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व्यंग ही व्यंग

बजता था डंका .... जल गयी लंका : अभय सिंह

बजता था डंका .... जल गयी लंका : अभय सिंह
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बजता था डंका ।

जल गयी लंका ।।

खुलेंगे कई राज ।

दायरे में अब जाँच ।।

काम हुआ तमाम ।

होगा अब हिसाब ।।

अर्जित अकूत संपत्ति ।

आपराध से कमाई ।।

अनगिनत दौलत ।

कितनी है बनायी ?

आये दिन हो रहे ।

हर चीज उजागर ।।

किनकी है संलिप्तता ।

आयेगी अब बाहर ।।

बच न पायेंगे अब ।

कोई भी राजदार ।।

मिले गर सुराग ।

कठिन होगा डगर ।।

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