मुलायम परिवार की 'महाभारत' का सपा के गढ़ पर असर!

Update: 2019-04-28 16:09 GMT

चुनाव प्रचार थमने के बाद अब राजनीतिक दल अपनी-अपनी स्थिति और आने वाली सुबह का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। लेकिन आज की रात सभी दलों के लिए किसी निर्णायक रात से कम नहीं है। बात जब सूबे के सबसे बड़े सियासी परिवार की हो तो उसके साथ ही परिवार में लंबे अर्से से चल रही उथल-पुथल का भी जिक्र हो ही जाता है। यूपी की राजनीति में मुलायम परिवार का रसूख लंबे अर्से से जारी है। मुलायम के गढ़ इटावा में इस बार सियासी तापमान कुछ ज्यादा ही हाई है। पिछले लोकसभा चुनाव की बात करें तो इटावा, फर्रुखाबाद और कन्नौज में भाजपा ने सपा को तगड़ी शिकस्त दी थी और इन तीन सीटों में से दो पर जीत दर्ज की थी।

मुलायम के भाई शिवपाल और उनके भतीजों के बीच मचा बवाल भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। अखिलेश से शिवपाल के रिश्ते तो सियासी गलियारों में जगजाहिर हैं, लेकिन रामगोपाल के बेटे अक्षय यादव और शिवपाल का आमने-सामने चुनाव लड़ना सपा के गढ़ पर क्या प्रभाव डालेगा ये आने वाला वक्त ही बताएगा।

तीसरे चरण के मतदान के बाद अक्षय यादव ने यहां तक कह डाला कि जिनके पास चुनाव लड़ने के पैसे नहीं हैं वो हेलीकॉप्टर से चुनावी जनसभा करने जा रहे हैं। इतना ही नहीं शिवपाल भी कई बार अपने भतीजों को नसीहत देते दिखे हैं।

जिस तरह से इटावा के समीकरण देखते हुए भाजपा ने कठेरिया पर भरोसा जताया है इसके कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। बात अगर कन्नौज की करें तो भाजपा ने प्रचार के आखिर दिन पूरी ताकत लगा दी है। पिछले लोकसभा चुनाव में डिंपल ने जीत हासिल की थी लेकिन जीत का मार्जिन उतना नहीं था जितनी की पार्टी ने उम्मीद जताई थी। डिंपल की इस जीत पर भी भाजपा ने सवाल उठाते हुए इस लोकसभा चुनाव प्रचार में मुद्दा बनाया है। आने वाली सुबह मुलायम के गढ़ की क्या कहानी लिखेगी ये तो 23 मई को ही पता लगेगा। 

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