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ज्येष्ठ माह की विनायक चतुर्थी आज…इस कथा को पढ़ने से बप्पा हर लेंगे आपके सारे विध्न!

ज्येष्ठ माह की विनायक चतुर्थी आज…इस कथा को पढ़ने से बप्पा हर लेंगे आपके सारे विध्न!
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हर महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि विनायक चतुर्थी का व्रत रखा जाता है. हिंदू धर्म में श्री गणेश को चतुर्थी तिथि का अधिष्ठाता माना गया है. इन्हें बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता भी कहा जाता है.

सनातन धर्म में ग्रह दशाओं, शुभ योग और शुभ मुहुर्त का विशेष ध्यान दिया जाता है तभी हर त्यौहार की पूजा के लिए शुभ मुहुर्त देखने का विधान चला आ रहा है. इस बार विनायक चतुर्थी के शुभ दिन दो अति शुभ योगों का निर्माण हो रहा है. वैदिक पंचांग के अनुसार, शुक्रवार 30 मई को विनायक चतुर्थी का व्रत और पूजन है. वैसे तो ये व्रत प्रत्येक माह की शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है लेकिन इस बार रवि और सर्वार्थ सिद्धि योग के मिलाप से ये व्रत और भी फलकारी माना जा रहा है.

विनायक चतुर्थी का महत्व (Vinayak chaturthi significance)

ये व्रत भगवान गणेश को समर्पित है जो भी भक्ति भाव से भगवान विनायक की पूजा और व्रत करता है उसके जीवन से सभी बाधाएं मिट जाती हैं. भगवान गणेण देवों में प्रथम पूज्य है. ये भक्तों के विध्न हर लेते हैं यही कारण है कि इन्हें विध्नहर्ता की संज्ञा दी जाती है. ये व्रत चतुर्थी के दिन रखा जाता है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा से पुण्य प्राप्ति होती है.सारी मनचाही इच्छाएं पूरी होती हैं और शुभ कार्यों में आ रही बाधाएं भी दूर हो जाती हैं. विनायक चतुर्थी का व्रत रखकर भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा करने से घर में सुख, सौभाग्य और समृद्धि की वर्षा होती है.

विनायक चतुर्थी व्रत कथा (Vinayak Chaturthi Vrat Katha)

एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव और माता पार्वती नर्मदा नदी के तट पर बैठे थे और चौपड़ खेल रहे थे. शिव जी ने खेल में हार-जीत का फैसला लेने के लिए एक पुतले बनाया और उसकी प्रतिष्ठा कर दी. भोलोनाथ ने उस पुतले से कहा कि वह खेल जीतने के बाद विजेता का फैसला करेगा. महादेव और देवी पार्वती चौपड़ खेलने लगे और माता पार्वती जीत गईं. आखिर में उस पुतले ने महादेव को विजेता घोषित कर दिया. यह फैसला सुन देवी पार्वती बहुत क्रोधित हो गईं और उन्होंने उस पुतले बालक को विकलांग होने का श्राप दे दिया.

इसके बाद उस बालक ने माता पार्वती से माफी मांगी और कहा कि ये निर्णय गलती से हो गया. लेकिन देवी पार्वती ने कहा कि श्राप को वापस नहीं किया जा सकता है. इसके बाद देवी पार्वती ने उसे एक समाधान बताया और कहा कि नाग कन्याएं भगवान गणेश की पूजा करने के लिए आएंगी और तुम्हें उनके बताए अनुसार एक व्रत करना होगा. इस व्रत से तुम श्राप से मुक्त हो जाओगे. वह बालक कई सालों तक उस श्राप से पीड़ित रहा और एक दिन नाग कन्याएं भगवान गणेश की पूजा करने आईं. देवी पार्वती के कहे अनुसार, उस बालक ने नाग कन्याओं से गणेश जी की व्रत की विधि पूछी. फिर उस बालक ने सच्चे मन से भगवान गणेश के निमित्त व्रत किया, जिससे भगवान गणेश प्रसन्न हुए और उससे वरदान मांगने को कहा.

बालक ने भगवान गणेश से प्रार्थना करने हुए कैलाश पर्वत तक पैदल चलने की शक्ति मांगी. भगवान गणेश ने बालक को आशीर्वाद दिया. गणपति के आशीर्वाद से वह बालक श्राप मुक्त हो गया और बाद में बालक ने श्राप से मुक्त होने की कथा कैलाश पर्वत पर महादेव को सुनाई. चौपड़ के दिन से ही माता पार्वती भगवान शिव से नाराज हो गई थीं. बालक के कहे अनुसार, भगवान शिव ने भी 21 दिनों तक भगवान गणेश के निमित्त व्रत रखा और इस व्रत के प्रभाव से माता पार्वती का महादेव के प्रति क्रोध समाप्त हो गया.

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