नाको-5 प्यार को प्यार ही रहने दो

Update: 2017-06-18 10:43 GMT
प्रेम एक अजीब दशा है। इसका शबाब तब और बढ जाता है जब यह पता न हो कि आप जिसे प्यार करते हैं वह आपको प्यार तो प्यार, आपकी परवाह भी करता है कि नहीं। इस दशा में प्रेम अपने चरम प्रभाव में होता है। "प्रेम गली अति साँकरी ता में दो न समाय", की स्थिति हो जाती है। बस तुम ही तुम, मैं का भी लोप हो जाता है।
सर्वेश की हालत भी कुछ ऐसी ही हो गयी थी। उसके लिए संसार में केवल मानिनी थी और मानिनी का संसार था। वह खाता था तो ऐसे जैसे मानिनी खिला रही हो, चलता था तो ऐसे जैसे मानिनी ही चला रही हो, सोता था तो ऐसे जैसे मानिनी ही सुला रही हो। उसके बिना एक साँस भी मुश्किल थी। उसके बिना एक आस भी मुश्किल थी। 
आज उसके वादे की शाम है। खो गया सर्वेश, वादे और इरादे का क्या ठिकाना। आवारा बादल है, लगेगा कहीं बरसेगा कहीं। पर मानिनी आ धमकी और उसकी पीठ पर दोनों हाथ मुट्ठी बांध कर रखा और खिलखिलाकर बोलीं - नाक्को????? 
दोनों हाथ के मुक्कों का दबाव ऐसा था कि पसर गया सर्वेश। मानिनी हँस पड़ी - हाथ का भार सह नहीं पा रहे हो तो कंगन-चूड़ियों का भार कैसे सहोगे? मजाक मत करो मैंने आज मारा तो बिल्कुल नहीं है। उठो भी? पता है, कल रात मल्लिका दी और गुरु जी में जम के तकरार हुई।
सर्वेश ऐसे उठ बैठा जैसे बैल को सही जगह खोद दिया गया हो। 
- मेंरी शादी को लेकर।
अटक गयी साँस सर्वेश की। पर मानिनी कहती चली गयी-
दीदी मेरी शादी कहीं और, और गुरु जी कहीं और कराना चाहते हैं। गुरुजी तो साफ कह गये हैं कि तुम सात की शादी मैंने किया, तब किसी ने कुछ नहीं कहा तो इस आठवीं पर विवाद क्यों? हर बार आठवीं ही समस्या की जड़ क्यों हुआ है, भीष्म पितामह हो कि कृष्ण?
सुन लो मल्लिका यदि तुम मेरी बात नहीं मानी तो मैं इसके विवाह का बहिष्कार करुंगा और इतना नीच तो नहीं हूँ कि वर-कन्या को श्राप दूँ पर बारातियों को तो ऐसा श्राप दूंगा कि न उठते बनेगा और न बैठते।
खिसियाकर चले गये हैं। 
सर्वेश के मुंह से न जाने कैसे निकल गया - अब मेरा क्या होगा? 
मानिनी ने बेपरवाही से कहा - क्या मतलब? 
सर्वेश खो गया।
- का पर करूँ सिंगार पुरुष मोर आन्हर। जब आपे कह रहीं हैं कि का मतलब तब कुछऊ कहने के का मतलब? बोलिए? सालभर, बारहो महीना, तीन सो पैंसठ दिन आप से क्या यही सुनने के लिए मार खाता रहा? प्यार अंधे होता है क्या? जवानी और पानी के का भरोसा मोका मिला नहीं कि बहका, आज कह ही दूं का? 
मानिनी ने झंकझोरा- कहां खो गये? 
- कहीं नहीं। 
- तब इस 'अब मेरा क्या होगा ' का क्या मतलब? 
- का आप साँचो नहीं समझीं? 
- तभी तो पूछ रही हूँ? 
- साफ सुन लीजिए कि मुझे आपके बिना कुछ भी अच्छा नहीं लगता। सादी बियाह त बिधि का बिधान है। भाभी संजोग जिसका जहां लिखा होगा होइए जाएगा पर हमारा दुरभाग तो देखिए कि हम जिससे प्यार करते हैं, उसका नाम तक नहीं जानते।
- तुम? मुझसे प्यार करते हो? 
- जी जान से।
- कितना प्यार करते हो? 
- बै जी! हँसा तिवारी दांत चियारी- प्यार का भी कौनो नापना होता है जी? 
- फिर भी? मेरे विवेक मुसरान? 
- ये कौन है? 
- बताओ ना मुझे तुम कितना प्यार करते हो? 
- एतने की आप अपना साया भी पानी में भीगा के दे देंगी तो उसको कुआर के घाम में खाड़ा हो के सूखा दूंगा। 
- भक्क।
- हं जी।
- यह जानते हुए भी कि मैं उस घर की लड़की हूँ जिसके सात पीढी से पानी तक का भी छूना नहीं है, जिसकी रिश्तेदारी तक में शादी ब्याह नहीं होता और तुम मुझसे प्यार करते हो? मुझे सौदागर फिल्म की मनीषा कोइराला और खुद को..... 
- एकबार बस एकबार अपना नाम बता दीजिए मैं जी तो लूंगा उसके सहारे।
- प्यार करते हो और प्यार की पहली शर्त भी नहीं जानते? प्यार वह कस्तूरी है जो हमेशा खोई रहे तो अच्छा। हम दोनों के बीच मेरे नाम को खोए रहने दो न? 
सर्वेश जैसे आखिरी जोर लगाया- तो क्या हम कभी नहीं मिलेंगे? 
- प्यार सच्चा है तो जरूर मिलेंगे। याद रखना सच्चा हो तो? 

माताजी सोच रही थीं- Lahari Guru Mishra के दंभ को मैं इसी लगन में सर्वेश की शादी करके तोड़कर रहूँगी। अंधी, लूली, लँगड़ी, कानी किसी से भी इसकी शादी करवा के ही रहूँगी। जैसे रानी लक्ष्मीबाई ने अपने बच्चे को पीठ पर बाँधा हो- पप्पू अरे ओ पप्पू?? 
मानिनी अपने घर की ओर भागी। 
- हाँ माँ? 
- जरा निंदक जी को बुला ला तो? 

शेष अगले अंक में-

आलोक पाण्डेय
बलिया उत्तरप्रदेश

Similar News

गुलाब!