"आर्केस्टा"..............: धनंजय तिवारी

Update: 2017-05-24 07:35 GMT
ऑफिस से अयिले मुश्किल से दस मिनट भईल होई जब टेलीफोन के घंटी बाजल। फ़ोन  गाँव से भाई साहब कईले रहिनी। 
"खुश रह।  पिंटू के शादी तय हो गईल बा" हमरा प्रणाम के जबाब में उहा के कहिनी " पूरा परिवार के आवे के बा। कवनो बहाना ना चली। "
"रउवा आश्वस्त रही सब केहू आई।  भला एहू के मिस कईल जा सकेला. " हम उहा के इत्मिनान दियवनी।
शादी के तारीख, लड़की अउरी उनका घर परिवार के बारे में पूछनी, घर-परिवार, गाँव- ज्वार, हित मित्र के हाल चाल भईल अउरी फेरु उहाँ के फ़ोन रख दिहनी।  तुरंते परिवार के सदस्य लोग के इ बात हम बता दिहनी अउरी आनन फानन में जाये के प्लानिंग भी हो गईल।  घर के सब लोग गाँव जाये के अउरी वोहू से ज्यादा परिवार के सबसे बड लड़का के बियाह खातिर उत्सुक रहे। वईसे भी गांवे गईले ५ साल से ज्यादा हो गईल रहे।
     फेनु उ समय आ गईल जब हमनी के पूरा परिवार गांवे जाये खातिर प्लेन में बैठल। प्लेन जैसे जैसे ऊपर उडल हम पीछे के जिंदगी में पाछे  चलत चल गईनी।
हम इंजिनीरिंग के पढाई के दूसरा साल में रहनी जब भाई साहब के शादी तय भईल। फलदान के दिन हम एक हफ्ता के छुट्टी लेके गांवे पहुच गईनी काहेसे की भाई साहब के डॉक्टरी के फाइनल साल रहे अउरी उहा के आवल संभव ना रहे। उहाँ के जगह पर हमरे फलदान चढ़े के रहे अउरी साटा भी करे के रहे। फलदान धूमधाम से चढ़ल अउरी हम बाबूजी के साथे घूम घूम के साटा करे लगनी।  बैंड बाजा के साटा, घोडा, हाथी ,गाड़ी के साटा, तम्बू सामियाना, हलवाई सबके साटा हो गईल। बाबूजी ज्वार के सबसे महंगा अउरी बढ़िया साटा अपनी इच्छा से कईनी। उहाँ के इच्छा रहे कि भईया के बारात अइसन बढहन जाऊ कि ज्वार में ओइसन केहू के ना गईल होखे।  सब साटा त उहा के हिसाब से भईल पर नाच के साटा पर हमरा अउरी उहाँ में ठन गईल. जहाँउहाँ के हमरा मोड़ पर बसल अउरी हमरा जवार के सबसे मशहूर तोतवा के नाच ले जाये चाहत रहनी वही हम आर्केष्टा के पक्ष में रहनी।  तोतवा के नाच ले गईला के मुख्य वजह ओकर मशहूर भाईला के साथ साथ, बाबूजी के पुरान चेला भईल रहे।  भैया के डॉक्टरी में सेलेक्शन भईला से पहिले ही उ बाबूजी से बचन ले लेले रहे कि दुनु लड़का के बीयाह में ओहीके नाच ले जाये के बा। बाबूजी के बचन याद दिलावे खातिर उ दिन में कई बार बाबूजी के सलाम करे।  हमार सोच रहे कि जब एतना स्टैण्डर्ड शादी होता त मनोरंजन में कोताही काहे।  आर्केष्टा कुलीनता के निशानी रहे। जवार में कभी कभार ही आर्केष्टा आवे, जब केहू बढहन आदमी किहा कवनो फंक्शन होखे।  शहर में भी हम कईगो शादी अटेंड कईले रहनी अउरी जब हम ओकर तुलना गाँव के नाच से करी त, नाच कही भी मुकाबला में ना ठहरे।  