"ते आजू से हमरा किहाँ गोहरा पाथे मत अयिहे" वीरेंदर बो किरोध से कहली "ते अईसन बाड़े हमरा ना मालूम रहल ह। हम त तोहके निमन चरितर के बुझत रहनी ह।"
उनकर बात सुनके सीतवा के अचरज ना भईल। एकर उम्मीद ओकरा पहिले से ही रहे। उ चुपचाप अपना बेटा मंटू के हाथ पकड़ के चले लागल।
बिरेंदर बो के बात के अर्थ से अनजान मंटू भोलापन से कहले "मम्मी गोईठा त ते लेबे ना कईले। आजू लिट्टी लगावे के नु बा"
"गोइठा नाही भक्सी ना झोक दी तह लोग के। भाग जा लोग अयिजा से ना त"
उनकर बात सुनके मंटू माई से सपट गईले औरी सीतवा मंटू के हाथ पकड़ के अपना घर के ओर बढ़ चलल। कई दिन से वीरेंदर के नजर सीतवा पर रहल ह। बिरेंदर किहाँ चार गो गोरु बाड़ सन औरी उ उनकर गोहरा पाथत रहल सिह। बदला में कुछ गोईठा मिल जात रहल ह औरी थोडा समय भी कट जात रहल ह। रिश्ता में बिरेंदर काका लागे ले पर उ कबो ओके बेटी के नजर से ना देखत रहले ह। औरी आखिर काल्ह मुन्हारे उ ओकर हाथ अपना गोहरा के पीछे पकड़ लेहले। उ विरोध करत रहे पर वीरेंदर के बल के आगे असहाय रहे। जब सब प्रयास ओकर असफल होखे लागल त पता न कईसे ओकरा दिमाग में आईल औरी उ जोड़ से उनके दाते काट लेहलस। दर्द से बिरेंदर के पकड़ ढीला भईल औरी उ भाग खड़ा भईल। ओकर इज्जत बच गईल। मन में आईल कि उ हल्ला क के गाँव के इकठ्ठा क लेउ पर फेरु इ सोच के की गाँव के सबसे बड़का आदमी औरी जवार के दबंग के खिलाफ के बोली, औरी केहू गवाह भी त नईखे। फेरु के ओकर बात पतियाई। उ छुपे घरे चल गईल।
पर बिरेंदर चुप ना रहिये ओकरा मालूम रहे। औरी साचो वीरेंदर ना चुपयिले। ओही के परिणाम रहे इ।
घर पहुच के सीतवा खटिया पर लेट गईल रहे। मन में एके सवाल रहे। काहे सीता के ही हमेशा परीक्षा देबे के पड़ेला।
कुछ दिन पहिले के बात एकदम ताजा होके दिमाग में चले लागल।
"अरे एगो बात जनंनी ह काकी जी?" चनिरका बो पिंटुआ के ईया से कहली "सीतवा ससुरा से भागी के आयिल बिया। इहो सुननी ह कि दुकाहा अब ससुरा ना जाई।"
भोरे भोरे अईसन खबर सुनके पिंटुआ के ईया के चेहरा पर खिल उठल। इ त बड़ा चटक खबर रहे। कई दिन से महिला लोग भा ई कहीं कि पूरा गांव में बतकही के मुद्दा ओराईल रहे। इ खबर त अयीसन रहे कि एकरा बात पर कई महीना ले पिसान पिसा जाइत।
"साचो?" पिंटुआ के ईया दुबारा कन्फर्म करे खातिर पूछलि।
"जी काकी जी। एकदम साच बात ह। हम अपना आंखी सीतवा अउरी ओकरा बेटा के देखनी ह। दुकाहा आदमी अउरी सासु से झगड़ा क के भाग के आयिल बिया।"
"बताव ना। भल बिया सोगी। भला ससुरा से भागी की आवल जाला। ससुरा में तनी उच्च नीच केकरा साथे ना होला। भला ओकरा अयीसन करे के चाही। पूरा टोला के नाक कटवलस।"
