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एसी, लैपटॉप का भी मैन्यूफैक्चरिंग हब बनेगा देश, पीएलआइ स्कीम गेम चेंजर साबित होगी

एसी, लैपटॉप का भी मैन्यूफैक्चरिंग हब बनेगा देश, पीएलआइ स्कीम गेम चेंजर साबित होगी
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मोबाइल फोन के बाद भारत एसी, एलईडी लाइट, लैपटाप, टैबलेट जैसे उपकरणों के निर्माण का भी वैश्विक केंद्र बनने को तैयार है। सरकार इन सेक्टरों के निर्माताओं को उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआइ) स्कीम से जोड़ेगी और यह प्रोत्साहन निर्यात से जुड़ा होगा। अभी इन उपकरणों का मुख्य रूप से चीन, वियतनाम, दक्षिण कोरिया जैसे देशों से आयात किया जा रहा है। उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआइआइटी) के सचिव गुरुप्रसाद महापात्रा ने बताया कि 31 मार्च से पहले सभी 10 सेक्टर से जुड़ी पीएलआइ स्कीम को कैबिनेट की मंजूरी मिल जाएगी।

इस सप्ताह सोमवार को पेश आम बजट में सभी पीएलआइ स्कीम को पहली अप्रैल से लागू करने की घोषणा की गई। महापात्रा ने बताया कि भारत को मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाने के लिए उनका विभाग दुनियाभर की ऐसी 1,000 कंपनियों के संपर्क में है, जो भारत में हैं या भारत में आना चाहती हैं। एसी व एलडीई जैसे व्हाइट गुड्स से जुड़ी 6238 करोड़ की पीएलआइ स्कीम को वित्त मंत्रालय की व्यय समिति की मंजूरी मिल गई है। इसके माध्यम से पांच वर्षो में 64,400 करोड़ मूल्य के एसी व एलईडी का निर्यात होंगे।

वहीं, आइटी व इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, आइटी हार्डवेयर की 7,350 करोड़ रुपये की पीएलआइ स्कीम के लिए कैबिनेट नोट तैयार कर लिया गया है। इसके तहत लैपटॉप, टैबलेट जैसे उत्पाद का निर्माण भारत में शुरू हो सकेगा। अभी भारत लैपटॉप के लिए 85 फीसद आयात पर निर्भर है। पिछले साल सरकार ने 13 सेक्टर के लिए पीएलआइ स्कीम की घोषणा की थी।

15 अगस्त से सिंगल विंडो सिस्टम

महापात्रा ने बताया कि औद्योगिक यूनिट की स्थापना के लिए जरूरी क्लीयरेंस को लेकर स्थापित हो रहा सिंगल विंडो आगामी 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर शुरू होगा। बजट में स्टार्ट-अप को लेकर जो क्रेडिट गारंटी फंड शुरू करने की घोषणा की गई है, उसके तहत 3,000 यूनिट को पांच-पांच करोड़ रुपये के लोन मिल सकेंगे। क्रेडिट गारंटी फंड में सरकार 2,000 करोड़ रुपये देगी।

उद्योग विभाग का अनुमान

- एसी और एलईडी से जुड़ी पीएलआइ स्कीम के लागू होने से पांच वर्षो में 7,920 करोड़ रुपये का निवेश होगा।

- इंक्रिमेंटल उत्पादन के तहत 1,68,000 करोड़ रुपये मूल्य का उत्पादन होगा।

- पांच वर्षो में 64,000 करोड़ का निर्यात होगा, एक लाख रोजगार सृजित होंगे।

- पांच वर्षो में 11,300 करोड़ रुपया का प्रत्यक्ष कर, 38,000 करोड़ रुपये का जीएसटी कलेक्शन।

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