"हमार गदह जनम से कहिया मुक्ति मिली?"

Update: 2017-08-20 05:39 GMT
सन्डे के दिन कोशिश इहे रहेला कि कम से कम सुबह 9 बजे तक सुत के कोटा पूरा कइल जाउ। अब 9 बजे के समय देख गांव देहात वाला लोग चिहा जायीं लोग- बाप रे! 9 बजे ले भी सुतल जाला? इ त पूरा तरह से अभाग, दुर्भाग अउरी कुरहन के लक्षन ह। अईसे लक्ष्मी भी भागे ली अउरी शरीर भी व्याधिग्रस्त हो जाला। 
लेकिन इ सारा गूढ़ ज्ञान शहर, खासकर मेट्रो में मामले में गलत हो जाला। ऐईजा देर से उठे वाला किहाँ ही लक्ष्मी आवेली काहे कि देर रात काम कइला के वाद, शनिवार, रविवार के लोग देर सुबह तक सूत के नींद के कोटा पूरा करेला अउरी अईसे शारीर में व्याधि भी ना धरेला। पूरा हफ्ता के थकान के बाद सन्डे तक सूतल माने- स्वर्ग। आहाहा स्वर्ग लोग के अनूभूति।
एहि स्वर्ग लोग के अनूभूति से दूर करे के पाप आजु सर्वेश तिवारी श्रीमुख जी कईले ह। पाच बजे भोरे ही उनकर फ़ोन आ गईल ह अउरी उ घबराईल, आवाज में कहले ह- अरे भइया सुना आपने? असित कुमार मिश्र ने तो बियाह कर लिया।
हमरा सुन के त भरोसा ही ना भईल ह। अईसन कईसे हो सकेला। बिना हमरा के बतवले, उ कईसे बियाह क लिहे।
उनकर गुरहथन हमहि करेब उ हमरा से वादा कईले बाड़े। उनका जईसन वसूल के पक्का आदमी भी भला आपन वचन तोड़ सकेला। खैर एक बार मान भी ली कि उ तूर देहले आपन वचन। वईसे भी- कस्मे वादे प्यार वफ़ा, बाते है बातो को क्या।
लेकिन हमार का होई। हमरा ओ अतृप्त चाहत के होई जवना के पूरा करे के खातिर हम कई साल से हहर रहल बानी।
केहू के दौलत के चाहत बा, केहू के शोहरत के, केहू के इज्जत के। हमार बस एगो अदना सा चाहत बा कि हमहू केहू के गुरहथि। अपना गांव अउरी रिश्तेदारी में सबसे छोट भईला के वजह से, ऐ सुख से वंचित, बरसो से एगो छोट भाई के तलाश हमार असित मिसिर पर जाके खत्म भईल। उ हमसे वादा कईले कि भैया हम वचन दे तानी- हम बियाह चाहे चीन या जापान में करी, भा कोरिया या ईरान में करी, पर मेरा गुरहथन आप ही करेंगे। और सिवगामी देवी के जैसे - मेरा वचन ही है आखिरी सत्य।
त का इ सत्य झूठ हो गईल।
फेरु हम पूछनी ह कि इ सब भईल ह कैसे, त श्रीमुख जी बतवले ह कि इ स कइल धइल सुधीर पाण्डेय के ह।
बियाह तय कारावे से लेके फेरा तक में उनकर भूमिका महत्वपूर्ण बा।
लेकिन उ त बिदेश बाड़े?हम सोच के पूछनी ह।
सुधीर पाण्डेय को कम मत आंकिएगा। वो चाहे विदेश रहे, चाहे अंतरिक्ष, उनकी मारक क्षमता एकदम अग्नि मिसाइल के जैसे सटीक है। वह कही भी, कभी भी किसी भी काम को अंजाम दे सकते हैं। इ तो अदना सा बियाह करवाने का मामला है।
हम माथा पकड़ के बईठ गइनि ह। सुधीर पाण्डेय हमरा साथे दूसरा बार छल कईले बाड़े। मने हमहि उनकर बावन बीघा पोदीना उखरले बानी का? पहिला बार गुपचुप ढंग आपन बियाह क लेहले, जईसे बियाह कटवा से ढेर खतरा उनका हमरा से रहे। मान लेहनी कि हम सुन्दर बानी। त एकर मतलब का कि हम भगवान श्रीकृष्न जईसन रासलीला करे लगती। अरे कुछ उमर अउरी पद भी त चीज होला। अगर ओ समय उ हमरा से छल ना कईले रहिते, त उनके ही गुरहथ के हम आपन हसरत पूरा क लेले रहिति। फेरु हमरा असित मिसिर से वचन ना लेबे के पड़ल रहित। 
आजु सुधीर पाण्डेय ओहु वचन के तोड़वा दिहले।
आजु हमरा गांव में सबसे छोट भईला के बहुत अफ़सोस भईल ह। ऊपर से जले पर नमक रगड़त श्रीमुख जी कहुवे- इतना उदास काहे है भैया। छोटा होकर आप पूरे गांव की भौजाई लोग को रंग लगाये है। अब सब सुख भगवान आपको ही दे दे। कुछ तो कमी रहेगा न।
श्रीमुख जी के इ तंज सुनके हमरा मुह से जुलियस सीजर खान बस इहे निकलुवे- ओ श्रीमुख यू टू।
हमार करुण आवाज सुनके श्रीमुख जी के अपना गलती के अहसास होखुवे अउरी उ सांत्वना देत कहुवे- वैसे भैया, विश्वास तो हमको भी नहीं हो रहा है। इसीलिए हम कलयुग में नारदमुनि और अपने छोटे भाई प्रीतम पाण्डेय सांकृत को पता लगाने के लिए भेजा हूँ। ये सब मामला में उसका नेटवर्क बहुत तगड़ा है। ओ नारद मुनि के जैसे, कभी भी कही भी पहुच जाता है और कब किसका बियाह किसके साथ हो रहा है, या कौन किसकी साली है, ये सब उसके कंप्यूटर में अब ऑटो अपडेट रहता है।
तबसे हम प्रीतम पाण्डेय के फ़ोन के इन्तजार में बइठल बानी। अगर इ बात झूठ निकलल तब त असित मिसिर में बचन भी रही जायीं अउरी हमहू गदह जनम से मुक्ति पा लेब अउरी अगर इ सही साबित भईल त फेरु गुरहथे खातीर हमार एगो छोट भाई के तलाश शुरू हो जायीं।
नोट- ऊपर के लेख में हास्य के मात्रा कम राखल बा काहे कि मिसिर जी के कहनाम ह कि अगर हास्य जरुरत से ज्यादा होखे त उ फूहड़ लागेला।
कुछ लोग के संवाद हिंदी में लिखल बा ताकी मौलिकता बनल रहो, काहे कि उ लोग हिंदी के नक्षत्र ह लोग अउरी नक्षत्र अपनी जगह अपना रूप में ही चकमकेला त निमन लागेला।


धनंजय तिवारी

Similar News

गुलाब!