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उत्तर प्रदेश

'एक हैं हम' ने याद दिलाया लौहपुरुष का योगदान

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उ.प्र.संगीत नाटक अकादमी में राष्ट्रीय एकता दिवस


नृत्यनाटिका मंचन के साथ ही गोमतीनगर में लगाई गई पटेल के जीवन पर प्रदर्शनी

लखनऊ, 31 अक्टूबर। लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्मदिवस को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाते हुए उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी ने वाल्मीकि रंगशाला गोमतीनगर में अपने कथक केन्द्र की मोहक प्रस्तुति 'एक हैं हम' का प्रदर्शन कोविड-19 की गाइडलाइन के तहत जीवंत प्रस्तुति आमंत्रित सीमित दर्शकों के बीच किया। यह प्रदर्शन अकादमी फेसबुक पेज पर नाट्यप्रेमियों के लिए लाइव चल रहा था। इस अवसर पर अकादमी परिसर में सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग की ओर से लौहपुरुष के जीवन पर चित्र आधारित प्रदर्शनी भी लगाई गयी।

अकादमी के नवनियुक्त अध्यक्ष पद्मश्री डा.राजेश्वर आचार्य ने प्रदर्शनी का उद्घाटन करने के साथ अकादमी गतिविधियों की एक झलक स्मारिका का विमोचन भी किया। इस अवसर पर अकादमी की पूर्व अध्यक्ष डा.पूर्णिमा पाण्डे, भारतेंदु नाट्य अकादमी के अध्यक्ष रविशंकर खरे, राज्य ललित कला अकादमी के उपाध्यक्ष गिरीशचन्द्र मिश्र भी उपस्थित थे।

अतिथियों का स्वागत करते हुए अकादमी के सचिव तरुण राज ने लौहपुरुष के प्रेरक व्यक्तित्व की चर्चा की और कहा कि उनकी राष्ट्रभक्ति हम देशवासियों को सदैव प्रेरित करती रहेगी। कथक प्रस्तुति एक हैं हम का शुभारम्भ राष्ट्र स्तुति वन्दे मातरम् पर समूह नर्तन से हुआ। प्रस्तुति में आगे पारम्परिक शास्त्रीय नृत्य मेें टुकड़े, परन, परमेलू, गत, तिहाई और जुगलबंदी को कथक केन्द्र की प्रशिक्षिकाओं श्रुति शर्मा और नीता जोशी ने युगल रूप में विधिवत प्रदर्शित किया। इसी क्रम में प्रस्तुति में आगे वल्लभ भाई पटेल पर रची प्रख्यात कवि हरिवंश राय बच्चन की रचना 'पटेल पर स्वदेश को गुमान है...' पर आकर्षक समूह भाव नृत्य मंच पर खिल कर आया। प्रस्तुति में- 'यही प्रसिद्ध शक्ति की शिला अटल, हिला इसे सका कभी न श़त्रुदल' जैसी पक्तियांे ने देश के एकीकरण के नायक रहे पटेल की शख्सियत को रूपायित किया तो दर्शकों में भी जोश भर दिया। प्रस्तुति में कथक केन्द्र की दोनों प्रशिक्षिकाओं के साथ केन्द्र की छात्राओं प्रियम यादव, शरण्या शुक्ला, अंतरा, अनंत शक्तिका व विधि जोशी ने भी अपनी प्रतिभा मंच पर दिखाई। कमलाकान्त के संगीत निर्देशन में उनके गायन के साथ दीपेन्द्र कुंवर के बांसुरी वादन और तबले पर संगत कर रहे राजीव शुक्ला की पढ़न्त ने प्रस्तुति को दर्शनीय के साथ बेहद श्रवणीय भी बनाया।

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