5 सालों में टीवी की बहू तुलसी स्मृति कैसे बन गईं अमेठी की दीदी.

Update: 2019-04-28 08:06 GMT

नेहरू गांधी परिवार के गढ़ अमेठी में एक अनूठी जंग छिड़ी है. आम तौर पर नेहरू गांधी परिवार ने अमेठी और रायबरेली में विपक्ष को वाक ओवर ही देता आया है. ऐसे में पहले सोनिया, फिर राहुल या फिर गांधी परिवार समर्थित उम्मीदवार ही अमेठी में जीतते आए हैं. जीत की उम्मीद तो इस बार भी गांधी परिवार को है लेकिन बीजेपी ने इसे हार में बदलने के लिए पूरी तैयारी कर ली है.

साल 2014 में मोदी लहर में बीजेपी ने स्मृति ईरानी को प्रचार में उतारा था. चंद दिनों के प्रचार के बाद ही स्मृति ने गांधी परिवार की नींद उड़ा दी थी. स्मृति चुनाव भले ही हार गईं लेकिन उन्होंने अमेठी नहीं छोड़ा. मोदी सरकार में मंत्री भी बनी और अमेठी में विकास कार्यों की झड़ी लगा दी. पीएम मोदी से लेकर तमाम केंद्रीय मंत्री एक के बाद एक दिल्ली से अमेठी पहुंचते रहे. इन 5 सालों में टीवी की बहू तुलसी स्मृति बन गईं अमेठी की दीदी.

एक गांव में प्रचार में लगी थीं. वहीं, एक घर में महिलाओं और बच्चों के साथ वे लगीं थी सेल्फी लेने में और उनसे गप्प लड़ाने में. हमने पूछा कि बहु दीदी कैसे बन गयी तो पलट कर स्मृति का जवाब आया कि उनकी उम्र भले ही कम हो लेकिन हर उम्र और तबके लोग उन्हें दीदी ही कहते हैं अमेठी में. कोई बच्चा उन्हें बुआ कह रहा था तो कोई उन्हें दीदी बुला रहा था. स्मृति कहती हैं कि ये 5 साल की उनकी मेहनत का परिणाम है कि हर घर से नाता जुड़ गया है.

दरअसल, स्मृति यही साबित करने में लगी हैं कि ये लड़ाई राहुल गांधी बनाम स्मृति ईरानी या फिर कांग्रेस बनाम बीजेपी नहीं है. बल्कि अपने भाषणों में वे यही बताती हैं कि ये लड़ाई एक भगोड़े और अमेठी के बीच है. स्मृति अपने भाषणों में वहां मौजूद लोगों से बार-बार यही सवाल पूछती हैं कि पक्के घर बने की नहीं, शौचालय बने की नहीं या फिर किसानों के खाते में पैसे आए कि नहीं. यानी पोलिटिक ऑफ परफॉरमेंस और मोदी सरकार की योजनाओं का अंडर करंट है जो उन्हें जीत दिलाएगा.

अमेठी के मनीपुर गांव में तो जब स्मृति ईरानी मौजूद महिलाओं से सवाल पूछ रही थीं तो एक घूंघट डाले एक महिला बार-बार कुछ न कुछ बोली जा रही थी. स्मृति बार-बार उनसे यही पूछ रही थीं कि उसकी समस्या क्या है. लेकिन जवाब नहीं आया. जब कार्यक्रम खत्म हुआ तो स्मृति ने उस महिला को अपने पास ज्यों ही बुलाया तो वह उनसे गले लग कर फ़ूट- फ़ूट कर रोने लगीं. स्मृति भी भावुक हो गईं. कहा कि चुनाव के बाद सभी मुश्किलों का समाधान होगा. वैसे स्मृति जहां भी जा रही हैं, बात गरीबों की ही करती हैं. बात मोदी सरकार की विकास की योजनाओं पर ही करती हैं.

बीजेपी की स्टार प्रचारक स्मृति ईरानी अरसे से प्रचार के लिए बाहर नहीं निकली हैं. चिलचिलती धूप में स्मृति एक के बाद एक गांव में घूमती जा रही हैं. उन्होंने न ही किसी विरोधी को को भला बुरा कहा और न ही किसी की निंदा की. बस जुबान पर एक ही बात थी कि मोदी पर भरोसा करो ताकि दशकों के पिछड़ेपन से अमेठी बाहर आ सके. शाम 6 बजे तक ये गांवों का दौरा चलता रहा. इस दौरान स्मृति ईरानी ने बताया कि लड़ाई उनकी नहीं अमेठी की है और मोदी सरकार ने जो काम किए हैं उसका असर अमेठी पर दिखने लगा है. स्मृति हर भाषण एक ही लाइन से खत्म करती हैं अबकी बार अमेठी हमार.

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