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आजादी के बाद से कभी नहीं हुई एससी-एसटी के अलावा जातिगत गणना, गृह राज्यमंत्री की दो टूक

आजादी के बाद से कभी नहीं हुई एससी-एसटी के अलावा जातिगत गणना, गृह राज्यमंत्री की दो टूक
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विपक्षी दलों व केंद्र में सत्तारूढ़ एनडीए के भी कुछ घटक दलों द्वारा लगातार की जा रही देश में जातिगत जनगणना की मांग के बीच केंद्र सरकार ने लोकसभा में इस पर खरी-खरी कही। गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में कहा कि आजादी के बाद से भारत सरकार ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा अन्य जाति-वार आबादी की गणना कभी नहीं की है।

मंत्री राय ने कहा कि जनगणना कार्यक्रम केंद्रीय मंत्रालयों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ विचार विमर्श के बाद तैयारकिया गया है। राय के बयान से स्पष्ट है कि केंद्र जातिगत जनगणना कराने के पक्ष में नहीं है। विपक्षी दलों के अलावा बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन की घटक नीतीश कुमार नीत जेडीयू भी इसकी मांग कर रहा है।

गृह राज्यमंत्री ने कहा कि जनगणना-2021 कराने की सरकार की मंशाा 28 मार्च, 2019 को राजपत्र में इसे अधिसूचित करने से प्रकट हो गई थी, लेकिन कोविड-19 के महामारी के कारण जनगणना कार्यों को स्थगित कर दिया गया है।

लोकसभा में पूछा गया था कि क्या सरकार ने 2021-22 में जाति आधारित जनगणना कराने पर विचार किया है? यदि हां, तो उसका ब्यौरा क्या है? यदि नहीं, तो इसके क्या कारण है?

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री राय ने जवाब में कहा कि जिन जातियों और जनजातियों को विशेष रूप से संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश 1950 और संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950 के अनुसार अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के रूप में अधिसूचित किया गया है, उनकी गणना की जाती है।

उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से जनगणना में अजा-जजा के अलावा अन्य जाति के आधार पर आबादी की गणना नहीं की है। पिछले कई दिनों से देश के कई राजनीतिक दल जातिवार जनगणना की मांग कर रहे हैं। इसमें आरजेडी, जेडीयू और सपा समेत कई राजनीतिक पार्टियां शामिल हैं। केंद्र सरकार जाति आधारित जनगणना कराने की विपक्ष की मांग के मंजूर करने के पक्ष में नहीं है।


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