जब भी हम तोतवा के नाच के डांसर लड्डूआ के आर्केष्टा के डांसर से तुलना `करी त बुझाऊ की लड्डूआ डांस नहीं चौकी तोड़े खातिर कूदेला अउरी एही वजह से हर नाच के बाद जहा तोतवा के नाच होला दुगो चौकी जरूर टूटेला।  पता ना सच रहे कि झूठ पर लोग कहे कि कई गावन में त लोग तोतवा के नाच में आपन चौकी देबे से मना क देउ। लड्डूआ के अलावा अउरी कलाकार कुल के भी जब हम आर्केष्टा के कलाकार से तुलना करी त आर्केष्टा के कलाकार बीस नहीं पच्चिश लग सन. हम तय क लेहले रहनी कि कुछु होई पर शादी में त आर्केष्टा ही जाई।  पर बाबूजी आर्केष्टा खातिर साफ़ मना क दिहनी।
" अगर शादी में आर्केष्टा ना जाई त हमहु शादी में ना जायिब। " हम आपन अंतिम शश्त्र चला दिहनी।  हमरा पूरा उम्मीद रहे कि बाबूजी के पास एकर कवनो काट ना रहे।
"तहरा ना गईले का गुचकन के बियाह ना होई" बाबूजी भी ब्राम्हाश्त्र चला देहनी" तहार अगर इहे इच्छा' बा त तू मत अईह शादी में।  तहरा फलदान में भी आईला के जरुरत ना रहल ह।  हम फलदान गुचकन के फोटो पर चढवा लेती। "
आगे कुछ कहे के हमरा लगे ना रहे।
"ठीक बा।  फेरु हम जातानी." हम मायूसी से कहिनी अउरी अन्दर सामान लेबे जाए के खातिर बढ़नी त माई हमके पकड़ लेहली।
"इ कैसे हो सकेला कि हमरा राम के बियाह में भरत ना जास। " माई हमरा कन्धा पर हाथ रखत कहली।
"तू बिच में मत बोल। " बाबूजी धम्कियवनी।
"जब हमरा सौत के लडिका के बियाह होई त हम ना बोलब। " माई भी क्रोधित हो गईली" गुचकन के हम सगी माई हई अउरी हम पूरा हक़ रखतानी बोले के।  बियाह में आर्केष्टा अउरी नाच दुनु जाई। आर्केष्टा के पैसा हम देब अपना लगे से। "
माई के आमोघ अश्त्र बाबूजी के शश्त्रहीन क देहलह।  उहा के मौन हो गईनी। वैसे भी उहा के वचन के भी पालन होत रहे अउरीर हमरा मन के बात भी।
फेरु उ दिन आ गईल जब धूम धाम से बारात निकलल।  बारात भी अइसन रहे कि पूरा ज्वार के आँख चौधिया गईल।  वैसे त ओ घरी गावन में बरातियन के नाचला के चलन ना शरू भईल रहे पर हम अपना शहर से आईल मित्रन अउरी भैया के दोस्तन के साथे द्वारपूजा से पहीले खूब नाचनी जा।  आज मेरे यार की शादी है कम से कम पांच बार बाजल।  १२ बजे तक गुरहथनखत्म हो गईल तब हम जाके आर्केष्टा के कमान सम्भाल लेहनी।  एक तरफ तोतवा के नाच जमल रहे त दूसरी ओर आर्केष्ट्रा।  मन ही मन हमार इच्छा रहे की आर्केष्टा वाला अइसन धमाल मचावसन की लोग नाच छोड़ के इहे देखे। मन ही मन कम्पटीशन के भाव पैदा हो गईल रहे।  एक घंटा बितत बीतत हमरा मन के मुराद पूरा हो गईल अधिकतर बाराती और गाव ज्वार के लोग आर्केष्टा वाला सामियाना में भर गईल। तोतवा के नाच में कुछ बाबूजी के संघतिया अउरी उहाँ के ही रह गईनी।  आर्केष्टा वाला भी एतना लाजबाब रहल सन की लोग के मन मोहा गईल।  