हवा हवाई सपा नेता और अखिलेश का कन्नौजी दर्द

जाति, धर्म, सम्प्रदाय से ऊपर उठ कर शुचितापूर्ण ढंग से विकासोन्मुख होकर जिस युवा नेता ने उत्तर प्रदेश सरकार चलाई, अपने हवा हवाई नेताओं की वजह से उसे 2017 के विधानसभा चुनाव में 47 सीटों पर सिमटना पड़ा । अपने विकास कार्यों के आधार पर जो नेता 300 प्लस विधानसभा सीटें जीतने और विकास और सेवा की एक नजीर बनाना चाह रहा था। उसे उसके एहसानफरामोश नेताओं ने कहीं का नही छोड़ा। अखिलेश यादव ने सोचा कि 2017 में हमसे और हमारे नेताओं से गलती हुई है, उसकी भरपाई 2019 के चुनाव में हो जाएगी। अखिलेश यादव ने भाजपा को शिकस्त देने के लिए नेताजी मुलायम सिंह के विरोध के बावजूद बसपा से गठबंधन किया। लेकिन सत्ता के समय अकर्मण्य हो चुके सपा नेता प्रचार के नाम पर होटलों में गुलछर्रे उड़ाते रहे। यह सोच कर चुनाव प्रचार नही किया कि सपा और बसपा को पिछले चुनावों में मिले वोटों का योग भाजपा के वोटों से बहुत ज्यादा है। भाजपा ने इसी का लाभ उठाया । कछुए की तरह वोट पड़ने के अंतिम घड़ी तक मेहनत करती रही और उसका नतीजा यह हुआ कि समाजवादी पार्टी 5 सीटों पर सिमट गई । जिस कन्नौज की जनता के लिए अखिलेश यादव ने क्या नही किया ? उन्हीं नेताओं के कारनामों का खामियाजा अखिलेश यादव को डिम्पल के हार के रूप में भुगतना पड़ा। अपनी सरकार के दौरान उन्होंने कन्नौज की जनता के लिए अलग व्यवस्था दी। वहां का एक बच्चा भी अगर लखनऊ पहुच गया, तो बिना काम के नही लौटा। जब भी कभी अपने गांव सैफई गए, कन्नौज जिले में जहां किसी ने हाथ दे दिया, वहीं उनकी फ्लीट रुक गई। मिले, हाल-चाल पूछा, अगर कोई काम हुआ, तो उनके लखनऊ पहुचने के पहले हो गया। उस कन्नौज के हवा हवाई नेताओं के कारनामों की वजह से लोकसभा चुनाव के समय अखिलेश यादव और डिम्पल के मेहनत और निवेदन को भी जनता ने ठुकरा दिया। और जब नतीजा आया, तो डिम्पल चुनाव हार गई। एक नेता के रूप ने अपनी पत्नी और डिम्पल की हार स्वीकार कर ली। लेकिन कन्नौज के नेताओं के कारण जो घाव लगी, वह नासूर बन गई।
लोकसभा चुनाव के दो साल भी नही हुए कि वहां की जनता बेहाल हो गई। सारे विकास कार्य अवरुद्ध हो गए। भय का ऐसा खौफ पैदा किया गया कि आम जनता की कौन कहे, वहां के विपक्षी दलों के नेता भी आज कल अपने घरों में दुबके रहते हैं। सोशल मीडिया पर कोई कुछ भी लिख दी, लेकिन लोगों की गाड़ियों के झंडे उतर गए। जब मैं सरकार के दौरान कन्नौज गया था, ऊज़ समय हर दूसरी गाड़ी पर समाजवादी पार्टी के झंडे और कानफोडू हूटर दिखाई और सुनाई पड़ रहे थे। आज हूटर तो गधे की सींग की तरह गायब हो गए हैं, घंटों खड़े रहने के बाद भी किसी गाड़ी पर झंडे नही दिखाई देते। मेरी यात्रा इस जिले से भी होकर आई । यहां के कई प्रभावशाली नेताओं से मुलाकात भी हुई। उनके विचारों से मैं अवगत भी हुआ। लेकिन कन्नौज की जनता ने जो अपना दर्द बयां किया, वह काफी हॄदय विदारक है। सपा की दृष्टि से बहुत सोचनीय है। भले ही कोई विकास कार्य नही हो रहे हों, लेकिन वहां की ऐसी जनता, जो किसी दल से कोई सरोकार नहीं रखती, वह खुश है। आज उस पर कोई अनाचार, दुराचार और अत्याचार नही कर रहा है। लाख तकलीफों के बावजूद वह उफ नही कर रही है। लेकिन डिम्पल की हार का उसे दुख है। उसने किन परिस्थितियों में में डिम्पल को वोट नही किया। जब मैंने यह सवाल किया था, तो उसकी आंखें शून्य में टंग गई, उसने यह तो नही बताया कि क्यों वोट नही दिया। लेकिन उसने यह स्वीकार किया कि उससे गलती हई। जो कुछ उनके हवा हवाई नेताओं ने उनके साथ किया, उसमे न तो डिम्पल का दोष था और न अखिलेश का।
