उत्तर प्रदेश के बाल साहित्यकारों का रचना संसार –प्रो. (डॉ.) योगेन्द्र यादव

Update: 2017-02-17 03:41 GMT

उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थानलखनऊउत्तर प्रदेश ने आज निराला सभागार में अभिनंदन पर्व का आयोजन १९ मार्च१०१५ को किया गया था. इस संस्थान के निदेशक डॉ. सुधाकर अदीब और कार्यकारी अध्यक्ष प्रो. उदय प्रताप सिंह से मधुर सम्बन्ध होने के कारण मुझे भी इसमें सम्मिलित होने का अवसर प्राप्त हुआ. वैसे इस संस्थान के अध्यक्ष उत्तर प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव हैं. उनकी साहित्यिक अभिरुचि के कारण ही यह संस्थान जीवित हो चुका है. निरंतर देश तथा प्रदेश के साहित्यकारों को उनकी सेवाओं के लिए सम्मानित कर रहा है.

इस संस्थान के निदेशक सुधाकर अदीब का कहना है कि किसी भी समाज की आधारभूत सफलता के आकलन के लिए संभवत: इससे अच्छा दूसरा मापदंड नहीं हो सकता कि वह बच्चों के चतुर्दिक विकास के लिये क्या कर रहा है. कैसे संसाधन उपलब्ध करा रहा है और विशेषकर नयी पीढ़ी को अध्ययनअनुशासन व् सदाचार जैसे सद्गुणों तथा प्रेमशांतिसभी की खुशहाली और अन्य मानवीय मूल्यों से परिचित कराने के लिए कैसे सद्प्रयास उपलब्ध करा रहा है. यह हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है कि हम उन्हें विकास का उचित वातावरण और सुयोग्य शिक्षा-दीक्षा देकर समाज को उन्नतशील बनाने वाला निष्ठावान नागरिक बनाएं. बालक संस्कार ग्रहण करने में सबसे ज्यादा समर्थ होते हैं. उनका कौतूहल से भरा मन उपलब्ध रंग रूपोंकल्पना और भावनाओं को सहज ही अपने चरित्र का अंग बना कर विकसित हो जाता है. बाल साहित्य पर अपनी लेखनी चलाने वाले कुछ उल्लेखनीय साहित्यकार इस प्रकार हैं -

.     श्रीमती निर्मला सिंह, जो बरेली की निवासिनी हैंको सुभद्रा कुमारी चौहान महिला बाल साहित्य सम्मान से सम्मानित किया गया. अपने बाल साहित्य के सृजन के माध्यम से आप बाल मन को संस्कारोंसुविचारों से सजाने-सवारने का कार्य करती रही हैं. उनका कहना है कि साहित्यमानव मन को संस्कारित करने का उत्तम उपकरण है. बाल मन पर सुविचारों का प्रभाव पड़ता है. बाल साहित्य का सृजन लोक मंगल की अवधारणा को परिपुष्ट करता है. साहित्य की सभी विधाओं में अकूत शक्ति होती है. कविताओं और कथाओं द्वारा बच्चों को संस्कारवान बनाने का उपक्रम करने का कार्य श्लाघनीय होता है.अप्रैल, 1943 में जन्मी और एम्. ए. एल.टी. तक शिक्षा प्राप्त का रचना संसार इस प्रकार है 

१.     लघु कथा संग्रह – बबूल का पेड़सांप और शहर

२.     काव्य संग्रह – तपती रेत की शिलाएंवक्त की खूटीधुप के तुकडे.

३.     कहानी संग्रह – पिंजरा खुल गयाधुएं के पहाड़धुएं की इमारतमुट्ठी में बंद खुशबुसंजीवनी बूटीवक्त की करवटतबादलासन सैटव्यू तथा के कप काफी.

४.     उपन्यास – पिघलता सीसाअक्षम्यआज की शकुन्तलासरोरुहमैं अतीत नहींलैंड्स एंड.

