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विधानसभा उपचुनाव के लिए अखिलेश की रणनीति, जीत 2022 में सरकार बनाने का देंगे संदेश

विधानसभा उपचुनाव के लिए अखिलेश की रणनीति, जीत 2022 में सरकार बनाने का देंगे संदेश
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विभिन्न कारणों से रिक्त हुई कई विधानसभा सीटों पर चुनाव की सुगबुगाहट के बीच सभी राजनीतिक दलों द्वारा तैयारियां शुरू हो गई हैं। लेकिन यह सभी जानते हैं कि उत्तर प्रदेश में इस उपचुनाव में घमासान समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच ही होना है। भाजपा इस समय उत्तर प्रदेश की सरकार में है और ज्यादातर उपचुनाव पर जिसकी सरकार होती है, उसकी ही विजय होती है। इस कारण समाजवादी पार्टी को यह उपचुनाव किसी उम्मीदवार से नही लड़ना है, सरकार से लड़ना है, यह भी समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अच्छी तरह जानते हैं । इस कारण इस विधानसभा उपचुनाव को लेकर वे काफी संजीदा हैं । और कोरोना संक्रमण काल के बावजूद पिछले तीन दिनों से उन्होंने युद्ध स्तर पर एक बार फिर काम संभाल लिया है । इसके लिए वे संबंधित विधानसभा के संभावित उम्मीदवारों और नेताओं कार्यकर्ताओं से मिल कर अपनी रणनीति को अंतिम रूप दे रहे हैं । अखिलेश यादव यह अच्छी तरह जानते हैं कि यह उपचुनाव उन्हें जीतना है। और आगामी 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव जीतने और सरकार बनाने का संदेश देना है।

इधर चुनाव आयोग के निर्देश के बाद जिन जिन जिलों में उपचुनाव होने हैं, वहां के डीएम द्वारा सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ प्रथम चरण की बैठक हो चुकी है। इस बैठक में कोरोना संक्रमण के कारण चुनाव आयोग के निर्देश के अनुसार किसी भी बूथ पर मतदाताओं की संख्या एक हजार से अधिक नही होना चाहिए। अगर है, तो उसके लिए अलग बूथ बनाएं जाएंगे। इस समय मैं कोरोना पर्यावरण जागरूकता अभियान शहीद सम्मान सायकिल यात्रा के तहत अमरोहा जिले में हूँ और जिस विधानसभा नौगांवा में उपचुमाव होने जा रहे हैं, यहां के जिला प्रशासन और राजनीतिक दलों की गतिविधियों पर भी नजर रखे हुए हूँ। कभी कभार इस मसले पर उनसे चर्चा भी हो जाती है। अगर अमरोहा जिले की बात करूं, तो यहां के जिला प्रशासन पिछले तीन दिनों से नौगांवा विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटा हुआ दिख रहा है। पिछली 27 तारीख को उसने सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा करके बूथों की संख्या की चर्चा की । गौरतलब है कि पहले यहां 371 बूथ रहे हैं । नए नियम के अनुसार 117 बूथ ऐसे मिले, जहां मतदाताओं की संख्या एक हजार से अधिक है। इस प्रकार अब नौगांवा विधानसभा चुनाव में 479 बूथों पर वोट डाले जाएंगे। लेकिन चर्चा के दौरान यह भी तय हुआ कि 106 पोलिंग स्टेशन उसी भवन के दूसरे अंतिम कमरे में रहेंगे। केवल 11 नए बूथ अलग बिल्डिंग में बनाये जाएंगे।

इसी प्रकार अन्य ऐसे जिलों में जहां विधानसभा के उपचुनाव होने हैं, वहां बूथों का निर्धारण किया जा रहा है। प्राप्त सूचनाओं के आधार पर अमरोहा की नौगांवा विधानसभा की तरह यह कोशिश की जा रही है, कि जहां मतदाताओं की संख्या एक हजार से अधिक है, अतिरिक्त बूथ भी उसी बिल्डिंग में बनाये जाएं, अगर कोरोना संक्रमण के लिए निर्धारित मापदंड के अनुरूप स्थान और भवन उपलब्ध न हों, तो दूसरी ऐसी जगह अतिरिक्त मतदान केंद्र बनाए जाएं, जिससे मतदाताओं को परेशानी न हो । इस प्रकार ऐसे सभी जिलों यह प्रक्रिया निर्वाचन आयोग के दिशा निर्देश के अनुसार पूरी कर ली गई है।

इसके अलावा ऐसी सभी विधानसभा जहां उपचुनाव होने हैं, वहां कहाँ से ईवीएम मशीन की व्यवस्था संबंधी पत्र भी सबंधित जिले के संबंधित अधिकारियों को भेज दिए गए हैं । मशीनें आने के बाद सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के समक्ष उसका परीक्षण किया जाएगा। इस समय मैं कोरोना पर्यावरण जागरूकता अभियान शहीद सम्मान यात्रा के तहत अमरोहा जिले में हूँ, यहां संभल जिले से मशीनें आनी है। इस आशय का निर्गत पत्र प्राप्त हो चुका है।

समाजवादी पार्टी और उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और सत्तासीन योगी सरकार के लिए यह उपचुनाव बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। इस उपचुनाव से ही 2022 में किसकी जीत होगी और किसकी सरकार बनेगी, इसका आभास और संदेश देने का प्रयास होगा। इसलिए इस उपचुनाव को फतह करने के लिए भाजपा और सपा दोनो द्वारा विशेष रणनीति बनाई जा रही है और तैयारी की जा रही है।

