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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लद्दाख दौरा – वैश्विक रणनीति व कूटनीति का हिस्सा - प्रोफेसर (डॉ.) योगेन्द्र यादव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लद्दाख दौरा – वैश्विक रणनीति व कूटनीति का हिस्सा - प्रोफेसर (डॉ.) योगेन्द्र यादव
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आज सुबह लद्दाख पहुँचना और जवानों को संबोधित करना महज इत्तेफाक नहीं हो सकता। वह एक मुकम्मल रणनीति

का हिस्सा है । उनकी इस यात्रा और सम्बोधन का सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उनके सम्बोधन के बाद देश के सभी सैनिकों का मॉरल खुद ब खुद ऊंचा हो जाएगा । अपनी इस यात्रा से उन्हें बाद में राष्ट्र को संबोधित करने में भी मदद मिलेगी सीमा पर घटित किसी भी घटना का विश्लेषण करने में सुविधा होगी । लेह और लद्दाख में किस प्रकार और किस तापमान में जवान देश की सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं। इससे उनकी जरूरतों के लिए निर्णय लेने में भी प्रधानमंत्री को सुविधा होगी । अपने दौरे के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के जवानों से खुद बात की। इससे उन्हें छोटी से छोटी बातों का भी पता चला । इससे दिल्ली पहुँचने के बाद उनके हित में कुछ निर्णय तुरंत लेकर उनकी समस्याओं को दूर कर सकते हैं । प्रधानमंत्री के सीधे उनसे संवाद और भ्रमण करने के बाद मंत्रालयों के बीच में जो फाइलों के निस्तारण की प्रक्रिया होती है, उसकी भी जरूरत समाप्त हो जाती है । उनसे जुड़ा कोई मसला तुरंत सुलट जाता है।

देश के प्रधानमंत्री के जाने से यह सीधा संदेश जाता है कि देश अपने जवानों के साथ है और सरकार सेना के हर जरूरत के लिए और हर ऐक्शन के लिए साथ खड़ी है । जैसा कि पहले ही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना के कमांडरों को इस बात की अनुमति प्रदान कर दी है कि ऑनग्राउंड कुछ होता है, उस पर वे निर्णय लेने के लिए आजाद हैं। भारत सरकार और देश का प्रधानमंत्री उनके उस निर्णय के साथ खड़ा है ।

इससे देश के जवानों के बीच की जो गफलत होती है, वह भी दूर होती है ।

अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न जाते तो हमारे जवानो को यह पता ही नहीं होता है कि जो हमारा कमांडर बोल रहा है, पता नहीं, वह इनका खुद का आदेश है, या हमारे देश की सरकार का । नरेंद्र मोदी के जाने से इस प्रकार के चिंतन पर भी विराम लगता है और सेना के सभी जवान एकमत होकर दुश्मन क कड़ा जवाब देते हैं । दूसरे अपनी इस यात्रा के द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिर्फ देश के जवानों, अधिकारियों को ही नहीं, चीन सहित सम्पूर्ण विश्व को यह संदेश देने की कोशिश की है कि पूरी सरकार और सेना मुस्तैदी के साथ एकमत से अपनी सीमा की रक्षा करने के लिए मुस्तैद है । इससे जहां एक ओर दुश्मन देशों का मॉरल डाउन होगा, वहीं विश्व के अन्य देश भी भारत के पक्ष में खुल कर खड़े होंगे और चीन की विस्तारवादी नीति का विरोध करेंगे ।

जिनके सिंहनाद से सहमी धरती रही अभी तक डोल कलम, आज उनकी जय बोल, पंक्तियों से अपना सम्बोधन शुरू करके उन्होने जहां एक ओर अपने जवानों का हौसला आफजाई किया, वहीं दूसरी ओर उनका सम्मान करके यह बता दिया कि देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले ही सर्वोच्च सम्मान के हकदार हैं । उन्होने अपने सम्बोधन में आगे कहा कि आपका ये हौसला, शौर्य और मां भारती के मान-सम्मान की रक्षा के लिए आपका समर्पण अतुलनीय है। आपकी जीवटता भी जीवन में किसी से कम नहीं है। जिन कठिन परिस्थितियों में जिस ऊंचाई पर आप मां भारती की ढाल बनकर उसकी रक्षा, उसकी सेवा करते हैं, उसका मुकाबला पूरे विश्व में कोई नहीं कर सकता। आपका साहस उस ऊंचाई से भी ऊंचा है, जहां आप तैनात हैं। आपका निश्चय उस घाटी से भी सख्त है, जिसको आप रोज अपने कदमों से नापते हैं। आपकी भुजाएं उन चट्टानों जैसी मजबूत हैं, जो आपके इर्द-गिर्द हैं। आपकी इच्छा शक्ति आस पास के पर्वतों की तरह अटल हैं।

