वासुदेव यादव
संतकबीरनगर। यूपी पूर्वांचल के 62 लोकसभा क्षेत्र संतकबीर नगर में कांग्रेस प्रत्याशी बदलने से चुनावी जंग और रोचक हो गई,चुनावी सरगर्मी में जहां आरोप-प्रत्यारोप के बीच नामांकन का दौर जारी है वहीं कांग्रेस के एक कदम से यह सीट और चर्चित हो गई,जहां माना जा रहा है कि इस सीट का परिणाम कुछ भी हो लेकिन कांग्रेस ने यहां प्रत्याशी बदलकर जंग में अपने एंट्री तो कर ही ली है।बता दें कि सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ के जिले गोरखपुर से सटी हुई यह लोकसभा सीट उस समय चर्चा में आई थी जहां मौजूदा सांसद शरद त्रिपाठी एवं भाजपा विधायक राकेश सिंह बघेल के बीच राजनीतिक विवाद हुआ था। जिसके बाद भाजपा ने मौजूदा सांसद शरद त्रिपाठी का टिकट काटकर दलबदल कर आए भाजपा में आए गोरखपुर के सांसद प्रवीण निषाद पर दांव लगाया।मौजूदा समय में इस सीट पर भाजपा का कब्जा है वहीं जिले के अंतर्गत आने वाली 5 विधानसभा सीटों पर 2017 में बीजेपी के विधायक ही जीत कर सदन में पहुंचे हैं।सपा,बसपा,रालोद गठबंधन से यहां भीष्मशंकर उर्फ कुशल तिवारी के नामांकन के बाद प्रचार अभियान में जुटे हैं।कांग्रेस नें इस सीट पर पहले मुस्लिम चेहरे परवेज खान पर दाव लगाया लेकिन संगठन के स्तर से फीडबैक में परवेज खान की उम्मीदवारी कमजोर बताई गई। जिस पर कांग्रेस नेतृत्व नें नया सियासी पैतरा आजमाते हुए सपा से बगावत का झंडा बुलंद करने वाले बाहुबली पूर्व सांसद भालचंद्र यादव को उम्मीदवार बना दिया,जो सोमवार को अपना नामांकन दाखिल करेंगे।कांग्रेस उम्मीदवार बदलनें के बाद यह सीट चर्चा में आ गई, कांग्रेस का प्रत्याशी बदलने के बाद क्षेत्र में आवाज जोर पकड़ने लगी है कि इस सीट पर अब मुकाबला रोचक एवं त्रिकोणीय होगा। कांग्रेस के पास खोनें के लिए कुछ नहीं संतकबीर नगर लोकसभा सीट कांग्रेस के लिए सियासी रूप से बंजर ही मानी जाती रही है, 1984 के बाद से इस सीट पर कांग्रेस का प्रत्याशी जीत की दहलीज तक नहीं पहुंच सका है।इस सीट पर धीरे-धीरे कांग्रेस का जनाधार इस कदर घटा कि वह क्रमशः दूसरे तीसरे चौथे और पांचवें स्थान तक खिसक गई।वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में कांग्रेस प्रत्याशी रोहित पांडे की जमानत जप्त हो गई और उन्हें महज 22000 वोट मिले थे।मौजूदा लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के पास खोनें के लिए कुछ नहीं बचा है।जिसके चलते कांग्रेस नें बाहुबली पूर्व सांसद भालचंद्र यादव पर दांव लगाया है जो दो बार सांसद रह चुके हैं और एक दफा मामूली मतों से चुनाव हार गए थे।क्षेत्र में भालचंद्र यादव की सभी वर्गों में मजबूत पकड़ बताई जाती है अब देखने वाली बात यह होगी कि सपा से बगावत कर कांग्रेस में आए भालचंद्र यादव कांग्रेस की नैया कैसे पार लगाते हैं।