समाज और पुलिस...?

जनता, सरकार और पुलिस—विश्वास, सहयोग और पारदर्शिता की त्रिकोणीय कड़ी
देश में जनता पुलिस से खुश क्यों नहीं है?
आनन्द गुप्ता
पुलिस किसी भी सभ्य समाज का वह स्तंभ है, जिसके बिना कानून-व्यवस्था की कल्पना भी सम्भव नहीं। देश में सुरक्षा और शांति बनाए रखना पुलिस का प्रथम दायित्व है, लेकिन इसके बावजूद जनता और पुलिस के संबंधों में वह भरोसा दिखाई नहीं देता, जिसकी आवश्यकता है। अक्सर लोग शिकायत करते हैं कि पुलिस समय पर सहयोग नहीं करती, त्वरित कार्रवाई नहीं होती और कई मामलों में पीड़ितों को न्याय पाने में देरी होती है।
अविश्वास की जड़ें गहरी क्यों हैं?
जनता और पुलिस के बीच बढ़ती दूरी के कई कारण हैं—
* पारदर्शिता की कमी
* जवाबदेही का अभाव
* भ्रष्टाचार के आरोप
* राजनीतिक हस्तक्षेप
* ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस की निष्पक्षता पर प्रश्न
यही वजह है कि आम जनता का भरोसा पुलिस पर कमजोर होता जा रहा है। कई बार लोग महसूस करते हैं कि प्रभावशाली व्यक्तियों के मामलों में कार्रवाई तेज होती है, जबकि आम नागरिक की शिकायतें लंबित रहती हैं। यह भेदभाव जनता के मन में गहरी निराशा पैदा करता है।
छवि को नुकसान पहुँचाता सोशल मीडिया
सोशल मीडिया आज एक शक्तिशाली माध्यम है। किसी एक नकारात्मक वीडियो के वायरल होते ही पूरे पुलिस विभाग पर उंगलियाँ उठने लगती हैं। कई बार तथ्य सामने आने तक पुलिस की छवि खराब हो चुकी होती है। दूसरी ओर—पुलिस के अच्छे कार्यों को वही व्यापक प्रचार नहीं मिलता, जिसकी वे हकदार होती है। इससे संतुलन बिगड़ जाता है।
पुलिस की चुनौतियाँ भी कम नहीं
यह भी सच है कि पुलिस बल में अनेक ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी होते हैं, जो कठिन परिस्थितियों में दिन-रात काम करते हैं। लेकिन कुछ मामलों में कठोर व्यवहार, लापरवाही या भ्रष्टाचार के आरोप पूरे विभाग की छवि को प्रभावित कर देते हैं। इससे जनता का विश्वास लगातार कमजोर पड़ता जाता है।
समाधान क्या है?
भारत जैसे विशाल देश में कानून-व्यवस्था की चुनौती कठिन है। इसलिए आवश्यक है कि—
* पुलिस को राजनीतिक प्रभाव से मुक्त किया जाए
* आधुनिक उपकरण और पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हों
* प्रशिक्षण अधिक संवेदनशील और मानव-केन्द्रित हो
* जनबल बढ़ाया जाए
* जवाबदेही और पारदर्शिता को प्राथमिकता दी जाए
यदि पुलिस किसी पीड़ित की शिकायत पर तत्परता से ध्यान दे, सुरक्षा का भरोसा दे और अपराधियों पर समयबद्ध कार्रवाई करे, तो जनता का विश्वास स्वतः बढ़ेगा।
जनता–पुलिस का रिश्ता साझेदारी का होना चाहिए
सुरक्षा एकतरफा जिम्मेदारी नहीं है। प्रशासन, पुलिस और जनता—तीनों को मिलकर काम करना होगा।
पुलिस की व्यवहारिक संवेदनशीलता बढ़े और जनता सहयोग के लिए आगे आए, तभी यह संबंध मजबूत हो सकेगा।
निष्कर्ष
समाज, सरकार और पुलिस—ये तीनों मिलकर ही एक सुरक्षित, सुव्यवस्थित और न्यायपूर्ण व्यवस्था का निर्माण कर सकते हैं।
यदि इनमें तालमेल, विश्वास और पारदर्शिता नहीं होगी, तो पुलिस-जनता का रिश्ता कभी भी मजबूत नहीं बन सकेगा।
विश्वास और सहयोग ही एक बेहतर समाज की नींव हैं।




