"बाबा रउवा केक काटी" अमित कहले चनेसर बाबा से अउरी बाबा माना क देहले।
अमित भी जिदिया गईले। बाबा भी जिदियायिल रहले। बाबा नाती में बचपन से ही जिद के नाता रहे। दुनु जाना के रस्सा कस्सी ओयिजा मौजूद तमाम मेहमान लोगो भी अचरज से देखे लागल।
औरी तब अमित के पत्नी बेबी से सहन ना भयिल। उ खिसिया के कहली -"stop it amit. why are you pleading to this old man? he does not know manner. इ बंद कर अमित। काहे तू ए बूढ़ आदमी से निहोरा करतार। उनके रहन सहन नईखे मालूम"
इ सुनके सारा लोग स्तब्ध रही गईल। लेकिन अमित त खिसी भूत हो गईले। नस नस किरोध से फाटे लागल। मन में आईल कि बेबी के गला घोट दी। उनकर चेहरा के भाव से चनेसर बाबा भी अनभिग्य ना रहले अउरी उहाँ के चेहरा देख अमित के किरोध थोडा कम भईल पर अभी भी अन्दर उ धधकत रहे।
"excuse me friends. we come back in two minutes. you enjoy the party. "
"हमरा के आज्ञा दी सभे, हमनि के दू मिनट में वापस आवतानी जा. रउवा सब पार्टी के आनंद ली सभे"
उ कहिके बेबी के हाथ पकड़ के बेडरूम में बढ़ गईले। हमेशा शांत रहे वाला अमित के इ रौद्र रूप देख के बेबी के सिट्टी पिट्टी हेरा गईल रहे। उनका बुझा गईल रहे कि उनसे बहुत बड़ गलती भईल बा।
बेडरूम में ले जाके अमित आलमारी से एगो डायरी निकाल के बेबी के धरा देहले अउरी बेबी उ पढ़े लगली। औइमे में अमित के जिनगी के बचपन से लेके आज तक के एक एक बात दर्ज रहे।
अमित के दिमाग में पुरान बात सब ताजा हो गईल।
"बाबा, भिरगु भाई केतना बोझा इ लदले बाड़े मूडी पर" अपना दुआर से गुजरत एक आदमी के माथा के बोझा देख अमित अपना बाबा चनेसर से कहले। बाबा मूडी हिला देहले।
कुछ देर बाद अमित के मन में जिज्ञासा भईल अउरी पूछले -"बाबा दुनिया में सबसे बड बोझ का होला? भिरगु भाई के बोझा से बड बोझा हम आजू ले नईखी देखले"
अउरी तब बाबा रहस्य से कहनी "अभी तहार उमिर कम बा। बड हो जईब त औरी भी बहुत कुछ देखे के मिली।"
"ना बाबा, रउवा बताई ना?" अमित जिदिया गईले।
"अबे तहरा ना बुझाई" बाबा टारे के कोशिश कईनी।
"ना बाबा। बताई"
अउरी कुछ देर के इ जिद के रस्सा कस्सी के बाद जीत अमित के भईल।
"वईसे त दुनिया में तमाम तरह के बोझा बा दुनिया में पर सबसे बड़ बोझा होला बाप के कन्धा पर जवान बेटा के लाश"
सुनके अमित अवाक रही गईले। संसार के अतना गूढ़ ज्ञान के बतावत घरी चनेसर बाबा के अचिको अंदेशा ना रहे कि उ बोझा उनके भी ढोवे के पड़ी। बेटा ही काहे बहु के भी। ठीक ओही दिने दुपहर में बाजार करे गईल बेटा बहु के लाश घरे आईल औरी जब साठ साल के चनेसर बाबा के कन्धा पर जवान बेटा बहु के लाश आईल त उनका बात के प्रमाण गाँव जवार के सगरो लोग देत रहे। सबके मुह पर इहे बात रहे। आजू उनका कान्हा पर दुनिया के सबसे बड बोझा बा।
सूरज उनकर अकेल लईका रहले। बाहर में नौकरी करत रहले। नाती बहु उनका साथे गाँव में ही रहे। उ अबे छुट्टी पर आईल रहले औरी इ हादसा हो गईल रहे।
काम क्रिया बीतला के बाद हित रिश्तेदार, आस पड़ोस के जबान पर तरह तरह के बात रहे पर चनेसर बाबा के दिमाग में एक ही बात रहे। उहाँ के बस सूरज के एक ही बात याद रहे - बाबूजी हम त ढेर ना पढ़ पवनि। पर हमार सपना बा कि हम अमित के बहुत बड़ इंजीनियर बनाई।
सूरज के सपना अब चनेसर बाबा के सपना रहे। रिश्तेदार लोग अपना अपना घरे चल गईल। अमित के मामा किहाँ के लोग अमित के अपना साथे ले जाए चाहत रहे पर अमित अपन बाबा के छोड़ के रहस एकर सवाले ना रहे अउरी अब 60 साल के चनेसर बाबा के जिनगी के एके लक्ष्य रहे - दस साल के अमित के बड़का इंजीनियर बनावल।
