नौगांवा विधानसभा उपचुनाव : अखिलेश के दोस्त जनाब आब्दी की अग्नि परीक्षा

बिहार विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही उत्तर प्रदेश की रिक्त विधानसभा सीटों के उपचुनाव की गर्माहट महसूस होने लगी है। इस समय मैं कोरोना पर्यावरण जागरूकता अभियान शहीद सम्मान सायकिल यात्रा के तहत अमरोहा जिले में पिछले पांच दिनों से भ्रमण कर रहा हूँ । संयोगवश मेरा भ्रमण नौगांवा विधानसभा मे ही हो रहा है। अपनी जागरण और शहीद सम्मान यात्रा के दौरान लोगों से चर्चा परिचर्चा करते समय उपचुनाव के संबंध मे भी सुनाई पड़ रहा है। इस चर्चा ने तब और जोर पकड़ लिया । जब अमरोहा के डीएम उमेश मिश्र ने आगामी 27 अगस्त को सभी राजनीतिक दलों की बैठक आहूत कर दी । साथ ही उन्होंने निर्वाचन आयोग भारत सरकार के दिशा निर्देश पर एक हजार मतदाता पर बूथ के हिसाब से बूथों का पुनर्गठन शुरू कर दिया । अमरोहा जिलाधिकारी के अनुसार नौगांवा विधानसभा में एभी तक कुल 372 बूथ होते थे ।इसमें से 117 बूथ ऐसे हैं, जिन पर मतदान करने वाले कुल मतदाताओं की संख्या 1 हजार से अधिक है। इसलिए जिलाधिकारी ने 117 सहायक बूथ बनाने की कवायद शुरू कर दी है। जल्द ही इसके लिए स्थलों का अवलोकन कर उसे फाइनल कर दिया जाएगा ।
दूसरी तरफ पूर्व कैबिनेट मंत्री व नौगांवा से विधायक रहे चेतन चौहान , जिनके दिवंगत होने के कारण ही यह विधानसभा सीट रिक्त हुई है। इसी कारण इस विधानसभा सीट का चुनाव होना है। उनकी धर्मपत्नी संगीता चौहान ने उनकी तेरहवीं के अवसर पर दो दिन पहले ही क्षेत्र में आने का ऐलान कर चुकी हैं । इस दौरान वे अपने दिवंगत पति की विधानसभा नौगांवा ले नेताओं, और कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर आगे की रणनीति तय करेंगी । हालांकि बातचीत में उन्होंने अपनी दावेदारी नही पेश की है, सब कुछ आलाकमान पर छोड़ने की बात कही है। लेकिन उनके नजदीकी लोगों का कहना है कि वे अपने पति की विरासत सभालने का मन बना चुकी है। उन्होंने भले ही जाहिरतौर पर राजनीति न की हो, लेकिन सेंट्रल बैंक में महाप्रबंधक रह चुकी संगीता चौहान की राजनीतिक समझ परिपक्व है । तेरहवीं के बाद वे सीधे लखनऊ जाएंगी, और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करेंगी। उनका जो निर्देश होगा, तब फाइनल निर्णय लेगी ।
दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के करीबी माने जाने वाले और नौगांवा विधानसभा में शिकस्त खा चुके जनाब मौलाना जावेद आब्दी की है। मौलाना जावेद आब्दी मुस्लिम धर्म के बड़े जानकार हैं, और अपनी विद्वत्ता के कारण देश विदेश में तकरीर करते रहते हैं । इस कारण अमरोहा और नौगांवा विधानसभा में वे एक विद्वान इंसान के रूप में जाने जाते हैं । समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के करीबी होने के कारण यहां की जनता यही कहती है कि अखिलेश के करीबी होने के कारण विधानसभा चुनाव में टिकट तो उन्हीं को मिलेगा। उनके साथ ही सपा के एक पूर्व मुस्लिम विधायक की भी चर्चा जनता करती है। जिसकी व्यवहारिकता की चर्चा होती है। जिसकी नौगांवा विधानसभा तक उसकी व्यक्तिगत पहुंच है । इस विधानसभा में कोई