आपकी चिट्ठी मिली तो युगों बाद कोई चिट्ठी मिली....

Update: 2018-03-30 14:52 GMT
आदरणीय कल्पना दीदी
सादर चरण स्पर्श...
हम यहाँ कुशल पूर्वक रह कर संझा माई और सुरुज बाबा से रोज गोहराते हैं कि आपलोग भी कुशल होंगे।
आपकी चिट्ठी मिली तो युगों बाद कोई चिट्ठी मिली। पढ़ कर लगा जैसे हम बीस साल पीछे पहुँच गए हों, जब पड़ोस की रामनिछत्तर बो भउजी रामनिछत्तर भाई का एक्के गो चिट्ठिया हमसे रोज पढ़वाने आती थी और सतनारायण भगवान के कथा नियर श्रद्धा से सुनती थी। अब उ दिन कहाँ, अब तो उहे रामनिछत्तर भाई बो फोन पर बतियाती हैं तो लगता है जैसे मायावती नियर भाषण दे रहीं हों। चिल्ला चिल्ला के कहती हैं " खदेरन मिसीर का दस कठवा खेत एक लाख का रेट से तय किये हैं, जल्दी पइसा भेजों नहीं तो ममिला बिगड़ जाएगा"।
अच्छा सुनिए न दीदी, आपको 'आप' कह रहे हैं तो पता नहीं दुकइसा लग रहा है। लग रहा है जैसे मौसी की ननद की फुफुआ सास की बेटी की देआदिन की बेटी की पीतिआउत ननद से बतिया रहे हों। माँ और बहन को भी कहीं 'आप' कहा जाता है भला? भक! हम अब आपको 'तुम' कहेंगे।
अच्छा सुन दिदिया, नमी पूजा गया। तुम तो उधर कलकत्ता में जा के बस गयी, इधर नवमी का एगो और मेला सुखले बीत गया। हम तो ठहरे तेरह हजार के तनख्वाह वाले कंजूस मास्टर, अपना पैसा से मेला करेंगे तो बोखार लग जायेगा। तुम रहती तो दु-तीन सौ रुपया ले कर जम के गर्दा उड़ाते। अच्छा जाने दे.... मेला के लिए क्यों मन थोर करें...
सुन न! नमी के दिन रामकिसुन भाई के घर खोंसी का बलदान चढ़ा था। रामकिसुन का अपने भाई रामनिहोरा से झगड़ा था, सो रामकिसुन बो भउजी रामनिहोरा भाई के घर परसादी नहीं भेजी। बाप रे बाप कल से उ झगड़ा शुरू हुआ है कि सुन के मन हरिहरा गया है। दुनु ई निमन निमन नया भेराइटी का गारी निकाली है सब, कि सुन के आनंद आ जा रहा है। कल झगड़ा तनि ठंढा रहा था तो हम धीरे से रामनिहोरा भाई के आँगन में एगो ढेला फेंक दिए, महाभारत फिर फूल स्पीड में इस्टाट हो गया।
तुम चिट्ठी में लिखी थी कि तुम्हारा नेग याद रहे। अरे बहन का नेग भी भला भूलने की चीज है? आदमी कितना भी बड़ा हो जाय, कितना भी यार दोस्त बना ले, लेकिन सुख-दुख में तो बहन ही याद आती है। बहुत बात तो ऐसा है कि आदमी पत्नी को भी नहीं बताता, सिर्फ बहन को बताता है।
कल किसी परोजन मे भले मेरे घर सारी दुनिया के लोग आ जाएं, पर जब तक बहन नहीं आएगी तबतक घर परोजन का घर नहीं लगेगा। घर की शोभा तो बहनों से ही होती है।
अमीरी गरीबी तो भगवान के हाथ में है दिदिया, पर तुम्हारा नेग दे सकूं इतना धन तो भगवान से लड़ कर भी ले आऊंगा।
अच्छा ई सब छोड़, नया बात सुन। उ बलिया वाले नीरज भइया नहीं हैं, अरे उहे मनियर वाले नीरज मिसीर! कल सपरिवार थावें आये थे माई का दर्शन करने। हमको बुलाये तो हम भी चले गए। दीदी रे, उनकी पत्नी को देखे तो तुम्हारा बात मोन पर गया। तुम एकदम ठीक कहती हो, कि सब बकलोलवा सब की मेहरारू बड़ी सुन्दर मिलती है। गजब की सुन्दर हैं नीरज भइया बो, एकदम ऐश्वर्या राय नियर। लेकिन एक और बात सुन ले, नीरज भइया थर थर काँपते होंगे भाभी के आगे। गोड़ भी दबाते होंगे। भाभी के पीछे पीछे "जी हजूर, जी हजूर" करते फिर रहे थे। लेकिन जाने दे, हमको दु गो गमछा खरीद के गिफ्ट दिए इसलिए यह गोड़ दबाने वाला बात किसी को नहीं बताना है।
तुम चिट्ठी में लिखी थी कि हम आलोक भइया को परेशान करते हैं। अरे तुम क्या जानो, तुम तो जा के कलकत्ता में बैठ गयी हो। यहाँ रहती तब न उनका लीला देखती, साफ नाक कटवा दिए हैं। दिन भर बबिता के फेर में बहबेल नियर घूमते रहते हैं। अब तक बीसों बार पिटा चुके। बबिता का पति बीडियो है, हर बार पकड़वा के हाय-सुक थुरवाता है। महीना महीना दिन तक हरदी-चूना छाप के लंगड़ाते घूमते हैं, पर जैसे ही ठीक होते हैं, फिर वही धंधा...
अच्छा सुन, तुम्हारा तो कलकत्ता के भोटर लिस्ट में नाम जुड़ गया होगा। अबकी चुनाव में भाजपा को भोट देना, और पहुना को भी कह देना कि भाजपा को ही भोट दें। भुला के भी ममता बनर्जी को भोट नहीं देना है, उसको भोट देने पर पाप लगेगा। देखती नहीं हो, कैसी चुरइल जैसी लगती है। रात को अंधेरे में लउक जाय तो अच्छे अच्छों का डर से धोती बिगड़ जाएगा।
अच्छा छोड़! चिट्ठी लम्बी हो रही है। अपना और पहुना का ध्यान रखना। पहुना तो मटर का घुघुनी बड़ी चाव से खाते हैं, लेकिन चइत में मत देना नहीं तो छेरने लगेंगे। अभी दस दिन पहले आलोक भइया को पेटझरी हुआ था, केतना डॉक्टर बैद आये लेकिन ठीके नहीं हो रहा था। अंत मे हम गए आ उनके आगे बीडियो का फोटो रख दिये, झट से उनका पेटे सूख गया।
अच्छा अब चिट्ठी बन्द करते हैं। सब समाचार ठीक है। पार्थ को रोज तुम्हारे बारे में बताते हैं हम। आना तो स्वामी विवेकानंद के मठ का एक चुटकी माटी लेते आना, पार्थ के माथे पर लगाएंगे।
शेष सब ठीक है। तुम्हारी भौजाई भी ठीक है, हमसे कबो झगड़ा नहीं करती है।
ज्यादा क्या लिखें, गलती सही माफ करना। शेष सब मिलने पर....

तुम्हारा भाई
सर्वेश तिवारी श्रीमुख
गोपालगंज, बिहार।

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