अगर गुड़मीठ सिंहवा ..पनरह सौ बरिस पहिले होता तो.

Update: 2017-09-20 10:58 GMT
अगर गुड़मीठ सिंहवा ..पनरह सौ बरिस पहिले होता तो...एहिंग्या एगो किताब लिख कर ...
बड़काम्बर हो जाता।

एगो और धरम......बाप रे बाप! चाच रे चाच !!

हनीप्रीत ...से सबको थोड़ा थोड़ा हनी बँटावकर ...हर एयरपोर्ट पर महाभीआइपी हो गया था।

जो लोग कहते थे...कि इसका दाढ़ी में तिनका है हो..? उसका एथी करा देता था.... मोर दैन वध ... बधिया !!!

        या खुदा......अजब गजब मौकों पर लोगों को सूत्र सिद्धान्त लिखने के आइडिया देता है। कोई सूसू कर रहा है...तो महान विचार परगट हो गया ...उसके मन में।

सबसे अच्छा था तो पाइथागोरस था....। टब में नहा रहा था ....यूरेका बोल के लंगटे भाग लिया....कितना कल्याण हुआ....दुनिया का। उत्प्लावन का सिद्धांत मिला।

    गुड़मीठवा सुनते हैं जेल में नहइबो नहीं करता है....बोका जइसा महक रहा है।

लफड़ा और है....दूसरी सेल में बंद एक खुदा का बंदा कह रहा है....कि अगली बार गुड़मीठीद मनेगी...😊🐒

मतलब...
दू दिन की जिनिगी में चार गो लफड़ा!
जाते थे दिल्ली, पहुँच गए...हबड़ा...!!!

हेतना....हबड़ाइल जाला.....🤓🐜🐜


वेद प्रकाश मिश्रा

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