Janta Ki Awaz
लेख

उत्तरप्रदेश , अपराध, राजनीति एवं एस. टी. एफ. : पंकज कुमार पांडेय

उत्तरप्रदेश , अपराध, राजनीति एवं एस. टी. एफ. : पंकज कुमार पांडेय
X

गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद उत्तर प्रदेश में राजनीतिक पार्टियां खासकर विपक्ष सियासी माहौल बदलने की पुरजोर कोशिश में लगा है. ​विकास दुबे एनकाउंटर के बाद बदले सियासी माहौल में जातीय राजनीति चरम पर है. इन बदले समीकरणों से भाजपा के रणनीतिकार भी चिंतित हैं. सोशल मीडिया पर बाकायदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ब्राह्मण विरोधी बताने का नरेटिव बिल्ड किया जा रहा है.

समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस सभी ने इस मामले में सरकार की खिंचाई की और ब्राह्मण समाज से हमदर्दी जताने की कोशिश की. सोशल मीडिया पर न सिर्फ़ इस घटना का बल्कि पिछले तीन साल में ब्राह्मणों की हत्या के आंकड़े पेश करके सरकार को उसकी ज़िम्मेदार बताने की कोशिश हो रही है.

इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर ऐसी तस्वीरें और वीडियो शेयर किए जाने लगे जिसमें कोई ब्राह्मण व्यक्ति अपनी छत पर लगे भारतीय जनता पार्टी के झंडे को बेहद ग़ुस्से में फाड़ रहा है तो कोई युवक अपनी गाड़ी में लगे झंडे को निकाल कर फेंक रहा है और बीजेपी को कभी वोट न देने की क़सम खा रहा।

दिल्ली से जो तमाम तरह की व्याख्याएं उभर रही हैं वे न केवल 'बदनाम यूपी' के बारे में महानगरीय घिसी-पिटी कल्पनाओं पर आधारित हैं बल्कि इन धारणाओं को और मजबूत ही करती हैं. विकास दुबे किस तरह यूपी का डॉन बन गया और गिरफ्तार होने के बाद उसके खुलासों से सरकार भी किस तरह गिर सकती थी, ये सब मीडिया की उत्तेजना में उभरी खामख्याली की ही देन हैं जो बहस के स्तर को कमजोर करती है.

पिछले कुछ वर्षों में अतीक अहमद, धनंजय सिंह या बिहार के मोहम्मद शहाबुद्दीन जैसे कई माफिया सरगना उभरे, वे गिरफ्तार भी किए गए लेकिन उन्होंने जांच एजेंसियों के सामने जो खुलासे किए होंगे उनका कोई राजनीतिक नतीजा निकला हो, यह हमने तो नहीं सुना. वास्तव में, यूपी के स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने श्री प्रकाश शुक्ल और कई नेताओं के बीच साठगांठ के ठोस सबूत भी पेश किए थे, मगर इन नेताओं से किसी ने इस्तीफे की मांग की हो यह हमने नहीं सुना।

दरअसल घर बड़ी घटनाओं को लेकर राजनीतिक चश्मे अलग अलग होते हैं, पर बमुश्किल सत्य यही है कि अपराधी, और अपराध को पुलिस अपने चश्मे से देखती है, राजनीति दृष्टिकोण से परे उत्तर प्रदेश में संगठित बड़े अपराधों के शमन एवं दमन हेतु उत्तर प्रदेश पुलिस में यूपी एसटीएफ एक बहुत ही जरुरी हिस्सा है। प्रदेश को सुरक्षित बनाने के लिए जितना सामाजिक अपराध रोकना जरुरी है, उतना ही संगठित अपराध पर नकेल कसना भी जरुरी है। इसके लिए यूपी में संगठित अपराधों से निपटने के लिए यूपी पुलिस से ही चुने गए सबसे बेहतर लोगों की अलग फोर्स बनाई गई। गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने बताया कि सर्विलांस के तहत 74 से अधिक हत्या, लूट सरीखे जघन्य अपराधों को रोकने में सफलता मिली। साथ ही इनामी अपराधियों समेत 885 अपराधियों की गिरफ्तारी हुई। एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार किए गए 885 में से 587 संगठित अपराधकर्ता एवं नौ साइबर अपराधी शामिल हैं। पकड़े गए अपराधियों में 11 दर्जन से अधिक अपराधी इनामी हैं। एसटीएफ के साथ पिछले साल अपराधियों की हुई मुठभेड़ में पांच बड़े इनामी अपराधियों की मृत्यु हुई है। मारे गए अपराधियों में सवा लाख रुपये का इनामी अपराधी आदेश बालियान, एक-एक लाख रुपये का इनामी अपराधी तौकीर व मेहरबान और 50-50 हजार रुपये के इनामी अपराधी बब्लू उर्फ पतला छैमार व सचिन पांडे शामिल हैं। अपर मुख्य सचिव ने बताया कि फर्जीवाड़ा करने वाले अपराधियों पर भी एसटीएफ ने शिकंजा कसा। इसके तहत 14 शिक्षकों को भी गिरफ्तार किया गया है। साथ ही भर्ती परीक्षाओं से जुड़े 166 अभियुक्तों की भी गिरफ्तारी हुई है। इनमें नकल कराने वाले गैंग के सरगना व सॉल्वर शामिल हैं। 2019 की बोर्ड परीक्षा के दौरान पांच गिरोहों से जुड़े 40 अभियुक्तों की भी गिरफ्तारी की गई है।

इन सभी तथ्यों की निष्पक्ष विवेचना से यह तो स्पष्ट है, कि तमाम राजनीतिक दुर्वाग्रहों से परे यह स्पष्ट है कि अपराध पर रोक लगाने वाली पुलिस पर राजनीतिक पक्षधरता का आरोप लगता दिखे पर उत्तर प्रदेश एस टी एफ , की अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस स्पष्ट दृष्टिगोचर हो रही है। बिना राग द्वेष के इस सत्य तो स्वीकारना उत्तर प्रदेश के भविष्य में सकारात्मक परिणाम देगा।

पंकज कुमार पांडेय

सामाजिक चिंतक

संतकबीरनगर, उत्तर प्रदेश।

Next Story
Share it