करप्शन पर घिरी योगी सरकार, दो IAS अफसरों को बचाने का लगा आरोप!

Update: 2017-12-20 10:02 GMT
भ्रष्टाचार को लेकर बड़े-बड़े दावे करने वाली योगी सरकार अवैध खनन के मामले में दो आईएएस अफसरों को निलंबित करने के हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर रही है. जिसके बाद विपक्ष सरकार पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगा रहा है.
एक तरफ़ भ्रष्टाचार के मामलों में एक के बाद एक कार्रवाई और नई-नई नीतियां बना कर चर्चा में आई यूपी की योगी सरकार अब अपने चहेते दो जिलाधिकारियों को लेकर विवादों में आ गई है. दरअसल कुछ दिनों पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2015 के रामपुर में अवैध खनन के मामले में तत्कालीन जिलाधिकारियों राजीव रौतेला और आरके सिंह को निलंबित करने का आदेश दिया था.
मौजूदा समय में दोनों ही अफ़सर गोरखपुर और कानपुर देहात में जिलाधिकारी के पद पर तैनात हैं. राजीव रौतेला पर तो गोरखपुर मेडिकल कॉलेज हुई मौतों के मामले में लापरवाही का आरोप लगा था, लेकिन खुद को सीएम का करीबी और योगी के गृह राज्य उत्तराखंड का बताने वाले राजीव रौतेला पर कोई कार्रवाई नही हुई थी. अब इस मामले में विपक्षी दल समाजवादी पार्टी आरोप लगा रही है कि अवैध खनन से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में अदालत के आदेश के बावजूद कार्रवाई करने की जगह दोषियों को बचाने के लिए सरकार सुप्रीम कोर्ट जा रही है.
वैसे यूपी की योगी सरकार ने अब तक के अपने कार्यकाल में 7 सीनियर पीसीएस, 4 सीनियर आईएएस, 50 जूनियर पीसीएस अफसरों के खिलाफ अलग-अलग मामलों में जांच और कार्रवाई कर चुकी है. 
इस मुद्दे पर डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने सरकार के कदम का बचाव करते हुए कहा कि कई बार कानूनी मामलों में इस तरह के कदम उठाने की जरूरत पड़ती है. सरकार किसी भ्रष्टाचारी की मदद नहीं कर रही है.
फ़िलहाल इन दो चहेते आईएएस अफसरों के मामले को लेकर योगी सरकार कठघरे में खड़ी हो गई है. अवैध खनन का मामला यूपी में बड़ा चुनावी मुद्दा था. पीएम से लेकर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने तत्कालीन सपा सरकार को इस मुद्दे पर जमकर घेरा था. यहां तक कि मामले में सीबीआई जांच जारी है और तत्कालीन खनन मंत्री जेल की सलाखों के पीछे हैं. ऐसे में दो आईएएस अफसरों का बचाव योगी सरकार की छवि पर सवाल खड़े कर रहा है.

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