परमप्रतापी साली भक्त , पीठकुँचवईया , मुँहथुरवईया , गोड़तुरवईया श्री श्री एक करोड़ साढे पौने लाख पौने अढाई हजार एक सौ आठ पंकज यादव अपने घर पर बलिया के विख्यात झूठबोलवईया श्रीमान आनंद मोहन 'भोजपुरिया' को साली के घर आने की और उनसे मिलवाने का नेह निमंत्रण दिए । निमंत्रण पाकर आनंद बाबू का मन आडवानी हो गया और वो तुलसी भौजी की तरह झूमते हुए चल पड़े देवरिया । वहाँ पहुँचने पर बाबूसाहब का जमकर स्वागत हुआ और मनोरंजन के लिए एगो टीवी लगा दिया गया ताकि ये बोर ना हो सकें लेकिन इनका मन तो जिस रूपसी को खोज रहा था उनका दर्शन दूर-दूर तक नही हो रहा था । अरे आप लोग भी बूझिए रहे होंगे कि हम किसकी बात कर रहे हैं , चलिए नही बूझे त हम बूझवा देते हैं कि हम बात कर रहे हैं पंकज बाबू के साली की । जब वो कहीं नही दिखीं तो आनंद बाबू का मन मुलायम हो गया और लगे मायावती की तरह इधर से ऊधर छटपटाने । पंकज बाबू उनकी हालत समझ रहे थें लेकिन इधर साले साहब भी उसी दिन आ धमके थें और ये उनके डर से आनंद बाबू के प्रेयसी को बुला नही रहे थें । किसी तरह दिन लोट-गिरकर बीता और जब साँझ हुई तो पंकज बाबू साले साहब को लेकर बाजार गए और किरन जी को कह दिया की बाबूसाहब के लिए चाय भिजवा देना । इधर साले साहब अपने जीजा के साथ बाजार चले गए और आश्वस्त थें कि लूज कैरेक्टर के साथ ही जा रहे हैं तो घर में किसी और का डर है नही लेकिन उनको क्या पता कि घर में जो कैरेक्टर मेहमान बन के आया है वो महालूज है । जब किरन जी ने अपना बहना से बाबूसाहब के लिए चाय भेजा तो उनको देखते ही इनका मन मोदी हो गया और लगे लम्बा -लम्बा फेंकने । साली जी को उनकी बातें 2014 के उस जनता के जैसी अच्छी लग रही थीं जैसे लोकसभा के चुनाव में सारी भारत की जनता को लगी थीं । बात करते-करते समय बढता गया और बातों-बातों में ही इन्होनें अपने दिल की बात जुबान पर लाकर कह दी कि , ए रूप की मल्लिका , हुस्न की परी , आई लभ यू सो मच । इधर बाजार से साले साहब और पंकज बाबू लौट आए थें सो उन्होनें दरवाजे पर ही आनंद बाबू का प्रणय-निवेदन सुन लिया , अंदर जाकर एक मूसर उठाया और बिना कोई सवाल किए लगे बाबूसाहब पर मूसर की मूसलाधार वर्षा करने । जब पंकज बाबू बीच में बचाव करने आए तो साले साहब का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ गया और उन्होनें उन्हें भी पटक कर मूसर कुटाई की और कहा - चरित्रहीन जीजा , तुमको लेकर मैं बाजार गया ताकि तुम कोई ओछी हरकत ना कर सको और इधर तुमने एक और चरित्रहीन को बुला लिया जो मेरे पीठ पीछे प्रेम-निवेदन कर रहा है । इतना सुनकर किरन जी भी उस आक्रामक पिटाई दल में शामिल हो गई और लात-घुसे,मूसर इन दोनों मित्रों पर खूब चलें । लगभग आधे घंटे की पिटाई के बाद जब इन दोनों के कराँची और इस्लामाबाद से रिसाव के साथ दुर्गंध होने लगा तब छाकर उन अत्याचारियों ने इन दोनों को मुक्त किया और नाक बंद किए कमरे से बाहर निकल गए । इस पूरी घटना का विडियो प्रीतम पाँड़े के कैमरे में रिकार्ड है लेकिन दिखाने के लिए सेंसर बोर्ड अनुमति प्रदान नही कर रहा है ।
पिटाई के बाद दोनों मित्रों ने एक-दुसरे के आँसू पोंछे और राग-भैरवी छेड़ा
#जबसालापीटगया , #हमइश्कक्याकरेंगे ।
प्रीतम पाण्डेय सांकृत
देवरिया , पंकज बाबू के घर से ।