रामकबूतर की चिठ्ठी, भगवान जी के पास।

Update: 2017-07-12 13:39 GMT
सोस्ती सीरी पत्र लिखी रामकबूतर की ओर से भगवान जी को राम राम। अब अपना हाल का बताएं, आधा आसाढ़ बीत गया पर एको बून्द पानी नही हुआ, सो रोपनी अभी सुरु नही हुआ है इसलिए बैठकी ही है।
बिसेष बात यह है कि छव महीना पहिले हमार बेटवा एगो टीबी किन दिया था, तो दिन भर बइठ के हम दुनु बेकत उसी में नाच देखते हैं। काल्ह उसी टीबी में देखे जे उसी टीबी वाला नाच का एगो कवनो लौंडा कवनो नेता के पास चिठ्ठी लिखा है, तो हम सोचे कि हमहुँ काहें ना एगो चिठ्ठी लिख दें। अब फेर सोचे कि कवनो दोसर तीसर को लिख के लात खाने से निमन है कि भगवाने जी को लिख दें, काहें कि जवानी के दिन में एक बेर अरबिन भाई के साली के पास आलोक पाण्डेय से लिखवा के चिठ्ठी भेजे थे, त उसका कुल इयार संघतिया हमको बोरा में कस के उ पटुआ नियर थूरा था कि आजुओ पुरुआ हवा में पोर पोर दुखाता है। सो एहि डर से आपको लिखें हैं।
देखिये भगवान जी, आपसे हमको दू गो बात कहना है।
भले सारा दुनिया कहे कि भारत से भ्रष्टाचार मिटाइये, आप ऐसा मत करियेगा। भरष्टाचार बहुत जरुरी चीज है।आप पूछियेगा कइसे, त सुनिए- साल भर पहिले हम मोतीझील वाला महंथ जी से बटाई ले के साढ़े तीन बीघा धान रोपे थे, जवन आपकी किरपा से फाइनल सूख गया, एक छटाक धान घर नही आया। एक महीना बाद पता चला कि सूखा-राहत के लिए सरकार सब किसान भाई को पइसा दे रही है, और हमको साढ़े चौदह रोपेया राहत का मिलने वाला है, तो हम घर भर मिल के राय किये कि जब मिलेगा तब उसी साढ़े चौदह रुपिया से सल्फास किन के घर भर खा लेंगे। पर बाह रे देश, हम खोजते रह गए पर पइसा नही मिला आ बाद में पता चला कि उहो पइसा मुखिया साहेब खा गए। तो जब पईसे नही मिला तो सल्फास कैसे खाएं, सो हमलोग जी गए। इसी लिए कहता हूँ जे भरष्टाचार बहुते जरुरी है, इसको ख़तम मत करियेगा।
दूसरा बात ई है कि पढ़ल पंडित लोग कहते हैं कि आपहीं खुदा भी हैं, अल्लाह भी हैं, वाहे गुरु हैं, गॉड हैं, और भी दुक गो रोल में हैं आप। जब आपहीं सब रोल में हैं तब त दुनिया का सब आदमी चाहे उ कवनो जात- मौआ हो आपही का आदमी हुआ। त एगो बात बताइये, जब आप खुदा के रोल में जाते हैं त अतना क्रूर काहें हो जाते हैं कि अपना आदमी को मुड़ी काटने का आदेश देने लगते हैं? आपका आदमी सब जब आपके नाम पर एक साथ हजारो आदमी को बम से उड़ा देता है, सैकड़ो का गर्दन रेत देता है, छोटा छोटा बाल बुतरू को गोली मार देता है तब आपको दया नही आता? आपके आँख से एको बून्द लोर नही गिरता? हम त बस दू बच्चों के बाप हैं तब भी सुन के हमारा करेजा फाट जाता है, आप तो सारे दुनिया के बाप हैं, आपका करेजा नही फटता? आप एतना जालिम काहें हो गये हैं भगवान जी? अगर इहे करना था तो दुनिया काहे बनाये भगवान जी? 
एगो बात और है। आप तो जानते ही होंगे कि नितीस कुमारवा बिहार में दारू बन कर दिया है। अब बताइये भगवान जी, हम गरीब लोग के सर पर अपनेही हजारो दुःख है। मेहरारू का साड़ी नही है, बेटा का पैजामा नही है, महतारी दुइ महीना से बिछावना पर बेमार पड़ी है, मड़ई पलानी का घर आधा ढह गया है, बेटी जवान हो रही है त उसके बियाह का चिंता और जान खा रहा है। डेढ़ काठा खेत था त उहो बेच के बेटा के पढाई में लगा दिए, अब पढ़ा लिखा बेटा सरवा खलिहा घूम रहा है। पढ़ाई के घमंड में मजूरी करता ही नही, और नोकरी मिलता ही नहीं। अतना बिपत में एगो दारुये का सहारा था, रोज शाम को पांच रोपेया में एक गिलास कटाहवा मार लेते थे आ सब चिंता फिकिर से निफिकिर हो जाते थे। पर जब से ई दारू बन किया है, बुझाता है जे पगला जायेंगे। दुआर पर बेटा जीन्स मांगता है, त घर में मेहरारू साड़ी मांगती है। बाजार में बनिया उधारी मांगता है, त गांव में बाबू साहेब कर्जा का बियाज मांगते है, आ इधर पाकिठ में एगो झरलकी झांट नही हैं। दारू रहता तो एक गिलास मार के निफिकिर हो जाते, पर अब लगता है जे किसी दिन ऊब के फाँसी लगाना पड़ेगा।
खैर छोड़िये, मरना जीना तो लगा ही रहेगा। ढेर का कहें, आपके आशीर्वाद से कवनो बात का सुख नही है। बस इहे अरज है कि इस बरस तनिक झरझरा के पानी बरसा दीजिये कि गरीब किसान का करेज हरिहरा जाय।
बाकी सब ठीक है।

आपका...
रामकबूतर
फ्रॉम मोतीझील

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