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अयोध्या में भूमि पूजन, बदायूँ में सार्वजनिक दीपावली

अयोध्या में भूमि पूजन, बदायूँ में सार्वजनिक दीपावली
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एक लंबे अंतराल की वैधानिक लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में सिया मैया के साथ भगवान श्रीराम के सनातनी परंपरा का अनुपालन करते हुए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर निर्माण की प्रक्रिया का धार्मिक अनुष्ठान करते हुए शिलान्यास किया। अपने उद्बोधन की शुरुआत सियावर राम की जय के साथ समाजवादी शब्द की एक बार पुनः गरिमा फिर प्रतिस्थापित की । दलों के दलदल से निकल कर सम्पूर्ण भारतीय जनता ने इस पुनीत कार्य को टीवी पर देखा। हर जगह सिर्फ एक ही चर्चा होती रही । राम मंदिर का 2022 के विधानसभा चुनाव पर राम मंदिर निर्माण का प्रभाव नही पड़ेगा, ऐसा कहने वाले समाजवादी नेता और विचारक भी राम मंदिर के पक्ष और प्रभाव से खुद को निर्लिप्त नही रख सके। जम कर प्रशंसा करते रहे। सिर्फ श्रीराम मंदिर की नही, मोदी की भी ।

पिछले एक महीने से मैं कोरोना - पर्यावरण जागरूकता अभियान शहीद सम्मान सायकिल यात्रा पर हूँ। इसी जागरण और सम्मान यात्रा के तहत मैं इन दिनों बदायूँ जिले में हूँ। 5 अगस्त की सुबह यानी अयोध्या में श्रीराम मंदिर के शिलान्यास के दिन मैं दातागंज के समीप स्थित दातागंज से चला, विभिन्न गावों में जागरण करते हुए शाम को बदायूँ पहुंचा। यहीं पर अपने एक बैंककर्मी मित्र के यहां रात्रि विश्राम करना था। उनका कार्य स्थल करीब 25 किलोमीटर दूर होने की वजह से मुझे बदायूँ घूमने और कुछ लोगों से विशद चर्चा करने जा समय मिला। यहां पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव की कोठी है, उसे भी देखने की इच्छा थी। इस कारण वहां भी गया। वहां उनके पीए अवधेश जी के विचार व अनुभव सुने। उन्होंने ही बताया कि वे जनेश्वर मिश्र के साथ भी रह चुके हैं। कल उनकी जयंती भी थी। उनसे जुड़े कुछ संस्मरण भी उन्होंने सुनाया। समाजवादी पार्टी के बारे में कई तथ्य उन्होंने जो बताए, वे जमीनी हकीकत, जिसका मैंने अनुभव किया, उसे मेल नही खाई । खैर लगभग दो घंटे के लंबी बातचीत के बाद अचानक उन्होंने मुझे विदा किया। जिनके घर मुझे ठहरना था, उनके आने में करीब 20 मिनट की देरी थी। इसलिए अपनी साइकिल खड़ी कर बाहर खड़े होकर उनका इंतजार करता रहा और आने जाने वालों की भाव भंगिमा के आधार पर समाजवाद की लोकप्रियता को मापता रहा। इस लेख में उसका वर्णन समीचीन नही है। खैर करीब आधे घंटे बाद मेरे मित्र आये, सायकिल चलाते हुए मैं उनके घर पहुंचा। अयोध्या राम मंदिर जी कुछ झलकियां देखने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण सुनने की जिज्ञासा हुई। लेकिन बंदरों की वजह से उसमें कुछ खराबी आ गई थी। इस वजह से न तो कुछ देख सका, और न कुछ सुन सका। करीब एक घंटे बाद अंधेरा हो गया और बाहर पाठकों की आवाज सुनाई दी। तभी एक बार फिर चेतना ने झकझोरा कि आज के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दीपावली मनाने को कहा है। यानी आज उसकी झलक मैं बदायूँ में भी देख सकता हूँ । मैंने देखा कि अपने अपने घरों से निकल कर लोगों ने बदायूँ के भव्य और सुंदर बने चौराहों की जगमग कर दिया। अपने घरों के छज्जों पर दीपक जलाएं। घर के द्वार पर दीपकों की लंबी कतार दिखाई दी। यह सब देख कर मैं भी भाव विभोर हो गया। विचारमग्न हो गया। सोचने लगा कि इसी तरह भगवान राम जब 14 वर्ष का वनवास काट कर अयोध्या लौटे होंगे, तो लोगों ने दीपावली मनाई होगी। हर्ष व्यक्त किया होगा। एक दूसरे के गले मिले होंगे। यह सब बदायूँ की जनता के चेहरे पर भी देख कर मुझे आभास हुआ। लोगों के चेहरों पर न दिनभर की थकान थी, न कॅरोना का खौफ। हालांकि अधिकांश लोगों ने मास्क लगाए थे या गमछे से अपना मुंह ढका हुआ था। कुछ लोग जो मास्क या गमछे से मुंह नही ढके हुए थे, मैंने जब उनका ध्यान इस तरफ दिलाया, तो मुस्कराते हुए निकल गए। कुछ लोग जय श्रीराम के नारे लगाए।

कुछ भी हो, एक बात तो तय है कि भगवान श्रीराम इस देश की जनता के रोम रोम और श्वास श्वास में समाए हुए हैं। अयोध्या में मंदिर का शिलान्यास और बदायूँ की दीपावली और हर्षित चेहरे तो कुछ ऐसा ही संकेत दे रहे है। बदायूँ की यात्रा के दौरान कई जगह लोगों के अयोध्या जाने और उनके मंदिर निर्माण की गति देखने की भी चर्चाएं सुनने को मिली। यानी 5 अगस्त की दीपावली मनाने की शुरुआत जो देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है, वह हर साल मनाई जा सकती है । यानी भारत मे दो दीपावली। 500 साल के मंदिर निर्माण की प्रतीक्षा की दीपावली के हर्ष के रूप में परिणीति ।

प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव

पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट

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