आज आलोक पाण्डेय पूरा गील(प्रसन्न) हैं ।बार-बार किताब उलट-पलट कर पढ़ रहे हैं ।किताब के प्रथम पृष्ठ पर बडे हिंदी अक्षरों में लिखा है, "पूर्व प्रेमिका को वश में लाने के तरीके "।शायद पांडेय जी शादीशुदा बबीता जी को फिर से अपने जीवन में लाना चाहते हैं ।
जबसे बबीता जी की शादी बी डी ओ से हुई है तबसे पाण्डेय जी का हाल तेजस्वी यादव की तरह हो गया है ।
पुन: अपनी भूतपूर्व प्रेमिका को पाने के लिए पाण्डेय जी तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं ।कभी ओझा के पास ,कभी ज्योतिषी के पास आते-जाते रहते हैं ।
अब पिछले साल की बात है ।ददरी मेला भ्रमण करते हुए इनकी नजर एक व्यक्ति पर पड़ी जो अपना चेहरा मफलर से बाँधे हुए था।उनके पास भविष्यवाणी करने वाला एक तोता था ।तोते को देखते ही पाण्डेय जी के खुशी का ठिकाना न रहा ।
तोते ने पाण्डेय जी को देखते ही कहा, "आव! आव!
हम बूझतानी तोहार का पारशानी बा?"
इतना सुनते ही पाण्डेय जी पलस्ती मार कर और अपना दोनो हाथ जोड़कर चुकामुका बैठ गये ।
"बोलऽ का चाहत बाड़ऽ?"
तोते ने पाण्डेय जी पुन: पूछा ।
पाण्डेय जी के आँखो में आँसू आ गया ।वो बोले, "जब से बबितवा के बियाह बीडीयउवा से हो गईल तबसे हमार जिनगी डगमगा गईल बा।फेरू से बबीता जी हमार हो जइहन त राउर एहसान कबो ना भुलाईब।"
तोता -"एवमस्तु! अइसने होई ।मगर एगो शर्त बा ।"
आलोक पाण्डेय -"बबीता के पावे खातिर हम कुछउ कर सकेनी ।बोली का शर्त बा?
तोता - "एगो तुलसी माला लेके,सर्वेश तिवारी श्रीमुख के नाव के एगारह हाजार जप करेके पड़ी।"
तोते के मुँह से अपने प्रतिद्वंद्वी, सर्वेश का नाम सुनकर पाण्डेय जी ध्यान से तोते को देखने लगे ।
फिर अपने एकाएक जोर से चिल्लाये, " अरे! इ त पिलास्टिक के नकली तोता ह रे! "
यह एक नकली तोता था जिसको मफलर से वह चेहरा छुपाया हुआ व्यक्ति एक महीन धागे से संचालित कर रहा था ।
पाण्डेय जी के गुस्से का ठिकाना न रहा ।खुद को पर्दाफाश होता देख वह व्यक्ति भागने लगा ।मगर घोडे सरीखे दौड़ने वाले पाण्डेय जी दो मिनट में ही उसे पकड़ लिए।और जैसे ही उसके चेहरे से मफलर हटाये आश्चर्य से उनका मुँह खुला का खुला रह गया ।
"रे मरदवा तेनाही ।इ ते हउवे ! "
शर्म से पाण्डेय जी का चेहरा टमाटर की तरह लाल हो गया ।
यह मफलरधारी व्यक्ति सर्वेश तिवारी श्रीमुख थे जो आलोक पाण्डेय का मजाक उड़ाने के लिए ददरी मेला में तोता वाला ज्योतिष बनकर बैठे थे ।
नीरज मिश्रा
बलिया (उत्तर प्रदेश )।