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योगी का पंचायती पैतरा, सपा- बसपा के लिए नई चुनौती

योगी का पंचायती पैतरा, सपा- बसपा के लिए नई चुनौती
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अमूमन होता यह है कि विपक्ष सरकार के सामने चुनौतियां खड़ी करता है। लेकिन उत्तर प्रदेश में उल्टा हो रहा है। यहां विपक्ष सत्तारूढ़ योगी सरकार के सामने कोई चुनौती खड़ी नही कर पा रहा है, उल्टे सरकार ही विपक्ष के सामने आए दिन नई चुनौतियां पेश कर रही है। सरकार द्वारा पेश की गई चुनौतियों में ही विपक्ष विशेषकर समाजवादी पार्टी और बहुजन पार्टी उलझी हुई नजर आ रही है। समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खां और उनके विधायक पत्नी और पुत्र को जेल में डालने के बाद भी उनके सहयोगियों की लगातार धर पकड़ जारी है। उनकी संपत्ति कुर्क की जा रही है। अब आजम खां के होटल को भी गिराने की कार्रवाई की जा रही है। एभी समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व कैबिनेट मंत्री का मसला खत्म नही हुआ। दूसरी ओर बाहुबली राजनेता अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी पर भी कार्रवाई शुरू कर दी गई है। मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद दोनों जेल में हैं । एक समय ऐसा था कि दोनों की राजनीतिक हैसियत और प्रभाव की वजह से ये दोनों जिसके साथ होते, दर्जनों सीटे वह पार्टी जीत लेती । मुख्तार अंसारी बसपा के विधायक हैं, लेकिन अपने गुनाहों और सरकार की सख्ती की वजह से जेल में हैं। इन दोनों के ऊपर कार्रवाई करके भारतीय जनता पार्टी और योगी सरकार के जनता को यह संकेत दे दिया है कि जो भी गलत काम करेगा, उस पर सरकार सख्ती से कार्रवाई करेगी, चाहे वह कितना बड़ा बाहुबली हो। इसलिये वह विपक्ष के सभी बाहुबलियों पर लगातार कार्रवाई कर रही है । इन कार्रवाइयों के राजनीतिक उद्देश्य भी हैं। इन सभी बाहुबलियो, जिनकी कभी तूती बोलती थी, आज अपनी संपत्ति या धरोहर बचाने मेभी अक्षम साबित हो रहे हैं । इसकी वजह से उनके समर्थकों में भय का माहौल है। आजम खां, अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी पर कार्रवाई करके सरकार ने मुसलमानों को कड़ा संदेश दे दिया है। उत्तर प्रदेश में आमतौर पर मुसलमानों को भाजपा का वोटर नहो माना जाता है । उन्हें समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी या का कांग्रेस का वोटर माना जाता है। इस समय तो वह समाजवादी पार्टी का मूल वोटर है। समाजवादी पार्टी से ही पंचायत स्तरीय से लेकर विधानसभा चुनाव तक समाजवादी पार्टी से उसकी टक्कर होने वाली है। इस कार्रवाई के बाद कम से कम उत्तर प्रदेश का मुसलमान डरा हुआ है। वह कहीं भी मुखर होता दिखाई नही दे रहा है। भारतीय जनता पार्टी को लगता है कि उसकी इस कार्रवाई से भाजपा के वोटों में बढ़ोतरी होगी और उसकी विपक्षी पार्टी सपा और बसपा को जब वे चाहेंगे नियंत्रित कर लेंगे। जिसका लाभ उन्हें आगे आने वाले इलेक्शन में मिलेगा।

अभी इन मसलों और नेताओं पर कार्रवाई चल ही रही है। वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के समक्ष एक नई चुनौती पैदा करने जा रहे हैं । वह चुनौती पंचायत के त्रिस्तरीय चुनाव से संबंधित है। कोरोना संक्रमण और महामारी का आधार बनाकर उत्तर प्रदेश सरकार ने पंचायत चुनाव को लगभग 6 महीने के लिये टाल दिया। पंचायती राज नियमावली और कानूनी प्रावधान के अनुसार 25 दिसंबर को कार्यकाल समाप्त हो रहा है। इसके बाद एडीओ पंचायत प्रशासक के रूप में काम करेंगे। अधिकारी सरकार के अधीन होता है। इसलिए वह सरकार की इच्छा अनुसार कार्य करेगा। यानी 6 महीने बाद होने वाले चुनाव के लिए ऐसा माहौल, जिससे भाजपा समर्थित उम्मीदवार जीत जाए।

