दस रूपये के नोट पर अनमोल मोहब्बत को चंद लफ्जों मे उकेरने वाला दिलजला आशिक आपको याद है न ?
जरूर लड़का मोहब्बत में औधें मुॅह धोखा खाया होगा, जरा गौर करिऐ जब दिलकश प्यार पर जोर न चला तो रात कि अगड़ाई, दोपहर का एकाकी पन इस कदर हावी हुआ की बात दिल से जरूर निकली लेकिन जुबां तक न आ पाई होगी !
फिर क्या जज्बात शब्द बने और हाथों ने उन्हे उकेर दिया नोट पर, सोच भी एक दम अविष्कार टाइप...
उम्मीद यही रही होगी कि बेवफाई को दुनियाॅ तब तक याद रखे जब तक नोट चलता रहे,
अब सोचिऐ बेवफाई इतनी शक्तिशाली थी तो मोहब्बत कितनी चपूआ रही होगी..वैसे मामला गवॅई प्रतीत हो रहा था तो हमने सोचा जरूर आशिक भी खांटी गॅवई होगा और नोट पर लिखने का दिलकश विचार भी दस रूपये की किमत जानने वाले के ही दिमाग में आ सकता है...
वैसे चारूस्मिता सोनम गुप्ता जी आप कौन थी ये तो नहीं पता चला लेकिन आशिक आपका अब पहचान में आया है, स्वाभाविक है आप अदभूत रही होगी| नोट पर सोनम गुप्ता बेवफा लिख आॅशुओ से भिगोकर बेवफाई में झुलसाकर उसे सुखाने वाले सोनम जी के आशिक 'सोनू' भी अब दुनियाॅ के सामने है..
वो अलग बात की बस नाम से सामने है बाकी शरीर से ओझल है|
वायरल विडियों में जिस कदर सोनू को मनाया जा रहा है उससे प्रतीत होता है की सोनू भी अंधा आशिकी में अत्यधिक पारंगत हो चुका है या फिर जेब खर्च करते करते अंतर्धान हो गया है| सोनू कि मनोदशा क्यु कांग्रेस जैसी हो गई पता नही लेकिन आॅखों को चश्में में छिपाऐ न जाने कितनी सोनम आज सोनू को तलाश रही है ! इस जमाने में जहाॅ एक माशूका का खर्चा संभाल कर प्रेम परवान चढ़ाना मुश्किल होता जा रहा है..
वहीं सोनू ने भी सोनम गुप्ता को बेवफाई दिखा कर सिद्ध कर दिया की अगर लड़का भी बेवफाई पर उतरे तो उस जैसी न जाने कितनी सोनम 'सोनू' को दिल से लगाकर सोनू सोनू कहते मोहब्बत कि अग्नि में कूदने को तैयार है|
सोनू भी करे तो आखिर करे क्या ? ऊधर नोट पर उकेरा दिल का हाल जमाने को बेवफाई का पैगाम दे गया तो इधर सोनू को रात में कमरे का सन्नाटा सोनम सोनम चिल्लाकर कचोटने लगा था ! हालात दिन ब दिन दूभर हो रहे थे..
आखिरकार सोनू दिल का मर्ज लिऐ गाॅव के एक पुरनिऐ प्रेमी के समक्ष जा पहुॅचा !
दुआ सलाम के बाद पुरनिऐ प्रेमी ने सोनू से चिलम उठाकर पास लाने को कहा ! और उसमें आग लगा बोल बम कह आकाश की तरफ देखा और चिल्लाया "आवा हो भगवान" फिर चिलम को माथे चढ़ा दोनो हाथ में दबाकर एक बार में ऐसा अंदर खींचा की सोनू सन्न रह गया ! सोनू चिल्लाया चचा !! चचा !! लेकिन चचा कुछ बोल ही न रहे..सोनू को लगा की चचा परलोग तो न सिधार गये लेकिन अचानक मुॅह से ईट भट्टे जैसा धुआ निकला और पुरे 32सेकेंण्ड तक निकलता ही रहा..चचा ने सोनू की तरफ लाल आॅखो से देखा और चिलम झाड़ते हुऐ पुछा ! का रे सोनूआ बताव काहे आयल हवे !
सोनू ने संकोच करते हुऐ सोनम गुप्ता वाली बात कह सुनाई और वियोग से ऊबरने का उपाय पुछा !