अउरी ऐ लक्ष्य के पूरा करे खातिर चनेसर बाबा उ करे लगनी जवन आज तक ना कईले रहनी। कबो केहू के बात ना बर्दाश्त करे वाला चनेसर बाबा ऐ उमिर में पास के ही क़स्बा के एगो सेठ किहाँ नौकरी ध लेहनी। सबेरे अमित के साथे ले जाके खेत के काम करीं अउरी अमित खेलस। फेरु ओकरा बाद खाना बना के अमित के खियाई अउरी खुद भी खायी। फेरु दुनू जाना तैयार हो जाओ लोग अउरी यहां के अमित के साइकिल पर बईठा के काम पर निकल जाई। जहाँ उहाँ के काम करीं, ओकरा लगे ही अमित के स्कूल रहे। शाम एक स्कूल ख़त्म होखे त अमित बाबा के पास आ जास अउरी जब काम ख़त्म हो जाऊ त दुनू जाना घरे लौट आवे लोग।
जवार में एक से बड़के साधु रहले, एक से बड़के पुजारी रहले, सन्यासी रहले। लेकिन चनेसर बाबा जइसन कर्मयोगी के आगे सब फेल। सबके जुबान पर चनेसर बाबा के ही तपस्या के बात। बाबा जवन साधना में लागल रहनी ओकरा आगे त प्राचीन काल के बड़ बड़ ऋषि मुनि के साधना फेल रहे।
इ कर्मयोग रहे अउरी ऐ कर्मयोग के आगे दुनिया के हर साधना, योग, तपस्या, बौना लागे।
बाबा के तपस्या के अमित भी बाव ना जाए देत रहले। पढ़े में खूब मेहनत करस अउरी हमेशा पहिला स्थान पर आवस। जब बारहवीं में अमित जिला टॉप कईले त बाबा से उनकर स्कूल के प्रधानाचार्य कहले -बाबा राउर तपस्या सफल होके रही। अमित जरूर इंजीनियर बनिहे।"
"बाबा जब हम इंजीनियर बन जाएब तब राउर का इच्छा बा ?" अक्सर हमेशा अमित बाबा से पूछस
अउरी बाबा बिहस के कहीं - तब हम अपना नाती के धूमधाम से शादी करेब। मुरारी लाल के बैंड आयी अउरी हम फेटा बाँध के हाथी पर बईठब। अयीसन धूमधाम से शादी करेब कि पूरा जवार में थेयि थेई होइ।"
फेरु उ दिन भी आयिल जब बाबा के तपस्या के मनचाहा फल मिल गईल। अमित कंप्यूटर इंजीनियर भी बन गईले अउरी अमेरिका में बड़ कंपनी में नौकरी भी पा गईले।
काम के दौरान ही उनके अमेरिका में जनमल अउरी पलल सहपाठी बेबी से प्यार हो गईल। लेकिन बाबा के सपना के तोड़े के हिम्मत अमित में ना रहे। उनका कुछ ना समझ में आवे। पर बाबा मन के बात पढ़ी। भला उहाँ से अमित के मन के बात छिपित। एक दिन फ़ोन पर अमित सारा बात बाबा के बता देहले अउरी बिना एक पल भी सोचले बाबा आपन हाथी पर चढ़े के सपना के हंसी के त्याग क देहनी। उहाँ खातिर सबसे बढ़ ख़ुशी रहे अमित के ख़ुशी।
बहुत दिन से ना नुकुर कर रहत बाबा के अमित के बियाह खातिर अमेरिका आवे के पड़ल। अब अमित तय क लेले रहले कि उ बाबा के अपना से अलग ना रहे दिहे। आजु बाबा के 75 वा जन्मदिन रहे। अमित बाबा के जन्मदिन धूमधाम से मनावत रहले अउरी केक काटे के समय इ बात भईल रहे।
बेबी से सिसकला से अमित वर्तमान में आ गईले। बेबी पूरा डायरी पढ़ लेले रहली।
"i could have slapped there to punish you for your misbehavior. but that would have been insult of my baba's teaching. हम तहरा बुरा बर्ताव के सजा देबे खातिर, ओहिजा थप्पड मार सकत रहनी, लेकिन इ हमरा बाबा के शिक्षा के अपमान होइत।"
अमित खीस से कहले।
"please forgive me amit . i have insulted baba. he is greater than god. हमरा के माफ़ क द अमित। हम बाबा के अपमान कईले बानी। बाबा त भगवान से भी बढ़ के बानी"
"go and apologize to baba. he will forgive you. जा अउरी बाबा से क्षमा मांग। उहाँ के तहके माफ़ क देब।
बेबी बिना एक पल गववले बाहर गईली अउरी सगरो मेहमान के सामने बाबा के गोड़ धरी लेहली। अमित के आँखि में लोर आ गईल।
बाबा बेबी के उठावत कहनी - केहू के अपमान करे के अपराधबोध भी दुनिया के बहुत बड़का बोझा होला। निमन कइलू ह कि तू माफ़ी मांग लेलू ह।"
सारा मेहमान लोग ताली बजावे लागल अउरी हैप्पी बर्थडे से पूरा हाल गूँज उठल अउरी बेबी अपना हाथ से बाबा के केक काट के खियावली
"next year i will talk to you in bhojpouri. that will be your birthday gift from me."
"अगिला साल हम रउवा से भोजपुरी में बात करेब। इहे हमरा तरफ से राउर जन्मदिन के तोहफा होइ" बेबी कहली।
"अउरी अगिला साल रउवा आपन जन्मदिन अपना माटी पर मनायेब। इ हमार तोहफा रही।" अमित कहले अउरी बाबा के भी आँख गिल हो गईल।
धनंजय तिवारी