विषय के अनुसार मैं इस लेख में समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव द्वारा की जा रही तैयारियों पर विचार प्रस्तुत कर रहा हूँ । उपचुनाव की सुगबुगाहट मिलते ही अखिलेश यादव फिर से सक्रिय हो गए हैं। पिछले चार दिनों से वे कोरोना फोबिया से बाहर निकल कर प्रदेश कार्यालय में सुबह से शाम तक बैठ कर लोगों से मिलने और चर्चा करने लगे हैं ।

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सबसे पहले संगठन की ओर ध्यान दिया। जिन जिलों में जिला अध्यक्ष नही मनोनीत किये गए थे, विचार विमर्श करके वहां जिला अध्यक्ष मनोनीत कर दिए । पहली बार उन जिला अध्यक्षों को भी हटा दिया गया, जिन्हें हटाने की मंशा न रही। कुछ जिलों में नए जिला अध्यक्ष इसलिए मनोनीत किये गए कि वे नई ऊर्जा के साथ नए संगठन के साथ समाजवादी पार्टी में नए सिरे से जोश भर सकें । इस प्रकार अब सभी जिलों में जिले स्तर का संगठन बन गया है । समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल के अनुसार सभी नव मनोनीत सपा जिला अध्यक्षों को 15 दिनों में कार्यकारिणी मनोनीत कर प्रदेश कार्यालय द्वारा अप्रूवल लेने की कहा गया। जैसा कि अपनी यात्रा के दौरान मैं अमरोहा जिले में हूँ। यहां पहली बार यहां जिला अध्यक्ष एक युवा नेता को दिया गया है। अपने भ्रमण के दौरान मैंने पाया कि अखिलेश यादव के निर्देश के अनुरूप यहां के जिला अध्यक्ष निर्मोज यादव लगातार उपचुनाव क्षेत्र मीटिंगें और भ्रमण कर रहे हैं । लोगों से फीडबैक लेकर अपनी सूचनाओं से बड़े नेताओं को अवगत करा रहे हैं। अपनी कार्यकारिणी मे उन्होंने एक ओर जहां संतुलन पर ध्यान रखा है, वहीं दूसरी ओर दशकों से जमे लोगों को मौका न देकर नए और ऊर्जावान लोगों को मौका दिया है। लेकिन जिसके सर पर अखिलेश यादव यादव का हाथ हो वह हर चुनौती से पार पा सकता है। इसी प्रकार हर जिले में इसी तरह संगठन का गठन हो रहा है। इसे देखने पर ऐसा लगता है, अखिलेश यादव संगठन के साथ ही अपनी नई टीम तैयार कर रहे हैं। साथ ही इस नई टीम को उपचुनाव जिताने की जिम्मेदारी भी दे रहे हैं । और इस दिशा में संगठन काम करता भी दिख रहा है।

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के सामने उपयुक्त और जिताऊँ उम्मीदवार का चयन सबसे बड़ी चुनौती है। पिछले चार दिनों से वे इसी पर विचार कर रहे हैं । इस सबंध में अखिलेश यादव अपनी पार्टी के जानकार नेताओं, और चुनावी रणनीति में माहिर समीक्षकों से विचार विमर्श कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने पूर्वांचल के उम्मीदवारों के चयन का अलग मानक तैयार कर रखा है और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए अलग मानक तैयार कर रखा है। मध्यांचल और अन्य क्षेत्रो के लिए अलग । पश्चिमी उत्तर प्रदेश की विधानसभा सीटों को उपचुनाव में सपा की जीत में रोड़े कम हैं। लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश की विधानसभा उप चुनाव की अलग स्थिति है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हिन्दू मुस्लिम ध्रुवीकरण न हो, इसके लिए अखिलेश यादव अलग तैयारी कर रहे है। साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में धन भी खुल कर खर्च किया जाता है। इसलिए अखिलेश यादव के सामने यह भी चुनौती है कि जिस प्रत्याशी का चयन हो काम से कम 15 से 20 हजार वोट उसके व्यक्तिगत हो, और पर्याप्त मात्रा में धन और खर्चीली प्रवृत्ति भी हो ।

पहली बार अखिलेश यादव ने प्रत्याशी चयन के लिए खूब ठोक बजा कर प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया चल रही है। आने वाले समय मे इसमें और गति आएगी ।

इसके अलावा अखिलेश यादव उपचुनाव क्षेत्र जिन विधानसभाओ में होने हैं, उसकी मॉनिटरिंग इस बार खुद करेंगे। कोरोना संक्रमण के कारण उन्होंने चुनावी रणनीति में व्यापक बदलाव किए हैं। घर घर चार चार लोगों की टीम जाकर वोट मांगे, समाजवादी पार्टी के कार्यों और वर्तमान सरकार की कमियों और असंवेदनशीलता को उजागर करने को कहा जायेगा। इसी प्रकार उन्होंने कुछ गोपनीय रणनीति बना रखी है, जिसका खुलासा यहां उचित नही है। कुल मिला कर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस चुनाव में करो या मरो की रणनीति अपनाई है। समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को एक एक वोट कैसे पड़ें, इसकी रणनीति तैयार की गई है। अब उनकी रणनीति तो देखने मे सही है, लेकिन चुनौती उसे व्यवहारिक रूप से जमीन पर उतरना ही सफलता का मापदंड होगी ।

प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव

पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट

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