सुबह-सुबह गांव के चौराहे पर चाय पीने वालों की भीड़ लगी थी सभी अपने पसंदीदा दुकान पर चाय की चुस्की मार रहे थे। कुछ तो केवल अखबार पढ़ने के चक्कर में एक चाय पीने में पूरे अड़तीस मिनट तक चाय बचाये हुए थे। लोकल खबर से लेकर ओबामा तक के मामले का हिसाब चाय खत्म होने से पहले करना है। आज ही सरकार बना देना है भले चुनाव में अभी आठ महीना बचा हो।
ऐसे ही एक चौराहे पर एक लोकल खबर की एक चर्चा छिड़ी-
मंगरू बोले- थाने पर एक नया दरोगा आये हैं। कवनो यादव जी हवैं।
अवधेश यादव नाम है, चैती कहार बोले।
मंगरू-कल गांव में अपने बुलेट से दौरा पर आये थे नैके दरोगा....
बुलेट से ! अरे नाहीं.....
जीप से आये रहे.... चैती अखबार से सिर उठाकर बोला।
ना, ना, ना, एक दम चमचमात लाल रंग के बुलेट से रहे उनके साथ एक सिपाही भी रहे। मंगरू आत्मविश्वास भरी चुस्की लेकर चैती को निहारे।
चैती- तुम देखे थे कि किसी दूसरे बुलेट की आवाज सुन लिये और तुम दरोगा की गाड़ी समझ लिये। अरे कल साहेब की जीप गांव में आयी थी और गांव से दू ठो जुआरी भी बैठा कर ले गयी हमरे आंख के सामने।
एकर मतलब हम झूठ बोल रहे हैं और तूही सही हो.....मंगरू तमतमाए।
चैती- देख मंगरूआ तोरे तमतमाए और खिसियाये से जीप, बुलेट ना बनी..
साहेब, नीलक्की जीप से आये रहे समझे !
मंगरू-तोरे पास का सबूत बा कि साहेब जीप से आये रहे, बोल....
चैती- ई मोदी का #surgical_strike है का, कि हम सबूत दें।
साहेब जीप से आये रहे तो आये रहे।
मंगरू अब पायजामा से बाहर होकर....चैती को गरिया कर बोला...
कहतानी कि साहेब बुलेट से दगदगावत आये रहे और तू काहें मानत ना हवे...
चैती गाली सुनकर बिफर पड़े और अपने बेंच पर से खड़े होकर एक जबर लात मंगरू के कमर पर जमा दिये।
मंगरू चाय की गिलास सहित चाय की भट्ठी के पास छितरा गये।
चाय की दुकान रणक्षेत्र बन गया दोनो ओर से गालीगलौज और फैटी-फैटा चलने लगी....
मंगरू दुकान से पलटा उठाकर चैती के सिर पर दे मारे।
चैती लहूलुहान हो गये। फिर चैती प्रतिशोध में एक ईंट का अध्धा मंगरू के कपार पर साध कर चला दिये। दोनों लोगों का कपार रक्तरंजित हो गया। मामला इतना गंभीर हो गया कि भीड़ इकट्ठा हो गई और दोनों के घर वाले दोनों को लेकर थाने पहुँचे।
थाने में- क्या मामला है दरोगा साहेब घूरकर बोले......
मंगरू- कुछ नाहीं साहब आपही के बारे में बात उठी थी कल आप हमरे गांव में बुलेट लेकर गश्ती में आये थे न ! तो हम कहे कि नवका साहब बुलेट से आये थे लेकिन इ चैतिया कह रहा था कि दरोगा साहेब जीप से आये थे। एही बात पर बात बढ़ गई और इ हमें मारे लगे।
चैती- साहेब कल हम आपको जीप से देखे थे और आपके साथ वो बगल वाले मिश्रा जी सिपाही भी रहे। लेकिन इ माने को तैयार ही नहीं था और एही बात पर इ लगे गरियावे अब बताईं साहब हम गारी सुनें।
दरोगाजी सिर पर हाथ धर लिये और बोले-अबे बेहूदों..... दरोगा साहब बुलेट से गये या साइकिल से कि हवाई जहाज से तुमसे का मतलब बे। बिलावजह आपन कपार काहें फोड़ लिये दूनों। अपने काम से मतलब रखते तो कपार न फुटता....
फिर थाने पर दरोगा साहेब एक-एक हजार लेकर दोनों में सुलह करवाये और दोनों पार्टी खून और दो दिन की कमाई गवांकर लौट आयी लेकिन दूनों को पता न चला कि दरोगा साहेब आये किससे थे....
रिवेश प्रताप सिंह
गोरखपुर