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व्यंग ही व्यंग

आ ना रहा बाज... धूर्त दगाबाज : अभय सिंह

आ ना रहा बाज... धूर्त दगाबाज : अभय सिंह
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आ ना रहा बाज।

धूर्त दगाबाज।।

नजर है लगाए।

हमारी जो जमीन।।

करारा जवाब पर।

मिल रहा है हर बार।।

फितरत है घुसपैठ।

नोकझोक व तकरार।।

उसकी कपटी चलन।

झांसे में पड़ना।।

बेगैरत, निर्दय मुल्क।

औकात है दिखाना।।

हर नागरिक की मंशा।

धूल है उसके चटाना।।

करके अब करवाई।

अक्ल लगा दो ठिकाना।।

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