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उत्तर प्रदेश

राजा भैया की टीम के लिए भी जिला पंचायत चुनाव आसान नही

राजा भैया की टीम के लिए भी जिला पंचायत चुनाव आसान नही
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उत्‍तर प्रदेश में पंचायत चुनाव के तारीखों का ऐलान अभी भले ना हुआ हो, लेकिन आरक्षण सूची आते ही चुनावी सरगर्मी और दावेदारों की तैयारियां तेज़ हो गई है. इस बार आरक्षण ने प्रधानी से जिला पंचायत तक बड़ा उलटफेर कर दिया है और आरक्षण चार्ट से कोई खुश नजर आ रहा है तो कई दावेदारों को मायूसी हाथ लगी है. प्रतापगढ़ में इस बार जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए चुनाव बेहद अहम और राजनीतिक प्रतिष्ठा का होने वाला है, क्योंकि जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर पिछली पांच चुनावों में चार बार राजा भैया समर्थित प्रत्याशियों ने कब्जा किया है.

जिला पंचायत में राजा भैया की पैठ बेहद ही गहरी है. उनके जिला पंचायत को भेद पाना किसी के लिए कतई आसान ना होगा. इस बार होने वाले जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा करने के लिए भाजपा ने अपनी नजर टेढ़ी कर ली है. प्रतापगढ़ में जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जे के लिए राजा भैया समर्थित और भाजपा के बीच कड़ी जंग होने के आसार अभी से ही बनते दिखाई पड़ रहे है. जिला पंचायत में राजा भैया का तिलिस्म तोड़ने के लिए भाजपा के दिग्गजों ने तैयारियां भी शुरू कर दी है. माना जा रहा है इस बार के चुनाव में दो दिग्गज नेता सामने-आमने होंगे. अध्यक्ष की कुर्सी पर इस बार भाजपा के एक कद्दावर मंत्री ने अपनी नजर गड़ा दी है.

वहीं दूसरी तरफ राजा भैया की टीम भी हर पहलू पर बड़े ही बारीकी से नजर रख रही है.आपको बताते चले कि पिछले पंचायत चुनाव में राजा भैया ने कुंडा और बाबागंज इलाके से 13 जिला पंचायत सदस्यों पर निर्विरोध निर्वाचित कराया था. जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में सपा, कांग्रेस, भाजपा के जिला पंचायत सदस्यों ने भी राजा भैया समर्थित प्रत्याशी को वोट दिया था, जिसके चलते राजा भैया समर्थित प्रत्याशी उमाशंकर यादव ने जीत का परचम लहराया था.

पिछले 5 जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में चार बार राजा भैया समर्थित प्रत्याशियों का कब्जा

पूर्व मंत्री व कुंडा विधायक राजा भैया का प्रतापगढ़ की राजनीति का बड़ा दखल माना जाता है. पंचायत चुनाव से लेकर विधानसभा, लोकसभा के चुनाव में उनका अहम रोल होता है. अगर बात करे पिछले पांच जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव की तो चार बार राजा भैया समर्थित ने जीत हासिल की है. 1195 में राजा भैया समर्थित प्रत्याशी अमरावती सिंह ने जीत का परचम लहराया था. 2000 में राजा भैया समर्थित प्रत्याशी विन्देश्वरी पटेल ने जीत हासिल की थी. 2005 में सीट अनुसूचित जाति के खाते में चली गई, फिर भी राजा भैया समर्थित प्रत्याशी कमला देवी अध्यक्ष की कुर्सी पर अपना कब्जा जमाया. 2011 के चुनाव में बसपा प्रत्याशी प्रमोद मौर्या ने राजा भैया समर्थित प्रत्याशी को हराकर राजा भैया के वर्चस्व की धार को धीमा करते हुए कुर्सी पर कब्जा जमाया, लेकिन 2016 में राजा भैया समर्थित प्रत्याशी उमा शंकर यादव ने प्रमोद मौर्या को पराजित कर जीत हासिल की.

जिला पंचायत सदस्य को जिताने की तैयारियां तेज़

इस बार अगर जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा जमाना है तो अधिक संख्या में जिला पंचायत सदस्य के चुनाव जीतने जरूरी है, जितने सदस्यों की संख्या अधिक होगी उतनी ही आसानी से अध्यक्ष के पद पर कब्जा किया जा सकता है. इस बार प्रतापगढ़ की जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट सामान्य महिला है,इसलिए चुनाव बड़े काटे के होने के आसार है.

दो बड़े नेताओं के बीच सियासी घमासान होने की उम्मीद

जिला पंचायत का चुनाव दो सियासी दिग्गजों के बीच होने उम्मीद है,सत्ता पक्ष के कैबिनेट मंत्री की भी निगाहे इस बार जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव पर होने की चर्चा है, जबक‍ि राजा भैया की टीम भी हर पहलू की नजदीक से निगरानी कर रही है. पिछले जिला पंचायत के चुनाव में राजा भैया को सपा का समर्थन प्राप्त था, लेकिन अब सपा से राजा भैया की दूरियां है

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