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हर परिस्थिति में अपने कर्तव्य पथ पर डटे रहने वाले योद्धा का नाम है योगी आदित्यनाथ....

हर परिस्थिति में अपने कर्तव्य पथ पर डटे रहने वाले योद्धा का नाम है योगी आदित्यनाथ....
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मन्दिर के स्तम्भ १

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हर परिस्थिति में अपने कर्तव्य पथ पर डटे रहने वाले योद्धा का नाम है योगी आदित्यनाथ....

वे जब नाथ सम्प्रदाय के एक सामान्य सन्यासी थे, तब भी स्पष्ट बोलते थे। जब महन्थ हुए, तब भी स्पष्ट बोलते रहे... भारत की लोकतांत्रिक परम्परा है कि राजनीति में आते ही व्यक्ति की धर्म विषयक प्रखरता समाप्त हो जाती है, पर योगी जी जब सांसद बने तब भी स्पष्ट बोलते रहे। और जब वे देश के सबसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री हुए तब भी स्पष्ट बोलना नहीं छोड़ा। भारतीय राजनीति में हिन्दू जनभावना के पक्ष में इतनी प्रखरता से बोलने वाला एक भी व्यक्ति नहीं।

योगी जी की कई बातों के लिए आलोचना हो सकती है। उनके काम करने के तरीके को लेकर, उनके प्रशासन की अक्षमता-सक्षमता को लेकर, उनकी सरकार की कमियों को लेकर... आलोचनाएं होती हैं, होनी भी चाहिए। हर सरकार की कुछ अच्छाइयां होती हैं, तो कुछ कमजोरियां भी होती हैं। योगी सरकार की भी अनेक कमियां होंगी, उनकी सभ्य आलोचना हो सकती है। पर इतना अवश्य है कि अपने जिस हिंदुत्ववादी विचारधारा के लिए वे सम्मान, स्नेह और सत्ता पाए हैं, सत्ता मिलने के बाद वे उससे इंच भर नहीं डिगे हैं। योगी जी पर हजार प्रश्न उठाये जा सकते हैं, पर अपने धर्म के प्रति उस व्यक्ति की निष्ठा पर कोई प्रश्न खड़ा नहीं हो सकता। हिंदुत्व के लिए इस युवा सन्यासी ने जिस समर्पण के साथ काम किया है, वह अद्भुत है।

राम मंदिर आंदोलन के समय में योगी जी की कोई बड़ी भूमिका भले न रही हो, पर उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने अयोध्या के लिए जिस समर्पित भाव से काम किया है, वह उन्हें अयोध्या पुनरुद्धार में सबसे बड़ा चेहरा बना देता है। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने अयोध्या को उसी तरह सजाया है, जिस तरह कभी वन से लौटते प्रभु श्रीराम के लिए महात्मा भरत ने सजाया होगा।

उस दिन शिलान्यास के बाद मंच से बोलते समय जब उनका स्वर भर्रा गया, तो लगा जैसे हम जैसे असँख्य हिन्दुओं की तरह यह साधु भी रो उठा है। वह दिन शायद खुशी के मारे रो उठने का ही दिन था।

सच पूछिए तो योगी जी ने भी मन्दिर के लिए कठिन तपस्या की है। बीच के दिनों में जब 'मीडियाई विदूषक' मन्दिर बनाने की तारीख पूछ कर सारे भाजपाई नेताओं को असहज कर देते थे, तब योगी जी ही एकलौते बड़े नेता थे जो बिना असहज हुए दावा करते थे कि मन्दिर वहीं बनाएंगे, इसी साल बनाएंगे...

योगी जी भारतीय लोकतंत्र के पहले मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने झूठे सेक्युलरिज्म की फर्जी चादर फेंक कर कहा कि " मैं हिन्दू हूँ और हिन्दू हित की बात करूंगा।" ऐसा नहीं कि उन्होंने अन्य धर्मावलंबियों के लिए स्थिति बुरी कर दी, बस उन्होंने सेक्युलरिज्म के नाम पर हिन्दुओं को पीछे ढकेलने का तमाशा बन्द कर दिया। सच्चे अर्थों में उन्होंने पहली बार अपने राज्य में "सर्व धर्म समभाव" लागू किया। इसके लिए उन्हें बधाई दी जानी चाहिए।

योगी जी नगरों को सजाने में सिद्ध हैं। पहले गोरखपुर, फिर अयोध्या... संयोग से ईश्वर ने उन्हें उस राज्य का नायक बनाया है जिसमें सनातन लोक आस्था के तीन सबसे बड़े केंद्र हैं। अयोध्या तो चमक उठी है, अब आशा की जा सकती है कि वे मथुरा और काशी को भी सुन्दर से सुन्दरतम बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। भगवान कृष्ण उन्हें ऐसा कर सकने की शक्ति दें...

सर्वेश तिवारी श्रीमुख

गोपालगंज, बिहार।

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