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व्यंग ही व्यंग

आया चुनावी मौसम, नेता तलाश रहे आशियाना : अभय सिंह

आया चुनावी मौसम, नेता तलाश रहे आशियाना : अभय सिंह
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आया चुनावी मौसम।

नेता तलाश रहे आशियाना।।

दिखा रहे हैं दमखम।

बदल रहे है पाले।।

मानो मचा हुआ है होड़।

जोड़-तोड़ एवं गठजोड़।।

मिल ना रहा है तरहीज।

लग रहा है खत्म हुआ लीज।।

भूल गए सारे वो कसमे वादे।

दरक रहा महागठबंधन के धागे।।

करके टाटा बाय बाय।

दूसरे दल में जा कर हाथ मिलाएं।।

मुश्किलें भी बढ़ने के आसार।

ठोक दिए दावेदारी लग गए कतार।।

आजमा रहे हर वो दावपेंच।

गर हो जाते जल्दी से सेट।।

हर सियासी दल कर।

रहा है कोशिश पुरजोर।।

कम मत उनको आकना।

भूल मत करना फिर और।।

श्याम तो घट घट में है।

बदलते रहते ठौर ठिकाने।।

मांझी तो सियासी समंदर से।

आ गए जो किनारे हैं।।

लगा कर आए आस,उम्मीद।

अब तो एनडीए के सहारे है।।

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