किशोर कुमार के गाना के अलग गायक, मुकेश के गाना के अलग गायक त फ़िल्मी गाना पर डांस करेवाला डांसर के एक एक स्टेप, फिल्म से मैच होत रहे।  न कवनो अश्लीलता ना फूहड़पन। बाबूजी भी कब हमनी के शामियाना में आ गयनी पता ना चलल।  जब रफ़ी साहब के नाम वाला गायक ,बहारो फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है ख़तम कईलस और बाबूजी ओके ५० रुपया इनाम देहनी तब हमके पता चलल।  हम एगो विजेता के भाती उहा के पास जाके खड़ा हो गईनी।  कहिनी त कुछ ना पर मुद्रा हमार विजेता के ही रहे।
"कवना खोतवा में लुकयिलू अहियो बालम चिरई, इ गा सकेल सन का?" बाबूजी हमरा से पूछनी।
"काहेना।  सब गाना गयीह सन। " हम कहिनी अउरी जाके फरमाईश बता देहनी।
बाबूजी अउरी कईगो भोजपुरी गाना के फरमाईश कईनी अउरी हम जाके दे ईनी।  
भाई साहब' के शादी संपन्न हो गईल अउरी जब ६ साल बाद हमार शादी भईल त नाच अउरी आर्केष्टा ले जाये वाला परंपरा के फेरु निर्वहन भईल।  बाबूजी खुद बिना कहले आर्केष्टा के साटा कईनी। समय बितला के साथे हम विदेश आ गईनी नौकरी करे अउरी पीछे पीछे हमार परिवार भी।  भाई साहब परिवार के साथे गाँव के पास ही सेटल हो गईनी। जबले माई बाबूजी रहे लोग तबले त साल दू साल में गाँव के चक्कर लागे पर ओकरा बाद चार पांच साल में ही गावे जा पाई।  पिछले कुछ बार से अइसन संयोग बने के केहू शादी बियाह में ना शामिल हो पाई।  ऐ वजह से शादी के लेके अउरी ज्यादा उत्सुकता रहे।
विदेश में आईला के बाद से त बहुत सारा परिवर्तन आईल रहे हमरा अन्दर पर जवन सबसे बड़ा रहे उ रहे अपना भाषा अउरी संस्कृति के प्रेम जगल।  भोजपुरिया लोगन के खोजी अउरी ज्यादा से ज्यादा कोशिश भोजपुरी बोले के होखे।  बच्चन के अंग्रेजी माध्यम में पढाई भईला के वावजूद ओ लोग के घर में भोजपुरी बोले के सख्त हिदायत रहे। हमार मलिकाईन भी एके लागू करे में सहयोग देस।  जवन नाच के हम सख्त विरोधी रहनी अब ओके देखे खातिर बार बार मन होखे।  लड्डूआ के नाच अब कूद ना लागके ओकर नाच के प्रति जोश अउरी लगन लागे। ओकनी के सब बुराई , अच्छाई लागे।  मन व्यग्र रहे कि कब तोतवा के नाच देखे के मिली।  भाई साहब के पहिलही नाच के साटा करके कह देहले रहनी।
"तोतवा के नाच भईल बा न ?" गाँव पहुच के सबसे पहिला सवाल हम भाई साहब से इहे कईनी।
"अब ओकर नाच टूट गईल बा। " भाई साहब मायूसी से जबाब देहनी।
"फिर दुसर नाच भईल बा?"
"नाच अब बटले कहा बा ज्वार में।  नाच के जमाना ख़तम बा।  आर्केष्टा धमाल मचवले बा।  उहे चली।  जिला के सबसे मशहूर आर्केस्टा भईल बा।"
"कवनो बात ना।  आर्केष्टा ले जाये के त हमनी के पुरान परंपरा बा। " अपना के सांत्वना देत कहनी।
"बड़ा देर हो गईल।  अबे ले बाजा वाला ना आईल सन?" शादी के दिने बारह बजे ले जब बैंड बाजा ना आईल त हम भाई साहब से पूछनी.
