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जीएसटी सुधार से हाउसिंग सेक्टर में बढ़ोतरी और कीमत व पारदर्शिता में सुधार की संभावना

जीएसटी सुधार से हाउसिंग सेक्टर में बढ़ोतरी और कीमत व पारदर्शिता में सुधार की संभावना
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56वें गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) काउंसिल की बैठक 3 और 4 सितंबर 2025 को निर्धारित है। अपने 79वें स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने दीवाली के समय 'नेक्स्ट जनरेशन' के जीएसटी सुधारों को लागू करने की घोषणा की थी। वर्तमान चार-रेट संरचना को दो में बदलकर, 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत टैक्स स्लैब हटाकर, 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत स्लैब को बनाए रखते हुए और सिन गुड्स के लिए 40 प्रतिशत स्लैब पेश करते हुए, सरकार व्यवसायों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए बड़ी राहत प्रदान करने जा रही है। 28 प्रतिशत श्रेणी की वस्तुएं 18 प्रतिशत स्लैब में आने की संभावना है, जबकि वर्तमान में 12 प्रतिशत पर कर लगाए जाने वाले आइटम 5 प्रतिशत स्लैब में आने की संभावना है।

अर्थव्यवस्था के विभिन्न सेक्टर, जिनमें रियल एस्टेट भी शामिल है, आगामी बैठक पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, जीएसटी काउंसिल सीमेंट पर जीएसटी घटाने की योजना पर विचार कर सकती है, जो निर्माण और रियल एस्टेट सेक्टर के लिए एक इनपुट है, और इसे 28 प्रतिशत से 18 प्रतिशत स्लैब में शिफ्ट किया जा सकता है।

उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार, पिछली चार-रेट जीएसटी संरचना अक्सर निर्माण और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टरों में अनुपालन चुनौतियों और उच्च इनपुट लागत का कारण बनती थी। स्लैब्स को सरल बनाकर, सरकार का उद्देश्य कराधान को आसान बनाना, करों के परस्पर प्रभाव को कम करना और व्यवसाय करने की सुविधा में सुधार करना है।

मुख्य सामग्री पर कर भार कम होने के साथ, रियल एस्टेट डेवलपर्स निर्माण की कुल लागत में कमी का अनुभव कर सकते हैं, जिसका लाभ होमबायर्स को कीमतों में कमी के रूप में मिल सकता है। इसके अलावा, डेवलपर्स का मानना है कि सरल दो-स्लैब जीएसटी संरचना कर अनुपालन को सुगम बनाएगी और प्रशासनिक बोझ को कम करेगी, जिससे अंततः उपभोक्ताओं को लाभ मिलेगा।

श्री अशोक कपूर, चेयरमैन, कृष्णा ग्रुप और क्रिसुमी कॉर्पोरेशन, ने कहा, “आगामी जीएसटी काउंसिल की बैठक जीएसटी संरचना में कई सुधार लाने की उम्मीद है, जिससे पूरी अर्थव्यवस्था को लाभ होगा, और हाउसिंग सेक्टर 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत की सरल दो-स्लैब कर संरचना से लाभान्वित होने के लिए अच्छी स्थिति में है। सीमेंट जैसी कच्ची सामग्री पर कर में कमी के साथ, घरों के निर्माण की कुल लागत निश्चित रूप से घटेगी, जिससे होमबायर्स को लंबे समय में लाभ मिलेगा।”

उन्होंने आगे कहा, “ये सुधार उस समय पर एक उचित कदम हैं, जब मूल्य-उन्मुख प्रोजेक्ट लॉन्च करने के लिए रियल एस्टेट डेवलपर्स को अधिक सावधानी से योजना बनानी होती है। भविष्य की ओर देखते हुए, भारत का हाउसिंग सेक्टर गुणवत्ता वाले घरों की मजबूत मांग के चलते लचीलापन और वृद्धि के संकेत दिखाता रहेगा।”

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