इतना ही नही, इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार पंचायती राज अधिनियम में कुछ ऐसे बदलाव करने जा रही है, जिसका प्रभाव समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवारों पर पड़ेगा। कई मजबूत प्रत्याशी दौड़ से बाहर हो जाएंगे।

पहला संशोधन या अध्यादेश इस बात का लाया जाने वाला है कि पंचायती चुनाव वही प्रत्याशी लड़ सकता है । जिसके पास दो ही संतान हों। जब मैं पंचायत चुनाव लड़ने वालों की इस दृष्टि से समीक्षा करता हूँ, तो पाता हूँ कि इस समय ग्राम प्रधानी, बीडीसी, जिला पंचायत के चुनाव की तैयारी कर रहे अधिकांश लोगों के पास दो से अधिक संताने हैं । बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवारों का हाल तो इससे भी बुरा परिणाम होने वाला है। बहुजन समाज पार्टी के अधिकांश उम्मीदवारों का भी यही हाल है। यह नियम बन जाने के बाद स्पा बसपा के तमाम दिग्गज खुद ब खुद अयोग्य साबित हो जाएंगे। चूंकि इस नियम का प्रभाव भाजपा पर बहुत कम पड़ेगा। जिसका उसे पूरा लाभ मिलेगा। और भाजपा बिना किसी संघर्ष के अधिकांश सीटें जीत लेगी । इस प्रकार इस कानून का लाभ योगी सरकार को खूब मिलेगा। जिससे 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए उसका जमीनी आधार तैयार होगा। जिसका ऊज़ फायदा मिलेगा।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पंचायती राज चुनाव के लिए दूसरा बदलाव शिक्षा संबंधी करने जा रहे हैं । ग्राम प्रधान और बीडीसी के लिए 20वीं पास होना जरूरी होगा। और जिला पंचायत सदस्य के लिए 12वीं तक शिक्षा जरूरी होगी । इसका भी समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवारों पर बिना पड़े नही राह सकता। आज भी इनके तमाम योग्य उम्मीदवारों के पास हाई स्कूल और इंटरमीडिएट तक की शिक्षा नही है। और भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों के लिए यह कोई समस्या नही है।

इसी तरह से और कुछ बदलाव की बात की जा रही है। उस पर विचार विमर्श हो रहा है । सरकार पहला नियम जनसंख्या नियंत्रण और दूसरा बदलाव शिक्षा प्रसार को आधार बना कर ला रही है। जिससे कोई उसका विरोध न कर सके।

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की इस रणनीति का अध्ययन करके समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को ऐसे युवकों से संपर्क कर उन्हें अपनी पार्टी से जोड़ना चाहिए, जो इन दोनों योग्यताओं को पूरा करते हों। इससे उन्हें लाभ भी मिलेगा । एक नई टीम तैयार होगी, जिसका उपयोग वे आगामी विधानसभा चुनाव में कर सकते हैं ।

जहां तक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की बात है। उनकी छवि स्वच्छ और साफ होने की वजह से तमाम ऐसे युवा उनसे जुड़े हुए हैं, या जुड़ना चाहते हैं, जो इन दोनों योग्यताओं को पूरा करते हैं । अगर अखिलेश यादव इस पर काम करते हैं, तो ग्राम प्रधान, बीडीसी सदस्य से लेकर ब्लाक प्रमुख और जिला पंचायत सदस्य से लेकर अध्यक्ष तक समाजवादी पार्टी के समर्थको की भरमार होगी। और 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए उनके पास एक नई टीम होगी । जो युवा होगी, जिसके पास विजन होगा और एक लंबी राजनीतिक पारी खेलने के लिए पर्याप्त उमर भी होगी। यानी अखिलेश यादव के पास एक बड़ी, ऊर्जावान और युवा टीम, नई टीम इस प्रावधान की वजह खुद ब खुद थोड़े से प्रयास से ही बन जाएगी ।

प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव

पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट

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