"एकदम सही कहनी काकी जी। पर अइमे सारा दोष ओकरा माई के बा। उ शुरूवे से ही सीतवा के बाघ बना के रखले रहल सीह। ससुरा में तनी दब के रहे के पड़ेला। अब बाघिन ससुरा में केहू के बात सहो। त फेरु इहे न होइ।"
काकी हाँ में मूडी हिला देहली। तनिये देर में पूरा टोला के मेहरारू लोग के जुटान हो गईल अउरी सीतवा के नईहर अउरी ससुरा के एकदम महिनी से चर्चा होखे लागल। ओइसन गहन चर्चा, त इंदिरा गाँधी भी ना कईले होईहे पाकिस्तान पर चढ़ाई करे के समय। ओइसन मंत्रणा त मोदी जी नोटबंदी करे के समय भी ना कईले होईहे। ओइसन चिंतित त अमेरिका भी ना भईल होइ जब उत्तर कोरिया परमाणु बम के परिक्षण कईले होइ , जेतना नवका टोला के महिला लोग के बीच होत रहे।
लेकिन इहे नवका टोला ह। एइजा के महिला लोग के बतकही के आगे देश दुनिया सब फेल बा। वइसे अयीसन विशेषता वाला गांव नवका टोला ही नईखे। हर गांव में इ झलक मिल जाई।
लेकिन सगरो गांव से नवका टोला तनी बेसी कहा सकेला। टोला में पद अउरी उमिर में बड़ भईला के कारण नवका टोला के महिला लोग के पिंटुआ के ईया, अघोषित नेता रहली अउरी छोट बड़ कवनो भी बतकही के केंद्र उनकर दलानी रहे। एक भोरे से गांव के गली मुहल्ला खेत खरिहान से शुरू भईल महिला लोग के बतकही, दुपहर में पिंटुआ के दलानी में आके परवान चढ़े।
सीतवा के ससुरा से भागी के आवे के खबर, गांव में बतकही के मुद्दा के बुतायिल कउड़ा खान फेरु से आगि धरा देले रहे। अब सगरी लोग ऐ कउड़ा के सोझा बइठे वाला रहे। केहू आगि तापे खातिर त केहू आगि में पुअरा डाले खातिर।
अउरी भईल उहे। सारा देश दुनिया के खबर कगरी छटा गईल अउरी सब के मुँह में बस सीतवा के बाती। सीतवा के नईहर आईल पूरा गांव के समस्या हो गईल।
अउरी ठीक तीन बाद ऐ समस्या के सुलझावे खातिर सगरो गांव पिंटुआ के दुआर इकठ्ठा हो गईल। सब केहू के इकठ्ठा कईले रहे सीतवा के सासु अउरी मरद। दुनू रेक्सा से नवका टोला पहुँचल रहल सन अउरी मामला के निपटारा खातिर पंचायत बिटोरले रहल सं।
करीब आधा घण्टा के बहस के बाद पूरा गांव के राई रहे कि सीतवा के वापिस ससुरा चल जाए के चाही। लेकिन सीतवा जाए से साफा इंकार क देहलस अउरी तब पिंटुआ के ईया ना रहाइल।
"रे सोगी, ते काहे अतना चोना कईले बाड़े ?" उ गरजली "ससुरा में केकरा तनी ना सहे के पड़ेला। ते विशेष बाड़े का।"
अउरी जबाब में जवन सीतवा कईलस ओकर केहू के उम्मीद ना रहे। उ ईया के सोझा आपन पीठ उघार देहलस। ओकर पीठ देख के ईया के सांस अटक गईल अउरी इहे हाल पूरा गांव के रहे। सगरो पीठ पर गरम लोहा से दगाईला के निशान एकदम ताजा रहे। मने ओइसन बहशीपन त लोग जानवर के साथै भी ना करत होइ।