चचा ने एक कश लगाया और जल्दी ही धुआ छोड़ते हुऐ बोले ! दूसर देख ! ऊ अपने आपय भुलाय जाई ! अउर जो भाग अब इहा से..
सोनू ने चचा को मोक्ष प्राप्ती के कलयूगी साधना में लीन देख वहाॅ से खीसकना ही बेहतर समझा और घर आकर सचने लगा दूसर देख ! मतलब ?
दूसर पटावे के पड़ी !
फिर क्या आनन फानन में सोनू आज काफी दिनो बाद उस तरह से नहाया जैसा लड़के शादी वाले महीने में नहाते है..रगड़ रगड़ के...
दोपहर के दो बजे नहा कर सोनू आज कौतूहल अवस्था में खाना खाया और खाते हुऐ ही सोच रहा था की दूसर पटाई के के ?
समय बीता और शाम हो आई ! शाम आते ही सोनू को चाची ने छत पर पानी डालने के लिऐ भेजा..गाॅव में अक्सर गर्मी के महीनो में सोने से पहले छत ठंडा किया जाता है और ये कार्य घर का छोटा और किसी बेरोजगार को ही सौंपा जाता है|
पानी लेकर सोनू छत पर जा पहुॅचा और उसे इधर उधर गिरा कर काम पुरा किया और छत से नीचे उतरने को आगे बढ़ा लेकिन तभी एकाएक कदम पीछे हो लिऐ !
ठीक बगल वाली छत पर कुछ ज्यादा ही उजाला दिखाई दिया !
सोनू ने नजर घुमाई और उसे लगा की आज दो चाॅद एक साथ निकल गये हो गाॅव में.... एक आसमान में दूसरा पड़ोस की छत पर...
उधर भी एक सुदर्शना अपनी छत को ठंडा कर रही थी..छत ठंडा हुआ या नही लेकिन सोनू का दिल महीने बाद तेजी से धड़का और मुर्छावान दिल को अजब सी ठंडक मिली... अब क्या था सोनू हाथ में बाल्टी लिऐ लगातार उस सुदर्शना को निहार रहा था !
लेकिन उनका चेहरा उनकी जुल्फो से ढ़का था और मोहतरमा झुक झुक कर पानी इधर उधर गिरा रही थी...
इधर सोनू को ऐसा प्रतीत हो रहा था की वो पानी के छीटें छत पर नहीं उसके दिल पर मारे जा रहे हो.....पानी खत्म होने पर सुदर्शना एक छटके से तन कर खड़ी हुई और बालों को झटकारते हुऐ मुड़ी...
सोनू सहम कर इधर इधर उधर देखने लगा... लेकिन सिर्फ एक आॅखो से दूसरी आॅख तो वही अटकी रही.... उनपर ही...
फिर क्या उस सुदर्शना ने सोनू कि तरफ देखा लेकिन नजर अंदाज कर नीचे चली गई !
सोनू ! सोनू !
कोई नीचे के कमरे से चिल्लाया !
फिर सोनू ने भी प्रतिउत्तर देकर अपनी छत से नीचे उतरने लगा...लेकिन सोनू का दिमाग तेजी से शोध मे जुटा की ये नई लड़की पड़ोस में है कौन ? यही सोचते सोचते सोनू नीचे जरूर उतरा लेकिन उसका दिल और मन छत पर ही रूका था बस शरीर नीचे उतरा था..!
सोने का समय हुआ और आचानक बिजली ने दर्शन दे दिया और
गाॅव को उजाले से नहला दिया..
सोनू के घर में सबने नीचे ही सोना मुनासिब समझा क्युकी बिजली आ गई थी..
लेकिन सोनू बिस्तर तकिया ले छत पर जा पहुॅचा और उसी तरफ (पड़ोस) मुॅह करके सोया...समय बीतता रहा और शाम जवाॅ होकर रात में ढ़लती रही ....सोनू सोचता ही रहा की एक चाॅद तो दिख रहा दूसरा क्यु नही आ रहा...
और आधी रात तक सोनू सीने पर हाथ फेरते इंतजार ही करता रहा लेकिन उसका चाॅद छत पर आया नही और न जाने कब उसे सोचते सोचते सोनू सो गया....!!
(आगे की कहानी अगले भाग में)
-विशाल चौबे