इस कोरोना संकट मे सभी हवा हवाई , स्वार्थी नेताओं से दूर, जो विधानसभा मे खुद की सीटें जीत रहे थे, और अन्य पड़ोसी विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी के नेताओं को हराने के लिए जमीनी प्रयास कर रहे थे, उसका नतीजा यह हुआ कि सभी चुनाव हार गए। ऐसे ऐसे दिग्गज हार गए, जिसके हार कि किसी ने कल्पना नही की थी।
कोरोना संकट काल मे अखिलेश यादव आज कल अपने नेताओं की इन्हीं गलतियों पर आत्ममंथन कर रहे हैं। उन्हें आज भी विश्वास है कि जिन नेताओं को उन्होंने इतना प्यार दिया है, उनकी हर बात मानी है, वे दो बार धोखा दे चुके हैं, अब आगे नही देंगे। उनके आत्ममंथन का दर्द और 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव जीतने की रणनीति उनके आह्वान पत्र और समाजवादी अगस्त क्रांति पत्रक में देखने को मिली।
रक्षाबंधन के त्योहार में हर वर्ष की तरह इस बार फिर अखिलेश यादव कन्नौज होते हुए सैफई गए। पहली बार वे सैफई में किसी से नही मिले, जबकि दूर दूर से लोग उनसे मिलने के लिए आये हुए थे। लेकिन आते जाते समय जब वे कन्नौज से गुजरे तो कन्नौज के हवा हवाई नेताओं का दिया हुआ नासूर फिर बह निकला । एक बार फिर कन्नौज की जनता के साथ उनका मन भी विदीर्ण हुआ और विचारों का यह लावा बह निकला ।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा यह मानकर चल रही है कि कन्नौज उनका घर नहीं है, वे वहां के राजनीतिक किरायेदार हैं जिन्हें किराया भी नहीं देना है। भाजपा सरकार को कन्नौज के विकास की चिंता नहीं है। बस समाजवादी सरकार के समय प्रारम्भ कामों में रोड़े अटकाना और समाजवादी पार्टी के नेतृत्व पर अनर्गल आरोप मढ़ना ही उन्हें आता है।
कन्नौज की ऐतिहासिक नगरी अपने इत्र के लिए मशहूर है। समाजवादी आंदोलन के प्रखर महानायक डाॅ0 राममनोहर लोहिया की यह कर्मस्थली रही है। वे यहां से निर्वाचित लोकसभा सदस्य रहे हैं। डाॅ0 राम मनोहर लोहिया के विचारों से प्रेरणा लेकर समाजवादी राजनीति को सामाजिक सरोकारों से जोड़कर विकासकार्यों को प्राथमिकता में रखते रहे हैं।
समाजवादी सरकार में कन्नौज में मेडिकल कालेज 2016 में उद्घाटन हुआ था। करोड़ों रूपए की लागत से जिला अस्पताल में बना ट्रामासेन्टर चार साल पहले बनकर तैयार हुआ। इसकी इमारत में करोड़ों रूपए की कई मशीने व उपकरण लगे हैं। भाजपा सरकार ने इसे शुरू नहीं कराया बल्कि यहां पुलिस चौकी बनवा दी। आज कोरोना संकट काल में इलाज का यह केन्द्र बनता पर भाजपा को तो समाजवादी सरकार के कामों को उजाड़ना है।
समाजवादी सरकार में कन्नौज में सड़क, कृषिमण्डी निर्माण तथा अन्य विकास कार्य हुए। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे जैसी कोई दूसरी सड़क देश में नहीं है जिसके किनारे दूध, आलू, फल, सब्जी तथा खाद्यान्न की मंडियां स्थापित होनी थी। कन्नौज से तिर्वा, छिबरामऊ से विधूना, तिर्वा से बेला फोरलेन सड़कों का निर्माण हुआ।