ऐसा गांव नही है, जहां उसका वोट न हो। लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने पर उन्होंने बगावत करते हुए पार्टी छोड़ दिया और लोकदल से टिकट लाकर चुनाव भी लड़े । लेकिन तेरह हजार वोट पर सिमट गए । इस क्षेत्र की जनता ने यह भी कहा कि आज भी वह लगातार गांव की जनता से संपर्क में हैं, सिर्फ जनता से ही नही, कुछ युवा सपा नेताओं से संबंध रखे हुए हैं, जो बिन पेदी के लोटे की तरह हैं, जो किस तरफ उलट जाएगा, इसकी भविष्यवाणी नही की जा सकती । समाजवादी पार्टी के ये पूर्व विधायक अखिलेश यादव के मित्र रहे मौलाना जावेद आब्दी से राजनीतिक खुन्नस ममते है
दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के करीबी माने जाने वाले और नौगांवा विधानसभा में शिकस्त खा चुके जनाब मौलाना जावेद आब्दी की है। मौलाना जावेद आब्दी मुस्लिम धर्म के बड़े जानकार हैं, और अपनी विद्वत्ता के कारण देश विदेश में तकरीर करते रहते हैं । इस कारण अमरोहा और नौगांवा विधानसभा में वे एक विद्वान इंसान के रूप में जाने जाते हैं । समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के करीबी होने के कारण यहां की जनता यही कहती है कि अखिलेश के करीबी होने के कारण विधानसभा चुनाव में टिकट तो उन्हीं को मिलेगा। उनके साथ ही सपा के एक पूर्व मुस्लिम विधायक की भी चर्चा जनता करती है। जिसकी व्यवहारिकता की चर्चा होती है। जिसकी नौगांवा विधानसभा तक उसकी व्यक्तिगत पहुंच है । इस विधानसभा में कोई ऐसा गांव नही है, जहां उसका वोट न हो। लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने पर उन्होंने बगावत करते हुए पार्टी छोड़ दिया और लोकदल से टिकट लाकर चुनाव भी लड़े । लेकिन तेरह हजार वोट पर सिमट गए । इस क्षेत्र की जनता ने यह भी कहा कि आज भी वह लगातार गांव की जनता से संपर्क में हैं, सिर्फ जनता से ही नही, कुछ युवा सपा नेताओं से संबंध रखे हुए हैं, जो बिन पेदी के लोटे की तरह हैं, जो किस तरफ उलट जाएगा, इसकी भविष्यवाणी नही की जा सकती । समाजवादी पार्टी के ये पूर्व विधायक अखिलेश यादव के मित्र रहे मौलाना जावेद आब्दी से राजनीतिक खुन्नस मानते हैं। उनके बारे में कुछ सपा नेताओं ने यह भी बताया कि अगर समाजवादी पार्टी से मौलाना जावेद आब्दी को टिकट मिलता है, तो वे बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे। जिसमें सच्चाई कम नजर आ रही है । क्योंकि एभी तक का जो इतिहास है, बहुजन समाज पार्टी चुनाव नही लड़ती है। जब मैंने इस तथ्य की चर्चा की, तो उन लोगों ने बताया कि यह ठीक है, लेकिन उनकी बात चल रही है, यह भी सच है । इस प्रकार अगर समाजवादी पार्टी मौलाना जावेद आब्दी को प्रत्याशी बनाती है, तो सपा के कुछ नेता विश्वासघात भी कर सकते हैं ।
इसके अलावा इस क्षेत्र के मतदाताओं से जब मैंने और चर्चा की तो उन्होंने कहा कि साहब ! जावेद आब्दी साहब अखिलेश यादव के खास हैं, बड़े आदमी हैं, विद्वान हैं, तकरीर के कारण अक्सर क्षेत्र से बाहर रहते है । इस कारण जनता के मन में इस प्रकार की भावना है कि अगर उन्हें वोट देकर जीता दिया गया, तो भी बाहर रहने के कारण हमारे किस काम आएंगे।