 "जब भईले नइखे त कैसे अईह सन। "
"साटा काहे नइखे भईल?"
"आर्केष्टा वाला ही परछावन करयिह्सन।  अब इहे आजकल चलता."
"आर्केष्टा वाला कैसे बाजा बजयीह्सन?" हम दिमाग से जोर डालत पूछनी।
"तू खुद देख लिह."
दू बजत बजत ट्रेक्टर दुवार पर लाग गईल. वोइपे बड़का बड़का साउंड बॉक्स लदा गईल. आर्केस्टा के कवनो म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट ना लउकत रहे।  हम एहे सोच के परेशान रहनी की बिना वाद्य यन्त्र के इ कैसे आर्केस्टा होई।
बाजार से कुछ सामान लेबे के रहे अउरी फेरु उ लेके बारात में जाये के रहे, ऐ वजह से भाई साहब हमके पहिले निकले के आदेश सुनवनी अउरी हम बिना परिछावान देखले अपना १० साल के बेटा अउरी कुछ रिश्तेदार के साथे पहिले निकल गयिननी।
बारात समय से पहुच गईल।  द्वारपूजा पर आर्केस्टा वाला धमाल मचवले रहल सन।  पर चुकी हम समधी रहनी हमके देखे जाये के सौभाग्य ना मिलल।  रात के साढ़े ग्यारह बजे जब गुरहथन हो गईल तब हमहु फ्री हो गईनी।  अब सारा रात आर्केस्टा देखे के बा इहे सोच के शामियाना में जम गईनी।  एतना मशहूर आर्केस्टा के नाम पर ज्वार भर के लोगन के हुजूम उमड़ गईल रहे। पर इहा के नजारा हमरा सोच के उलट रहे।  स्टेज पर बढहन बढहन साउंड बॉक्स रखल रहे।  ना कवनो वाद्य यन्त्र ना कवनो ओकनी के बजावे वाला कलाकार। स्टेज के साइड में ऐगो आदमी साउंड मिक्सर अउरी डेक के साथे बैठल रहे।  कवनो नया डांसर के स्टेज पर आगमन होखे वाला रहे अउरी एही से कुछ देर खातिर विश्राम रहे।  पर उद्घोषक ओकरा तारीफ में एतना शायरी कईलस, एतना विशेषण के प्रयोग कईलस कि ओकरा आवे से पहिले लोग के सीटी से पूरा शामियाना गूँज उठल।  मिसरी से लेके मेवा अउरी गड़ी से लेके छोहाडा तक कवनो अइसन मिठाई या ड्राई फ्रूट ना बचल जवना के उपमा उ ना देहलस।  काश इ उद्घोषक पहिले के ज़माना में आईल रहित त हमनी के महान साहित्यकार लोग एकरा से सिखले रहित कि नायिका के विशेषता बतावे खातिर कैसन शब्द प्रयोग कईल जाला।
"एकनी के बाजा कहाँ बा ? बिना वाद्य यन्त्र के इ गाना कवानिगा गयीह सन." अपना जेब से अपना गाना के लिस्ट, जवन की हमरा सुने के रहे, निकालत हम चंदू भैया से पूछनी.
"हवू जवन करियाका बॉक्स लउकता उहे सब बा।  वोही में गाना बाजी अउरी वोही पर नाच होई।  इ खुद गाना ना गयीह सन" चंदू भैया जबाब देहले।
"पर पहिले त आर्केस्टा एंगा ना होखे?"
"अब जमाना बदल गईल बा।  नवका जमाना के आर्केस्टा ऐहिंगा होता."
