विकास बनाम माफिया होती जा रही है गाजीपुर की लड़ाई

Update: 2019-05-17 02:49 GMT

मनोज सिन्हा विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ना चाहते हैं लेकिन उनके खिलाफ खड़े बीएसपी उम्मीदवार अफजाल अंसारी इस पूरे चुनाव का जाति पर ले जाते दिखते हैं. ऐसे में मनोज सिंहा विकास के साथ-साथ अपने मंच से माफिया मुख्तार और अफजाल अंसारी से गाजीपुर को मुक्त कराने की बात भी करते हैं लेकिन यहां सवाल ये उठता है कि क्या गाजीपुर में जाति का गणित टूटेगा? इस सवाल का जवाब हमने गाजीपुर की सीमा में प्रवेश करते ही तलाशना शुरू कर दिया.

सबसे पहले हम महाराजगंज के पास एक दलित बाहुल्य गांव में पहुंचे और सीधा सवाल पूछा- आखिर आप लोग किसे वोट कर रहे हैं और क्यों? जवाब अंदाज से अलग था. गांव का बुजुर्ग जहां कुछ बोलने से कतरा रहे थे, वहीं कुछ ऐसे युवा मिले जो मुम्बई और सूरत से सिर्फ बीजेपी को वोट करने आए हैं. उनका कहना है कि यहां से चली ट्रेनों के कारण ही हम हर त्यौहार पर अपने घर आ पाते हैं. ऐसे में लोकतंत्र के सबसे बड़े त्यौहार में कैसे नहीं आते? मुस्लिम बस्तियों में भी मनोज सिन्हा और उनके विकास की बात तो खूब हो रही है लेकिन वोट के नाम घरों में सहमति नहीं बन पाई है लेकिन गाजीपुर में सबकी नजर जिस वोट बैंक पर है. वो है यादव वोट बैंक, क्या यादव बीजेपी को वोट करेगा.

इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने महराजगंज के गांव के प्रधान हर वंस यादव से बात की. हरवंस यादव कभी एसपी नेताओं के करीबी माने जाते थे लेकिन इस बार वो विकास ओर माफिया राज के खिलाफ वोट कर रहे हैं. उनका दावा है दिल्ली की सरकार चुननी है तो वो मनोज सिंहा और बीजेपी के साथ हैं. शहर में भी कुछ यही हाल है. हालांकि शहरी मतदाता मीडिया के सामने खुलकर बोलने को तैयार नहीं दिख रहा है लेकिन गाजीपुर पहुंचते-पहुंचते एक बात का अंदाजा साफ लग गया कि यहां इस चुनाव में विकास भी एक बड़ा मुद्दा है.

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