शिवपाल यादव संगठन की राजनीति के पुराने खिलाड़ी हैं। एसपी के पुराने कार्यकर्ताओं में उनकी आज भी पकड़ है। विपक्ष के नेता और अलग-अलग सरकारों में मंत्री रहे शिवपाल को भी यहां भारी समर्थन मिल रहा है। यह बात अलग है कि कुछ उनके विरोध में भी हैं। अब शिवपाल के मैदान में उतरने से यह सीट एसपी के लिए आसान नहीं रह गई है।
अक्षय यादव के पास एसपी के साथ अब बीएसपी की भी ताकत है जो उन्हें मजबूत बनाती है। कांग्रेस ने यहां पर अपना कोई प्रत्याशी नहीं उतारा है। ऐसे में यादवों के साथ कुछ वोट उन्हें जाटवों और मुसलमानों का मिलता दिख रहा है, लेकिन एसपी से बागी हुए तीन बार के विधायक हरिओम यादव और पूर्व विधायक अजीम भाई ने एसपी का दामन छोड़ा है। वे अब शिवपाल खेमे में हैं।
शिवपाल का साथ देने वाले अजीम की शहर के मुसलामानों में अच्छी पकड़ मानी जाती है। मुसलामानों के वोट का एक हिस्सा शिवपाल के पक्ष में आने से इनकार नहीं किया जा सकता है। शिवपाल के कारण बीजेपी द्वारा डमी उम्मीदवार उतारने की अफवाह थी, लेकिन चंद्रसेन जादौन के चुनाव मैदान में आने से अफवाह पर पूर्णविराम लग गया है। लड़ाई रोचक हो गई है।
अमित शाह उनके पक्ष में जनसभा कर परिवारवाद के खिलाफ हमला बोल चुके हैं। चंद्रसेन अनुभवी हैं। उन्हें मोदी के नाम का फायदा भी मिलेगा। बावजूद इसके एसपी के गढ़ वाले विधानसभा क्षेत्रों में वोट पाना चुनौती है। वजह, एसपी के साथ प्रगतिशील समाजवादी पार्टी भी मैदान में है। पार्टी के मूल वोट बैंक को सभी अपनी-अपनी तरफ बिठाने में जोर-आजमाइश कर रहे हैं। चंद्रसेन के साथ बघेल बिरादरी का वोट उनके पक्ष में आ सकता है। साथ ही कुछ और भी बैकवर्ड वोट में सेंधमारी कर सकते हैं।
अगर शिवपाल ने थोड़ी भी मजबूती से लड़ाई लड़ी और बीएसपी का वोट एसपी के पक्ष में तब्दील नहीं हुआ तो बीजेपी को फायदा हो सकता है। सांसद अक्षय यादव ने शहर में जेडा झाल परियोजना शुरू करवाकर पानी की समस्या कुछ हद तक दूर की है। मेडिकल कॉलेज भी बनवाया है। आगरा लखनऊ एक्सप्रेस-वे से फिरोजाबाद जुड़ा है। कांच उद्योग के चलते यहां ट्रांसपोर्ट महत्वपूर्ण है। इस लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा क्षेत्र हैं। फिरोजाबाद, टूंडला, शिकोहाबाद और जसराना में बीजेपी के विधायक हैं। सिरसागंज में एसपी के विधायक हैं।
यहां पर सबसे बड़ी समस्या पानी की है। यहां पर सरकारी अस्पताल तो है लेकिन डॉक्टर आते ही नहीं हैं। नोटबंदी के बाद कांच उद्योग के करीब 1.35 लाख कामगरों का रोजगार छिन गया था। नोटबंदी से अर्थव्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई। लगभग 65 फैक्ट्रियां नोटबंदी के कारण बंद हो गई थीं। आलू किसान भी फसल का उचित मूल्य ना मिलने से परेशान नजर आए।
यहां यादव वोटर निर्णायक भूमिका में हैं। जसरना और सिरसागंज में उनकी तदाद लगभग 1.5 लाख है। लेकिन उनमें बिखराव भी होगा।
क्षेत्र में वोटर
क्षेत्र में यादव वोटर की संख्या 4.31 लाख के करीब है। 2. 10 लाख जाटव, 1.65 लाख ठाकुर, 1. 47 लाख ब्राह्मण, 1.56 लाख मुस्लिम और 1.21 लाख लोधी मतदाता हैं। कुल मतदाताओं की संख्या 17,45,526 है। महिला मतदाता 734,206 और पुरुष मतदाता 902,532 हैं।