तेज म्यूजिक के आवाज से हम चुप हो गईनी।  डांसर रूपकला के स्टेज पर आगमन भईल जे अपना शरीर के देखावे के एको जतन ना छोड़ले रहली। 
"भगवान रूप देते है सबको पर लोग दिखाते नहीं" उद्घोषक रूपकला के तारीफ में कशीदा पढलस" पर रूपकला जी उदार दिल की मालिक है . भगवान के इस नायाब तोहफे को वो छिपाती नहीं है"
कपडा के नाम पर ऊपर एगो तंग चोली अउरी निचे के कपडा के त बखान ही करे लायक ना रहे। अपना के गोर देखावे खातिर अपना करिया बदन पे पाउडर के पूरा डिब्बा गिरा लेले रहनी।  खैर आवते उ कूदे लगली अउरी दर्शक लोग आपन जगह से।  कुछ ही देर में ऐगो बानर सरीखा मुह वाला कलाकार, जवना के जीन्स २० जगह से फाटल रहे अउरी ऊपर कुछु ना रहे, ओकर आगमन भईल। उद्घोषक ओकर परिचय सुपरस्टार देवा उर्फ़ सलमान के नाम से करवले।  सुपरस्टार सलमान रूपकला के साथे कूदे लागले अउरी गाना तेज आवाज में बाजे लागल।
गाना एतना अश्लील रहे कि हम कान पर उंगली रख लेहनी. भोजपुरी में अइसन गाना हम पहली बार सुनत रहनी।
"सामियाना के चोप. तहरा....." इहे शायद गाना रहे.
कई बार सुपरस्टार सलमान डांस के प्रमाणिक बनावे खातिर शामियाना के चोप खिचे के कोशिश भी कईले पर लोहा के पाइप भईला के वजह से उ चोप ना खीच पवले।
रूपकला के डांस ख़तम होत होत हजारन रुपया स्टेज पर गिर गईल रहे।  केतना लोग खुदे ढह गईल रहे।
"वन्स मोर।  वन्स मोर। " के नारा से पूरा शामियाना गूँज गईल त पता चलल की रूपकला के कला के दीवाना गाँव के ही नाही बल्कि शहर के लोग भी रहे।  रूपकला एक बार फेरु कला कम अउरी रूप ज्यादा देखावे खातिर कूदे लगली अउरी उहे गाना फिर से बाजे लागल। हम दूसरा गाना के इन्तजार में कान बंद क लेहनी।  हमरा इ संतोष रहे कि हमार बेटा वोइजा ना रहले नात जवन आर्केस्टा के हम एतना तारीफ कईले रहिनी अउरी गाहे बगाहे भैया के शादी अउरी आर्केस्टा के घटना के जिक्र करी, उनके का मुह देखयिती।
रूपकला के कला के बाद फूलकुमारी के आगमन भईल जवन कि कपड़ा त रूपकला जैसन ही पहिनले रहली पर पाउडर कम पोतले रहनी।  इ तनी गोर रहली।
"कौन कहता है फूल बेजुबान होते है।  
वो बोलते है पर हम उनकी भाषा से अनजान होते है."
 उद्घोषक फूलकुमारी के तारीफ में शेर कहलस।  बदला में लोग सिटी से जबाब दिहल अउरी वोही के साथे फूलकुमारी के साथ देबे ए गो अउरी बानर, राकस्टार निरहुवा के प्रवेश भईल. इ फाटल जीन्स के साथे चमकदार शर्ट पहिनले रहे।  ऐ बेरी हमरा एगो अच्छा गाना के उम्मीद रहे।  पर उम्मीद के विपरीत इहो वोहिंगा अश्लील पर थोडा क्रिएटिव रहे।  एमे आधुनिक तकनीक के प्रयोग रहे।
"गोरी तहार लहंगा उठा देब रिमोट से."  गाना बजे लागल अउरी कलाकारन के साथे लोग भी रिमोट से लहंगा उठावे के कोशिश में लाग गईल।
"बाबू तू त इंजीनयर हव, का सही में अइसन रिमोट आईल बा जवना से  लहंगा उठा दिहल जा सकेला?" चंदू भैया हमसे आके पूछले।