५.     बाल साहित्य – बाल गीत- भाग – बाल गीत भाग – हम हैं हिन्दुस्तानीमेरा गाँव (कविता संग्रह)सॉरी मम्मीथैंक यु पापा,अरे आसमान से रुई गिर रही हैवाह! बड़े तीरंदाज हैंपापा पिकनिक चलो नमैं जंगल का राजा हूँएकता में बल हैतथा फैंसी ड्रेस (कहानी संग्रह ),  रुको नहीं कुसुममामी-पापा सॉरी मानगोचलें गाँव की ओरचुनमुन (उपन्यास)

.     सूर्य कुमार पांडेजो लखनऊ के निवासी हैंको सोहनलाल द्विवेदी बाल कविता सम्मान मिला. १ जनवरी१९५६ को जन्मे श्री पांडे जी का रचना संसार इस प्रकार है-

गीत तुम्हारेचूहे राजाहम बच्चेफूल खिलेबन्दर जी की दुममेरी प्रिय बाल कवितायेँगीत चुन्मुनेअक्कड़-बक्कड़हम हैं किससे. इसके अलावा बाल साहित्य पर पांच पुस्तकें प्रकाशाधीन हैं.

३.     डॉ. कामना सिंहजो आगरा की निवासी हैं. आपको निरंकार देव सेवक बाल साहित्य इतिहास लेखन सम्मान से सम्मानित किया गया. १२ अक्टूबर१९७५ को जन्मी कामना सिंह का बाल साहित्य का रचना संसार इस प्रकार है 

स्वातंत्र्योत्तर हिंदी बाल साहित्यबाल साहित्य का इतिहासबाल कविता संग्रह – गुडिया रानी. बाल उपन्यास- एक थी शीनाभारत अपना घरपानी है अनमोलशीना चली घूमनेगुडिया घरशीना विचित्र लोक में. हिंदी बाल साहित्य तथा बाल विमर्श पुस्तकें भी उल्लेखनीय हैं.

४- संजीव कुमार जायसवाल, संजय,जो लखनऊ की निवासी हैंअम्रुतलाल नागर बाल कथा सम्मान मिला. उनका मानना है कि नन्हे-मुन्ने बच्चों के बाल मन को रोचक और बोधगम्य कथाओंकविताओंलघुकथाओं के माध्यम से संस्कारित करने का कार्य महती अवदान का उत्कृष्ट आयाम होता है. उनकी चर्चित बाल रचनाएं इस प्रकार हैं-

खोया हुआ बचपनगुरु दक्षिणाबाल उपन्यास – लाल बंगलाओपरेशन डम डम डिगा डिगाहवेलीखजाने की खोजबीस करोड़ के हीरे,पीली फाइलफिर सुबह होगीडूबा हुआ किला. बाल कथा संग्रह – रंग बिरंगी कहानियांफूलों की राजकुमारीसाहसिक कथाएंजादुई कहानियांह्युमन फैक्स मशीनआधुनिक कहानियांटिन्नू मियां का कुरता. चित्र कथाएं – बादलसूरज का गुस्साचंदा मामाटूटे पंख,धर्मआम का पेड़चीनू-मीनूराजा का दर्दपहलवान जीज्यादा अच्छावह हंस दियाडॉक्टर साहबबरसा बादलहाथी का बच्चामैं के किताबवही जो तुम करते होसब गड़बड़भोलू को सबकजंगल में बारातचिंटू का जहाजचिंटू बने दादाजीचिंटू का महलचंदा गिनती भूल गयाजंगल का रजाशेर बिल्ली बन गयासूरज चंदा साथ-साथ.

५- बिभाश पांडे – मूल रूप से लखीमपुर खीरी के रहें वाले बिभाश पांडेय शिक्षार्थी बाल कला सम्मान से विभूषित किया गया. १९७१ में जन्मे श्री विभाष पाण्डेय जी का कहना है कि बच्चों को मोहित करने में चित्रों- आकृतियों की अद्भुत क्षमता होती है. चित्रों के साथ कथा,कहानीकविता या कोई भी विषय अपने अर्थों का सम्प्रेषण करने में बहुत ही सरल और बोधगम्य हो जाता है. चित्रात्मकता शब्दों के साथ ऐसी लगती हैंजैसे सोने में सुहागा. आपका बाल साहित्य सम्बन्धी रचना संसार इस प्रकार है 

रूम टू रीडगौरैया(पोस्टर)चंपा के फूल (पोस्टर)मिनी की सायकिल तथ हमारे खेल (पुस्तक). इसके आलावा तीन दर्जन से अधिक पुस्तकों में रेखांकन किया है. जिनमे से दाल का दानालोरी और गोरीनानी और शोभनीदादी क्या कर रही होटेनी?, सूरज का गुस्साजंगल का राजा कौन?, खीर की कटोरीहमारे त्यौहारढेर सारे दोस्त आदि.

 ६.     प्रेमचंद गुप्त, विशाल को लल्ली प्रसाद पाण्डेय बाल साहित्य पत्रकारिता सम्मान से सम्मानित किया गया. आपका कहना है कि बाल मन को पढना और उसको रुचिकर लगने वाला साहित्य सृजित करनासाहित्य रचना कर्म का कार्य होता है. लखनऊ के रहने वाले श्री प्रेमचंद गुप्त का रचना संसार इस प्रकार है 

बाल उपन्यास – होनहार.

 बाल कथा संग्रह - गुब्बारे वाला.

बाल गीत संग्रह – फुलवारी के फूल.

बाल नाटक संग्रह – कंचाजीत

बाल कहानी संग्रह – आजादी का दिन.

किशोर कहानी संग्रह – छोटू की ईमानदारी.

इसके आलावा सात पुस्तकें प्रकाशाधीन हैं.

७.     डॉ. हेमंत कुमार को डॉ. राम कुमार वर्मा बाल नाटक सम्मान से सम्मानित किया गया.  मूल रूप से जौनपुर के रहने वाले इस समय लखनऊ में रह रहे हैं. उनका कहना है कि साहित्य की विभिन्न विधाओं में नाटक एक ऐसी विधा हैजो व्यक्ति के मन पर अन्य विधाओं की तुलना में सहजता से गहरा प्रभाव डालती है. बाल मन नाटक द्वारा दिए गये संदेशों को शीघ्रता के साथ ग्रहण करता है. आपका बाल साहित्य का रचना संसार इस प्रकार है 

एकांकी संग्रह – आजादी का सुखधरती माता.

बाल नाटक – कहानी तोते राजा की.

इसके आलावा बाल कहानियोंगीतोंनाटकों की लगभग ३८ पुस्तकों के साथ सचित्र बाल विश्व कोष एवं शब्द कोश प्रकाशित है.

८.     ओम प्रकाश कश्यपजो मूलत: बुलंद शहर जिले के रहने वाले हैंइनको कृष्ण विनायक फडके साहित्य समीक्षा सम्मान से सम्मानित किया गया. आप द्वारा रचित बाल साहित्य का रचना संसार इस प्रकार है-

बाल कहानी संग्रह - नन्हीं का बटुआसोन मछलीहरी सीपकहानी वाले बाबाफ़रिश्तेसाहसी की सदा जय. समीक्षा – हरिकृष्ण देवसरे का बाल साहित्य.

बाल कविता संग्रह – वृक्ष हमारे जीवन दाताजल ही जग का जीवनदाता.

बाल नाटिकाएं – हलवाई की दुकान सेदो राजा अलबेले.

९.      राजीव सक्सेना को जगपति चतुर्वेदी बाल विज्ञान लेखन सम्मान से सम्मानित किया गया. आप मूल रूप से बुलंदशहर के रहने वाले हैं. आपका रचना संसार इस प्रकार है-

बाल कथा संग्रह – अंतरिक्ष का सन्देश.

बाल विज्ञान कथा – प्रोफ़ेसर खुराना का क्लोनटाइम मशीन.

बाल विज्ञान कथा संग्रह – डमरू काका का बाइस्कोपहरित वन में मिकी माउस. फिर आये देवतारेलवे पुल का गोलूरोबिन हुड का हैट,जंगल की कहानियांमेरी शिक्षाप्रद बाल कहानियांअंतरिक्ष का चोर.

बाल विज्ञान – धरती के कैदी.

बाल उपन्यास – एलियनशालीन की टाइम मशीनक्लोनरोबो सिटी.

बाल संस्मरण – मैं ईशान.

१०. परमात्मा प्रसाद श्रीवास्तव को उमाकांत मालवीय युवा बाल साहित्य सम्मान से सम्मानित किया गया.  आपका मानना है कि बाल साहित्य द्वारा समाज की नयी पीढ़ी का चरित्र निर्माण होता है. बाल मन को भाने वाला लोक लुभावन साहित्य रचने में हर आयु के रचनाकार तल्लीन हैं.  संत कबीर नगर के रहने वाले श्रीवास्तव जी ने चित्रांकन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है. आपने अनेक प्रकाशनों की बाल साहित्य की पुस्तकों का दृष्टांत का चित्रांकन बखूबी किया है.

 

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प्रो. (डॉ.) योगेन्द्र यादव

विश्लेषक, भाषाविद, वरिष्ठ गांधीवादी-समाजवादी चिंतक व पत्रकार

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