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कल है शरद पूर्णिमा; जानिए लक्ष्मी पूजन विधि, शुभ मुहूर्त और मंत्र

कल है शरद पूर्णिमा; जानिए लक्ष्मी पूजन विधि, शुभ मुहूर्त और मंत्र
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शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा और रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस दिन देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और भगवान कृष्ण गोपियों के साथ रासलीला करते हैं. इसे आश्विन पूर्णिमा भी कहा जाता है, क्योंकि यह आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को पड़ती है. सोमवार, 6 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा मनाई जाएगी. इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है और चंद्र देव को अर्घ्य दिया जाता है. चलिए आपको इस लेख में शरद पूर्णिमा से जुड़ी सारी जानकारी देते हैं.

शरद पूर्णिमा को कोजागरी और रास पूर्णिमा क्यों कहते हैं?

शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा इसलिए कहते हैं क्योंकि मान्यता है कि इस रात देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं और पूछती हैं, “को जागृति?” (अर्थात कौन जाग रहा है?) जो लोग जागरण करके देवी की पूजा करते हैं, उनपर वे कृपा बरसाती हैं. वहीं, ब्रज क्षेत्र में शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है, क्योंकि इसी रात भगवान कृष्ण ने वृंदावन में गोपियों के साथ महारास रचाया था. चंद्र देव इस रात अपनी सोलह कलाओं से पूर्ण होते हैं.

शरद पूर्णिमा शुभ मुहूर्त 2025

पूर्णिमा तिथि शुरू – 6 अक्टूबर दोपहर 12:33 मिनट पर.

पूर्णिमा तिथि समाप्त – 7 अक्टूबर सुबह 9:16 मिनट पर.

भद्रा काल शुरू – 6 अक्टूबर दोपहर 12:23 मिनट पर.

भद्रा काल समाप्त – 6 अक्टूबर रात 10:53 मिनट पर.

शरद पूर्णिमा में खीर कितने बजे रखनी चाहिए?

भद्रा काल समाप्त होने पर शरद पूर्णिमा की खीर चंद्रमा की छाया में रखनी चाहिए. ऐसे में 6 अक्टूबर को रात 10:37 बजे से लेकर 7 अक्टूबर रात 12:09 मिनट तक लाभ उन्नति मुहूर्त रहेगा. इस दौरान आप किसी भी समय खीर रख सकते हैं.

शरद पूर्णिमा पूजा के लिए क्या सामग्री चाहिए?

शरद पूर्णिमा की पूजा के लिए आपको लक्ष्मी और विष्णु की मूर्ति, गंगाजल, अक्षत, धूप, दीपक, कपूर, फूल, सुपारी, पान के पत्ते, रोली, मौली और खीर शामिल हैं. इस पूजा के लिए लाल रंग के वस्त्र, एक चौकी, कलश, नैवेद्य (मिठाई और फल), और कुछ सिक्के की जरूरत पड़ेगी.

शरद पूर्णिमा की पूजा कैसे करें?

पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध कर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं.

चौकी पर लक्ष्मी और भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें.

फिर देसी घी का दीपक और धूप-बत्ती जलाएं.

हाथ में गंगाजल लेकर पूजा का संकल्प लें.

लक्ष्मी और विष्णु की प्रतिमा को दूध और गंगाजल से स्नान कराएं.

उन्हें अक्षत, कुमकुम, रोली, मौली, चंदन, फूल, सुपारी, पान के पत्ते चढ़ाएं.

माता लक्ष्मी को खीर, फल और मिठाई का भोग लगाकर आरती करें.

रात में एक लोटे में जल, चावल और फूल डालकर चंद्र देव को अर्घ्य दें.

पूजा की खीर को छलनी से ढककर पूरी रात चांद की रोशनी में रखें.

अगले दिन सुबह, इस खीर को प्रसाद के रूप में बांटें और खुद भी ग्रहण करें.

शरद पूर्णिमा लक्ष्मी जी का मंत्र क्या है?

ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नम:

बीज मंत्र:- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं सिद्ध लक्ष्म्यै नमः.

महालक्ष्मी मंत्र:- ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नमः.

शरद पूर्णिमा चंद्रमा का मंत्र क्या है?

बीज मंत्र: “ॐ श्रां श्रीं श्रौं चन्द्रमसे नमः” या “ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः”.

सामान्य मंत्र: “ॐ चन्द्राय नमः” और “ॐ सोम सोमाय नमः”.

स्तुति मंत्र: “दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णवसंभवम। नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणम॥”.

शरद पूर्णिमा पर क्या दान करना चाहिए?

शरद पूर्णिमा पर चावल, गुड़ और घर पर बनी खीर का दान करना सबसे शुभ माना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि इन चीजों का दान करने से आर्थिक तंगी दूर होती है और धन-धान्य में वृद्धि होती है. शरद पूर्णिमा पर अन्न दान के अलावा कपड़ों का दान करना भी शुभ होता है, जबकि लोहे का सामान दान करने से बचना चाहिए क्योंकि इससे शनि दोष लग सकता है.

शरद पूर्णिमा पर कौन से रंग के कपड़े पहनने चाहिए?

शरद पूर्णिमा पर सफेद रंग के कपड़े पहनने चाहिए. सफेद रंग शांति, पवित्रता और दिव्यता का प्रतीक है. ऐसा माना जाता है कि इस शुभ रात्रि में यह अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि को आकर्षित करता है.

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