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समाजीकरण के माध्यम से दूर होगी लैंगिक असमानता: डॉ. अनिल सिंह झा

समाजीकरण के माध्यम से दूर होगी लैंगिक असमानता:  डॉ. अनिल सिंह झा
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लैंगिक विभेद हमारे समाज की एक गंभीर समस्या है जिसमें महिला एवं पुरुष के बीच सामाजिक, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक आधार पर भेदभाव किया जाता है। लैंगिक विभेद के लिए काफी सीमा तक पितृसत्तात्मक परिवार जिम्मेदार है। इसके लिए हमारा दोषपूर्ण सामाजीकरण भी उत्तरदायी है। समाजीकरण की प्रक्रिया में सुधार करके लिंग असमानता को दूर किया जा सकता है। नई शिक्षा नीति में लिंग असमानता के निवारण के अनेक उपाय किए गए हैं।

उक्त वक्तव्य दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय, बोधगया बिहार के डिपार्टमेंट ऑफ सोशियोलॉजिकल स्टडीज के अध्यक्ष डॉ. अनिल कुमार सिंह झा ने दीदउ गोरखपुर विश्वविद्यालय के यूजीसी एचआरडी सेंटर द्वारा आयोजित किये जा रहे चतुर्थ फैकेल्टी इंडक्शन प्रोग्राम के एक सत्र को 'लिंग संवेदीकरण एवं एनईपी 2020' के आलोक में संबोधित करते हुए दिया।

फैकेल्टी इंडक्शन प्रोग्राम के प्रथम सत्र में दी.द

उ. गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर के बॉटनी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर वशिष्ठ नारायण पाण्डेय ने अपने उद्बोधन में बताया कि पृथ्वी पर समस्त ऊर्जा का स्रोत पौधे हैं। उन्होंने पौधों की तुलना ईश्वर से करते हुए बताया कि जीवन की संरचना पानी से निकलकर पृथ्वी पर आई और पौधों ने प्रकाश संश्लेषण की सहायता से ऑक्सीजन का निर्माण किया तथा समस्त जीवो के लिए पौधे ऊर्जा एवं भोजन जैसी महत्वपूर्ण आवश्यकता की पूर्ति करने में सहायता प्रदान किए| प्रोफेसर वी एन पांडेय ने बताया कि पौधे घर से लेकर घाट तक की समस्त जरूरी मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं| पौधे ऑक्सीजन पानी रोटी कपड़ा मकान इत्यादि के निर्माण में उपयोगी है, इसीलिए पौधे को गॉड ऑफ लिविंग कहां जाता है।

कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में बी.बी.ए. केंद्रीय विश्वविद्यालय लखनऊ के डिपार्टमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर

की अध्यक्ष प्रोफ़ेसर दीपा द्विवेदी ने अकादमिक शिष्टाचार पर सारगर्भित व्याख्यान प्रस्तुत किया और बताया कि किस प्रकार अकादमिक शिष्टाचार के माध्यम से बच्चों के उनके योग्यता के अनुसार उनका विकास कर सकते हैं तथा इसके लिए हमारे शिक्षण शैली मे प्रभावशाली शिक्षण प्रणाली को अपनाना होगा एक शिक्षक मे ज्ञान दक्षता,अभिवृत्ति, संचार, आत्म मूल्यांकन, नियम दृढ़ता आदि का गुण होना चाहिए।

कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत कोर्स समन्वयक एवं अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. अजय शुक्ला ने किया और कहा कि अंतर्विषयक ज्ञान के माध्यम से न केवल शिक्षक वरन आगे की प्रक्रिया में विद्यार्थी भी लाभान्वित होंगे। नई शिक्षा नीति में अंतर्विषयक उपागम को अत्यधिक महत्व दिया गया है।

एचआरडी सेंटर के निदेशक प्रोफेसर रजनीकांत पांडेय ने कार्यक्रम का ऑनलाइन अवलोकन किया| सह समन्वयक डॉक्टर मनीष पांडेय ने आभार प्रकट किया तथा वीक इंचार्ज डॉक्टर सुकन्या चक्रवर्ती तथा डे इंचार्ज डॉ रीना सैनी, डॉ. अमर अशरफ ने अलग-अलग समय पर कार्यक्रम का कुशल संचालन किया।

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