लाज के मारे हमके कठया मार गईल।  हम जबाब ना देहनी त उ आगे बढ़ गईले।  गाना ख़तम होते ही फेरु वन्स मोर के आवाज आवे लागल अउरी फिर गाना रिपीट हों गईल।  बड़का फूफाजी २० के नोट के गड्डी पूरा उडा देहनी।  इ समझल मुश्किल रहे कि उहाँ के फूलकुमारी अउरी निरहुवा के कला से प्रभावित रहनी या उहा के इ नया आईडिया रिमोट से लहंगा उठावे वाला पसंद आईल रहे।  अब वोइजा बैठल हमरा खातिर असंभव रहे पर एगो बढ़िया गाना के लालच में हम कुछ देर अउरी रूकेके सोचनी।
गाना ख़तम होते ही दुसर गाना के डिमांड होखे लागल।  दर्शक लोग के प्रतिक्रिया से बुझाईल की फूलकुमारी, रूपकला से बढ़िया डांसर रहली।  फूफाजी एगो अउरी बीस के गड्डी निकाल के कुर्सी पे खड़ा हो गईनी।
"काहो जवनिया आचार डलबू."  गाना बाजे लागल अउरी दर्शक गन लीन हो गईल भक्ति में।
"पापा हमनी के त खाली आम अउरी कटहल के आचार खानी जा।  रउवा कभी जवानी के आचार काहे ना लियावेनी ?" हमार बेटा  अमित जवन की पता ना कब मडवा से उठ के आ गईल रहले, पूछले।
"तू कब अईल ह?" हम हकबका के पूछनी।
"हम सिंटू भैया के साथे आईनी ह आर्केस्टा देखे।  वोइजा अच्छा ना लागत रहल ह" गीत के बोल के अर्थ से अनजान उ मासूमियत से कहले" पापा इ जवानी के आचार दुबई में ना मिलेला का?"
हमार काटी त खून ना वाला हाल रहे. बिना कुछ जबाब देहले हम उनके वोइजा से दूर पास ही के बगीचा में जहा चारपाई पडल रहली सन, सुते खातिर लेके चल आईनी।  उ रुके के जिद्द कईले पर हम उनकर बात ना माननी। कुछ देर बाद अमित त सूत गईले पर नींद हमरा आँख से कोसो दूर रहे।  दिमाग में एक साथे कईगो सवाल चलत रहे।
समय के साथ परिवर्तन संसार के नियम ह पर का इहे परिवर्तन के सपना हमनी के पुरखा लोग देखले होई।  जवन भाषा एतना मिठ अउरी सभ्य रहे उ का अइसन ही अश्लील अउरी असभ्य बन जाई।  जवन कला और संस्कृति के हमनी के परदेस जाके भी सम्भल्ले बानी जा अउरी जिन्दा रखे के कोशिश करतानी जा, ओके हमनी के जनमधरती पर ही रौद दिहल जाई।  कला अउरी आधुनिकता के अब का मतलब इ नंगा अउरी अश्लील नाच बा।  जवना नवका आर्केस्टा के आगे पुरनका नाच अउरी आर्केस्टा विलुप्त हो गईल बा वोके इ नवकापीढ़ी पसंद कईले बिया तबे त इ एतना फलल फूलल बा पर का इ नवका पीढ़ी के चारित्रिक अउरी सांस्कृतिक पतन के नइखे दर्शावत। हमरा नजर में त अईसे इहे साबित होता पर एकर दोशी के बा।  हमरा समझ से एकर दोशी जेतना नवका पीढ़ी बा ओतना ही पुरनका पीढ़ी।  पुरनका पीढ़ी ए पीढ़ी के उ सिख न दिहलस, ओके संभाले के ना सिखवलस , अपना कला अउरी संस्कृति के समय के हाल पे छोड़ देहलस, जवना के इ परिणाम आज देखे के मिलता।  पर अभियो कुछु बिगड़लल नइखे।  अगर हमनी के ठान ली जा कि नवका पीढ़ी के पुरनका कला अउरी संस्कृति से पहिचान करायेब जा त फेरु से उ जिन्दा हो जाई।  पर एमे समय लागी अउरी तले इ नवका आर्केस्टा के झेली।

धनंजय तिवारी

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