समाजवादी सरकार के कार्यकाल में छिबरामऊ में 100 शैया का अस्पताल, कन्नौज में पैरामेडिकल नर्सिंग काॅलेज, स्टेडियम, कृषि उत्पादन मण्डी भवन के अतिरिक्त फ्लाई ओवर पुल का निर्माण हुआ। तिर्वा क्षेत्र में किसान मण्डी, पाॅलीटेक्निक इंस्टीट्यूट और इंजीनियरिंग काॅलेज बने। कन्नौज क्षेत्र में डेयरी काउ मिल्क प्लांट, फकीरे पुर्वा तिर्वा क्षेत्र में बहुत बड़ा सौर ऊर्जा प्लांट तथा कन्नौज से हरदोई जोड़ने हेतु गंगा नदी पर सबसे बड़े पुल निर्माण का कार्य भी समाजवादी सरकार के समय पूरा हुआ है।
समाजवादी सरकार के समय कन्नौज-जनपद में कैंसर अस्पताल, हृदय संस्थान, 100 शैया का महिला अस्पताल के निर्माण के साथ उपचार के लिए 100 एम्बूलेंस बसों की व्यवस्था की गई थी। 5 सीएचसी और 10 पीएचसी का निर्माण कराया गया। काली नदी, ईशन नदी पर पुल के साथ कई सरकारी कार्यालयों का निर्माण कार्य भी सम्पन्न हुआ। किसान बाजार तिर्वा और किसानमंडी ठठिया के अलावा सेन्टर ऑफ एक्सीलेंट वेजिटेबल सेन्टर और वकीलों के लिए सौ चेम्बरों का निर्माण कार्य भी हुआ।
उच्च शिक्षा तथा तकनीकी क्षेत्र में इंजीनियरिंग काॅलेज आईटीआई, महिला विद्यालय, परिवहन में 20 बसें, गांव में पानी के लिए 200 टंकी का निर्माण और कन्नौज के प्रत्येक गांव में विद्युतीकरण, 33 केवी के 7 सब स्टेशन का निर्माण कार्य भी समाजवादी सरकार ने किया।
लोकराज में लोकलाज होनी चाहिए किन्तु भाजपा को तो लोकतांत्रिक मूल्यों की कभी चिंता नहीं रहती है। अपनी जिम्मेदारियों के निर्वहन की जगह समाजवादी सरकार के समय प्रारम्भ विकास कार्यों की प्रगति में अवरोध खड़ा करना ही भाजपा बड़ा काम समझती है। भाजपाइयों का कम से कम नैतिक मर्यादाओं का पालन करना चाहिए और समाजवादी पार्टी पर अनर्गल आरोप नहीं लगाने चाहिए। भाजपा सरकार बताये उसके कार्यकाल में कन्नौज कितने विकास कार्य किए कितने काॅलेज, मेडिकल कालेज खुले? किसानों, नौजवानों के लिए क्या किया गया?
यह बात तो सभी को पता है कि समाजवादी पार्टी कभी भी जातिवादी नहीं रही है। सभी वर्गों का सम्मान समाजवादी पार्टी में रहा है। इसके विपरीत भाजपा नफरत और बंटवारे की राजनीति करती रही है। विपक्ष के प्रति उसका रवैया बदले की भावना का होता है। समाजवादी सबको साथ लेकर चलते हैं तो भाजपा फूट डालने की नीति पर चलती है। भाजपा ने प्रदेश को सिर्फ बदनामी के सिवा कुछ नहीं दिया है। सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश के ऐसे सभी नेताओं को जिन्हें अखिलेश यादव ने सम्मान दिया, प्यार दिया। उनकी अक्षम्य गलतियों को भी क्षमा कर दिया। उन्हें स्वेच्छा से उठ खड़े होना चाहिए। समाजवादी अगस्त पत्रक के रूप में जो उनकी रणनीति है, उसके अनुसार सभी को लेकर जनता का विश्वास जीतना चाहिए। जनता से संवेदनशील रिश्ते कायम करना चाहिए। उनके बीच उठना, बैठना चाहिए, जिससे एक बार फिर अखिलेश यादव उनके ऊपर गर्व कर सके। 2022 में विकास की वैतरणी प्रवाहित कर सकें, अपने ही नही, उत्तर प्रदेश के अंतिम व्यक्ति के सपनों का उत्तर प्रदेश बना सकें।
प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव
पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट