सियासत के माहिर नरेश, सत्ता पक्ष के प्रमुख नेताओं से हंसी ठिठोली चालू आहे ..

राजधानी लखनऊ से सटे हरदोई जिले में नरेश अग्रवाल के परिवार का खासा दबदबा माना जाता है. यहां जिला पंचायत, नगर पालिका से लेकर हरदोई विधानसभा में 40 साल से उनका कब्ज़ा है.
जब तक संसद सत्र चलता है शायद ही ऐसा कोई दिन हो जब सपा सांसद नरेश अग्रवाल खड़े होकर कोई नया मुद्दा न उठाएं। लेकिन वे एक बात और नही भूलते सत्ता पक्ष के लोगों से मेल मुलाकात करना। वे सदन के तल्ख माहौल के बीच भी सत्ता पक्ष के प्रमुख नेताओं से हंसी ठिठोली करते नजर आते हैं। उनके संबंध अरुण जेटली सहित भाजपा के कई नेताओं से इतने मधुर दिखते हैं कि कई बार देखने वालों को भ्रम हो जाता है। अफवाहें भी उड़ती हैं। लेकिन नरेश अग्रवाल अपने में मस्त रहते हैं। उनके करीबियों का कहना है आखिर सरकार से कई काम होते हैं। इसलिए संबंध अच्छे रखने ही पड़ते हैं।
हरदोई में उनके दबदबे का इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है की साल 1975 के चुनाव में कांग्रेस ने उनका टिकट काटा, तो उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और जीत का परचम लहराकर फिर कांग्रेस में शामिल हुए. इसके बाद 1997 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी को तोड़कर अपनी अलग पार्टी लोकतांत्रिक कांग्रेस का गठन किया और फिर कल्याण सिंह की सरकार को बचाया तो पॉवर मिनिस्टर बने.
इसके बाद से यूपी की सता में अग्रवाल की पॉवर बरक़रार है. चाहे सरकार किसी की भी रही. जब समाजवादी पार्टी के पास सत्ता होती है, तो वह मुलायम सिंह परिवार के साथ खड़े दिखाई देते हैं और जब बीएसपी की सरकार आती है, तो वह बीएसपी सुप्रीमो मायावती का गुणगान करते नज़र आते हैं.