अब बात मंदसौर की जाये या राकेशवा के दिल की क्योंकि जल तो दोनों ही बहुत रहे है , राकेशवा दो दिन से कोई बात नही किया चिंकी से पर इंतज़ार कर रहा है , कि सब ठीक हो जायेगा तब तक चिंकी का मैसेज आता है .............
" मैं मंदसौर सी जल रही हूँ
और तुम चौहान से चुप हो "
इसके बाद तो राकेशवा का रक्त चाप एक दम से जैसे बढ़ जाता है , जैसे इन दो दिन के सदियों रूपी वियोग की तड़प उसके रक्त में ही गिर गई हो ........और फिर कॉल कर के बोलता है ..........
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तुम बस हमे ही दोष देना अपने उस सुरेशवा की गलती मत देना जो बेवजह तुम्हे बरगलाता है कांग्रेस सा , मतलब तुम चिंकी ना हो के चुनाव घोषित राज्य हो गई हो हर कोई बस तुमारे पीछे लगा हुआ है ।
तुम जानती हो न कितना प्रेम करते है हम तुमसे .........
नही हो पाता हमसे........चिंकी समझा करो......
और हम कौन सा सारनाथ बने बैठे है , हम भी तो मंदसौर हो गए है दो दिन से ..........
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चिंकी - सोचते हुए .......चुप क्यों हो गए बोलते रहो ना ... बोलो........
~हम्म , कुछ नही ।
चिंकी - बोलो ना , बोलो ........
~ हम्म , कुछ नही ....... सॉरी .....आई लव यू चिंकी ।
~ कोई बात नही राकेश हम्म..... हम भी तुमसे बहुत प्यार करते है ।
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मुख्यमंत्री जी आपके राज्य में जो हो रहा है वो राकेश और चिंकी की प्रेमकहानी सा नही है जो यूँ बातों बातों में सुलझ जायेगी...........या आप एक अनशन कर देंगे और बस गांधीवादी समाज की स्थापना हो जायेगी ।
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मामा जी ये मध्य प्रदेश है , एस. एस राजमौली की फिल्म नही जिसमे कोई बाहू आयेगा आपकी मदद करने के लिए , कि बस आप एक बार बाहू बोले नही की दूसरी दिशा से वो मामा...... मामा..... चिल्लाते हुए दौड़ा चला आया ।
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और इसी के साथ दाग़ देहलीवी साहब का एक शेर याद आता है ।
" सब लोग जिधर वो है , उधर देख रहें है
हम देखने वालों की , नज़र देख रहें है "
~हिमांशु सिंह