है । लेकिन हम तुम्हरे याद में लूसेंट और स्पीडी का एक-एक अक्षर पीते हैं। हमरा देह में खून नहीं, तुम्हारे याद के साथ जीके/जीएस बहता है।
अब हम कऊनो चिराग पासवान तो है नहीं कि करेजा चीर के दिखा देंगे।
याद है जब दाहर(बाढ़) आया था। हम केतना बेचैन हुए थे तुम्हरे लिये । अरे ओतना बेचैन त लोग अच्छे दिन के लिए भी नहीं था । जानते हैं, तुम हमरा प्यार को नहीं समझोगी! काहेला समझोगी, अब सरकारी नोकरी वाला दुल्हा जो मिल रहा है। लेकिन याद रखना हमहूं बिहारी आशिक है। पहाड़ त काटने के लिए बचा नहीं ,हां खान सर नियन पढ़ायेंगे लइका सबके । काहे कि फेर कउनो प्रेमी के प्रेम,ए चलते न टूट जाये कि उ सरकारी नोकरी में नहीं है।
जानती हो, आज 'रोज़ डे' है। तुम्हरे लिये पच्चीस रूपइया में गुलाब का एगो फूल खरीदें हैं । सोचे कि तुमको देंगे लेकिन तुम्हारा बियाह कार्ड देख के सारा फूल का पत्ता झड़ गया । लेकिन आज भी तुमसे उतना ही प्यार करते हैं जीतना भक्त मोदीजी से ।
तुम्हारा एगो फोटो है पियरकी फ्राक वाला । जो तुम परमेसरा के बियाह में पहनी थी । हम चुपके से फोटों खींचे थे । उसी फोटो को रोज देखते हैं। इ फूल के पत्ता उहे फोटो साथे रख देंगे। जानती हो तुम्हारा फोटो कहां रखे हुए हैं। लूसेंट के किताब में । जहाँ दुनिया के सात गो आश्चर्य वाला चैप्टर ना है,उंहे रखे हैं। हमको का पता था कि तुम भी एक दिन आठवां आश्चर्य बन जाओगी हमरे लिये।
हम जानते हैं "कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी ,यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता "। देखो ऊपर जो भी बोले हैं उसे दिल से मत लेना । गुस्सा में बोल दिये । बस तुम लोगों का गठबंधन बना रहे और उम्मीद करते हैं जब तुम्हारा बच्चा हो, तो उसका नाम विकास रखोगी। क्योंकि देश को आज बहुते जरूरत है।
तुम्हरा प्यार
बटेसर
• आदित्य रहबर