"ईयां नीचहु दिखाई" लोग के प्रतिक्रिया से निस्फिकिर सीतवा पूछलस पर कवनो जबाब ना आयिल। ईया के साथै साथै पूरा गांव के बोलती बंद गईल रहे।
"ठीक बा अगर इ ना जाई त मत जाउ पर हम आपन नाती के ले के जाईब।" चुप्पी तोड़त सीतवा के सासु कहलस।
अउरी इ सुनके सीतवा के पांच साल के बेटा अपना नानी से चिपट गईल। ओकरा आँखी में डर साफे लउकत रहे।
"हम अपना बेटा के तोरा पियक्क्ड़ बेटा साथे भेज दी कि उ पी के एकरा के झाड़ू पीटो। लोहा से दागो "
पूरा गांव इ सुन के सकता में रहे। फेरु धीरे धीरे सबके राई बदल गईल। ससुरा जाए के कहे वाला केहू ना रहे।
फेरु जवना रेक्सा से ओकर सासु अउरी मरद आयिल रहल सं ओहि रेक्सा उ लउट गईल सं।
कुछ दिन त ठीक बीतल पर ओकरा बाद घर में खटपट होखे लागल। ओकर दुनु भाई ओकरा नईहर आके बईठला से पहिल ही खिलाफ रहल सन। नतीजा इ निकलल कि ओके ओकरा माई के साथे अलग क देहल सन। औरी एकरा कुछ दिन बाद उ वीरेंदर काका किहाँ गोहरा पाथे लागल। अईसे ओकर समय भी कटे लागल औरी बदला में कुछ मिल भी जाऊ।
अजू उहो आसरा खत्म हो गईल रहे।
"आजू गोहरा ना पथले ह का" अतना जल्दी वापिस आईल देख सीतवा के माई पूछली।
अब ओईसे ना रहल गईल अउरी उ बदला में सब बात बता के फफक पडल। ओकरा बाद दुनिया के कवनो भी अईसन शराप जवन ओकर माई जानत रहली, उ ना बचल जवन उ बिरेंदर के ना देले होखस। गरीब, कमजोर, असहाय, लाचार के गारिये औरी शराप नु हथियार होला। उ भला बड आदमी के बल से कहाँ लड़ पावेला। कुछ देर के कोलाहल के बाद ओकरा मडई में चुप्पी पसर गईल।
फेरु मडई के सन्नाटा पिंटूआ के ईया के आईला पर टूटल।
"सुननी ह कि बिरेंदर बो तोहरा के गोहरा पाथे से माना क देली ह"
जबाब में माई बेटी कुछु ना कहल।
"जाए दे निमने भईल ह। बिरेन्द्र निक आदमी ना ह। ओकरा किहाँ से बच के ही रहे के चाही। पर ते चिंता मत कर।
हम तोहरा खातिर खुश खबरी लेके आईल बानी" ईया चहक के कहली "राती के हमरा किहाँ भी भईस आईल बिया। हमरा किहाँ चल के गोईठा पाथ"
पिंटूआ के ईया के बात सुनके दुनु माई बेटी के साथे मंटू के चेहरा भी गिल हो गईल।
"नानी तू गोइठा देबू नु" मंटू पिंटूआ के ईया से पूछले "अगर मम्मी तहरा किहाँ गोहरा पाथी त"
औरी बदला में उ मुस्किया देहली। सीतवा औरी ओकरा माई के निमन से पता बा कि भले जबान के कड़ा हई काकी पर दिल के निमन हई।
"काकी हम मंटू के स्कूल भेज के आवेनी गोहरा पाथे" सीतवा कहलस अउरी उ चल गईली।
"माई हमहु पढ़ लिख के बड़का आदमी बनेब" स्कूल जात समय, मंटू माई के हाथ पकड़ के कहले "औरी तब तहके केहू किहाँ गोहरा ना पाथे के पड़ी"
औरी इ सुन के सीतवा के चेहरा पर संतोष के भाव रहे। एही के उम्मीद त ओहू के रहे नात अब ओकरा जिनगी में बचल ही का रहे।
धनंजय तिवारी