इ गोरख पांडेय छात्रावास है राय साहेब! विदर्भ की प्रचंड गर्मी के असर से यह सिकुड़कर अब 'जीपीएच' हो गया है। इसके 76 कमरे में 76*2 तरह के बुद्धिजीवी पाये जाते हैं। इन बुद्धिजीवियों की अपनी विशिष्ट विचारधारा है और अपना अलहदा दर्शन! 'जीपीएच' की दुनिया है तो बेहद दिलचस्प है। हम एक-एक सभी जीपीएच-वासियों की दिलचस्प दास्तां सुनाएँगें।
इसी क्रम में बिना किसी औपचारिकता के हम आपका परिचय करातें हैं 76 नंबर वाले मिसरा जी से... मिसरा जी के कमरे में हरदम धुँआ निकलता रहता है। अरे भाई, डेराइये मत! आग नहीं लगा है। जिसे आप धुँआ समझ रहे हैं न, दरअसल ऊ जीरा का छौंक है। मिसरा जी इंडक्सन पर हरदम कुछ न कुछ छौंकते-पकाते-छानते रहते हैं।
मिसरा जी की बहुत सारी विशेषताएँ हैं। हम कितना बतायें। रात भर में भाषा-विज्ञान और लिंग्विस्टिक जैसे कठिन विषय में पारंगत होना है तो मिसरा जी को अपना गुरू मान लीजिए। ज्यादा खर्चा नहीं होगा; रात भर जागने के लिए केवल चाय पिलाइए; मन हो तो भोरे-भिनसहरे ललित की दुकान का ब्रेड-पकौड़ा खिला दीजिए।
मिसरा जी ऐसा बुटी देंगे कि बस जा कर कॉपी पर उगल दीजिएगा; पास होंगे गारंटी है। इ बूटी हाशमी दवाखाने के हकीम रहमानी ते नुक्से से भी अधिक कारगर है। इस बूटी का असर है कि हिंदी विश्वविद्यालय के अधिकतर भावी भाषा-वैज्ञानिक मिसरा जी के कुटी में जुमे रहते हैं। अब आप पूछेंगे कि मिसरा जी कैसी बूटी बांटते हैं? अरे भाई, बैठ जाइए हम बता रहे हैं।
अरे! वो उनका पेटेंट है। कहते हैं कि अगर यूजीसी उनसे खरीद ले तो देश का हायर एजुकेशन सिस्टम सुधर जाए। 'रामबाण' नाम है उसका। 'रामबाण' मतलब- एक चैप्टर पढ़े और पांचों सवाल का गरदा झार दिया।
तर्क इ कि सवाल तो कइसनो पूछा जा सकता है, लेकिन इंसान लिखेगा वही जो उसने पढ़ा है। सो, मिसरा जी एक सवाल तैयार करते हैं और पाँचों सवाल कर आते हैं।
मुद्दे कि बात ये है कि अगर आप हिंदी विश्वविद्यालय के पी-एच.डी. इंट्रैंस एक्जॉम में पास करना चाहते हैं तो, मिसरा जी के 'रामबाण' का सेवन कीजिए- गारंटी फायदा होगा।
मिसिर अनंत, मिसिर कथा अनंता। तो भइया अब मिसरा जी कहानी यहीं खत्म करते है...
अगली पोस्ट में गोरख पांडेय वाले बाऊ साहेब कि कहानी सुनाई जाएगी। इंतजार कीजिए।
#जीपीएचनामा
देवेन्द्रनाथ तिवारी