अभी हाल में ही जो आपने और आपके साथियों ने वीरता दिखाई है, उसने पूरी दुनिया में ये संदेश दिया है कि भारत की ताकत क्या है। जब देश की रक्षा आपके हाथों में है, आपके मजबूत इरादों में है, तो सिर्फ मुझे ही नहीं बल्कि पूरे देश को अटूट विश्वास है और देश निश्चिंत भी है। पूर्व-पश्चिम, उत्तर-दक्षिण से देश के हर कोने से देश के वीरों ने अपना शौर्य दिखाया। उनके सिंहनाद से धरती अब भी उनका जयकारा कर रही है। आज हर देशवासी का शीश आपके सामने आदरपूर्वक नतमस्तक होकर नमन करता है। हर आक्रमण के बाद भारत और मजबूत होकर उभरा है। राष्ट्र की, दुनिया की, मानवता की प्रगति के लिए शांति और मित्रता हर कोई मानता है। हम यह भी जानते हैं कि कमजोर शांति की पहल नहीं कर सकता। वीरता ही शांति की शर्त होगी। भारत आज जल-थल-नभ तक अपनी ताकत बढ़ा रहा है तो उसके पीछे का लक्ष्य मानव कल्याण ही है।

विश्व युद्ध हो या विश्व शांति की बात, जब भी जरूरत पड़ी है विश्व ने हमारे वीरों का पराक्रम देखा भी है और महसूस भी किया है। हमने हमेशा मानवता और इंसानियत की रक्षा के लिए काम किया है। आप सभी भारत के इसी लक्ष्य को साबित करने वाले अगवा लीडर हो।

आज विश्व विस्तारवाद नहीं, विकासवाद को समर्पित है और विकास की खुली स्पर्धा का स्वागत कर रहा है। राष्ट्र रक्षा से जुड़े किसी लीडर के बारे में सोचता हूं तो मैं सबसे पहले दो माताओं का स्मरण करता हूं। पहली हम सभी की भारत माता, दूसरी वे वीर माताएं जिन्होंने आप जैसे योद्धाओं को जन्म दिया है।

आपके, आपके परिवार के सम्मान और भारत माता की सुरक्षा को देश सर्वोच्च प्राथमिकता देता है। सेना के लिए आधुनिक हथियार हो या आपने लिए साजो सामान, हम इस पर बहुत ध्यान देते रहे हैं। बॉर्डर इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च करीब 3 गुना कर दिया गया है। इससे बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट और सीमा पर सड़कें-पुल बनाने का काम भी बहुत तेजी से हुआ है। अब आप तक सामान भी कम समय में पहुंचता है। सेनाओं में समन्वय के लिए चीफ ऑफ डिफेंस के गठन की बात हो या वॉर मेमोरियल का या फिर वन-पेंशन वन रैंक की बात हो। हम सेनाओं और सैनिकों को मजबूत कर रहे हैं।

गलवान में जो अदम्य साहस दिखाया वो पराक्रम की पराकाष्ठा है। आपके साथ ही हमारे आईटीबीपी के जवान हों, बीएसएफ के साथी हों, बीआरओ, दूसरे संगठनों के जवान हों, आप सभी अद्भुत काम कर रहे हैं। कंधे से कंधा मिलाकर मां भारती की रक्षा के लिए समर्पित हैं। आप सभी की मेहनत से देश अनेक आपदाओं से एक साथ और पूरी जड़ता से लड़ रहा है। आप सभी से प्रेरणा लेते हुए हम मिलकर हर चुनौती पर विजय प्राप्त करते रहे हैं और करते रहेंगे। जिस भारत के सपने को लेकर आप सरहद पर देश की रक्षा कर रहे हैं, हम आपके सपनों का भारत बनाएंगे। इसमें 130 करोड़ देशवासी पीछे नहीं रहेंगे। मैं आपको यह विश्वास दिलाने आया हूं। हम आत्मनिर्भर भारत बनाकर ही रहेंगे।

अचानक लद्दाख पहुँचना, वहाँ जाकर स्थलीय निरीक्षण करना और फिर जवानों को संबोधित करने से जो संदेश दुनिया और जवानों को देना था, वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दे दिया । देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिर्फ अपनी सीमाओं की मुस्तैदी की ही बात नहीं की, बल्कि देश की सरकार और वे खुद उनके लिए क्या कर रहे हैं, और क्या करने वाले हैं, अपने भाषण में इसका उल्लेख करके जवानों को संतोष देने का भी प्रयास किया । उन्होने सिर्फ पुरुष जवानों की ही बात नहीं की, महिला जवानों द्वारा उस विषम परिस्थितियों में देश की सुरक्षा के लिए पुरुषों के कंधे से कंधा मिला कर चलने को भी सराहा । देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस तरह से भारत चीन सीमा पर उत्पन्न तनाव को कम करने और चीन की दोगली प्रवृत्ति को पहचान कर हर प्रकार की तैयारी करके यह जतला दीय है कि अगर जरा सी भी गलती चीन की ओर से हुई, तो भारत इस बार भी चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए प्रतिबद्ध है । इससे के बात तो साफ हो गई कि अपने लद्दाख दौरे से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को कूटिनीतिक और रणनीतिक बढ़त दिला दी है ।

प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव

पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट

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