दूसरी तरफ नव मनोनीत और अखिलेश के निष्ठावान और समर्पित सिपाही निर्मोज यादव इस समय जिला अध्यक्ष हैं, और लगातार नौगांवा विधानसभा में गांव गांव जाकर बैठकें कर रहे हैं, लोगों के बीच आह्वान पत्रक और अगस्त क्रांति समाजवादी पत्रक वितरित कर रहे हैं। समाजवादी पार्टी के पक्ष में लोगों को लामबंद कर रहे हैं । इसकी वजह से एक माहौल तो बन रहा है ।
लेकिन मौलाना जावेद आब्दी के कुछ करीबियों ने बताया कि इस बार वे विधानसभा उप चुनाव को लेकर काफी संजीदा हैं । वव हर हाल में नौगांवा विधानसभा चुनाव जीत कर अखिलेश यादव को तोहफा देना चाहते हैं । मौलाना जावेद आब्दी का यह भी कहना है कि मेरे अलावा अगर कोई दूसरा प्रत्याशी जीतने वाला मिला, दिखा, तो उसे टिकट दिला कर चुनाव लड़वाऊंगा। पर हर हाल में यह सीट जीतकर अखिलेश यादव को दूंगा । उनके इस त्याग के बात की चर्चा सपा समर्थकों के बीच होती है ।
लेकिन समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के लिए नौगांवा विधानसभा का उपचुनाव जीतना आसान नही है। जिस वजह से समाजवादी पार्टी चुनाव हारी थी, वे आज भी मौजूद हैं । उनका निराकरण करने का प्रयास नही किया गया । जिसका फायदा भाजपा फिर उठा सकती है । दूसरे भाजपा सत्ता में है, इसलिए समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के सामने अनेक दुश्वारियां पैदा की जाएंगी । कॅरोना संक्रमण की वजह से चुनाव आयोग की जो गाइड लाइन मिली है, उसके अनुसार भी चुनाव प्रचार में दिक्कत आएगी । उपचुनाव में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सक्रिय भागीदारी की वजह से वैसे विपक्षी दलों के लिए चुनौती बन जाती है । उनकी आक्रामक भाषण शैली की वजह वोटों का ध्रुवीकरण भी हो जाता है ।
दूसरा एक और चुनौती समाजवादी पार्टी के लिए है । यहां के कुछ भाजपा नेताओं ने चुनाव को खर्चीला बना दिया है । इसलिए जिसे भी चुनाव लड़ना है, उसे पैसा भी पानी की तरह बहाना पड़ेगा। रणनीति भी ऐसी बनानी पड़ेगी जिससे वोटों का ध्रुवीकरण न हो। और व्यवहार में भी सतर्कता रखनी पड़ेगी, कि किसी के सम्मान और अहंकार को ठेस न लगे । क्योंकि मेरे भ्रमण के दौरान यहां की जनता ने कहा कि उन्हें सम्मान के सिवा और कुछ नही चाहिए।
एक अंतिम बात कह कर अपनी बात समाप्त करना चाहता हूं कि अपनी इस यात्रा के दौरान जिन जिन मुस्लिम बस्तियों में मैं गया, चर्चा के दौरान उन्होंने जोर देकर कहा कि यह सीट समाजवादी पार्टी को जीतना है, अगर इसके लिए वे किसी हिन्दू नेता को टिकट दे दें, तो वोटों का ध्रुवीकरण नही होगा, और हम सभी समाजवादी पार्टी को वोट करेंगे।
परीक्षा दोस्ती की है। अखिलेश यादव और मौलाना जावेद आब्दी की दोस्ती का । अब देखना है कि वे त्याग की मिशाल बनते हैं, जीत की बुनियाद रखते हैं, या फिर से शिकस्त मिलती है। नौगांवा विधानसभा का उपचुनाव जावेद आब्दी बनाम उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री होगा। तकरीर करने वाले जावेद आब्दी की तकरीर कितनी चुनाव में कामयाब होती है। इसकी परीक्षा है ।
प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव
पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट