हास्य संस्मरण "उपहार"

Update: 2017-08-04 07:34 GMT
बी एड कॉलेज कॉलेज में शिक्षक दिवस पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था ।सभी विद्यार्थी स्कुल मैनेजमेंट को खुश करने के लिए कीमती उपहार लाये थे ताकि प्रैक्टिकल में अच्छे अंक मिल सके ।"मुझे कैसा उपहार देना चाहिए? " इसको लेकर मैं बहुत चिंतित था ।
बाजार में घुमते हुए अचानक मेरी निगाहें एक वस्तु पर जाकर ठहर गयीं।उस वस्तु को देखते ही मुझे एक शैतानी सुझी ।वह एक घड़ी था जिस पर शराब का बोतल की आकृति बनी थी ।हेड आफ डिपार्टमेंट के शराबी होने की खबर मुझे विश्वसनीय सूत्रों से मिल चुका था ।मेरे मन में नकारात्मक और सकारात्मक विचार आने लगे ।अंतरात्मा की एक आवाज सुनाई देती कि "यह उपहार मत दो नहीं तो कम नम्बर मिलेंगे !" और दुसरी आवाज कहती कि "यही उपहार दो। हो सकता है कि ज्यादा नम्बर मिल जाये ! " अंत में मैंने "नो रिश्क नो गेन "का फार्मूला अपनाया । सोचा कि या तो मुझे सबसे कम अंक मिलेंगे या सबसे ज्यादा ।पैक्ड उपहार लेकर जैसे ही कालेज पहुंचा मेरे एक सहपाठी रामाज्ञा की नजर मेरे उपहार पर पड़ी ।"अरे! नीरज! तुम क्या गिफ्ट खरीदे हो! "
मैं मुस्कुराते हुए बोला ,-"कुछ खास नहीं ।इसमें घघ शशश ,,,,,,मेरी पूरी बात सुने बिना ही उसने मुझसे कहा ।
-"हकलाओ मत ।तुम जरूर ही कोई खास उपहार खरीदे होगे ।मैं और तुम एक साथ इस गिफ्ट को हेड सर को प्रजेंट करेंगे ।"
-"सोच लो! बाद में मुझे दोष मत देना।"
मैंने यह बात गम्भीरता मे कहा लेकिन उसने इसे मजाक समझा ।
सांस्कृतिक कार्यक्रम के बाद जब गिफ्ट देकर हेड सर को सम्मानित करने का कार्यक्रम चलने लगा तो रामाज्ञा मेरे पास आकर बैठ गया ।शायद उसको महसूस हुआ होगा कि कहीं मैं अकेले-अकेले गिफ्ट देकर फोटो न खिंचवा लूँ ।
आखिर वह घड़ी आ गयी जब मुझे सर को सम्मानित के लिए मंच पर आमंत्रित किया गया ।
रामाज्ञा भी मेरे साथ हो लिया।हम दोनों ने एक साथ गिफ्ट दिया ।गिफ्ट देने के बाद रामाज्ञा ने मुझसे पूछा -"यार अब तो बता दे ।गिफ्ट क्या था? "मैंने भी सोचा कि अब बता देना चाहिए ।
मगर जैसे ही मैंने गिफ्ट के रूप में नकली शराब की तस्वीर होने की बात कही उसके चेहरे पर हवाईयां उड़ने लगीं ।और बोला -"यार ये तूने ठीक नहीं किया ।पहले मुझे बताया क्यों नहीं?"
फिर मैंने बोला -"तुमने मुझे बोलने का मौका कहां दिया?"
अगले दिन जैसे ही मैं कॉलेज पहुंचा,गेट पर ही चपरासी सर ने मुझे और रामाज्ञा को आफिस मे जाकर हेड सर से मिलने के लिए कहा ।जब हम दोनो उनसे मिले तो वो मुस्कराते हुए बोले -"गिफ्ट अच्छा था । इस प्रकार का आईडिया तुम दोनो के पास कैसे आया?"
मैंने सर झुकाकर कहा -"बस ऐसे ही ।"
आफिस से बाहर आते ही रामाज्ञा मुझे एक घुसा मारते हुए कहा -"तू बहुत बदमाश है रे!"
कुछ महीने बाद परीक्षा हुई । परीक्षा फल में प्रैक्टिकल में मैं और रामाज्ञा टॉप टू में थे ।

नीरज मिश्रा 
बलिया (उत्तर प्रदेश )।

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